सीतामढ़ी : परिहार प्रखंड के परिहार उत्तरी वार्ड नंबर चार स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या चार की सहायिका ईशरत खातून का सात वर्ष से मानदेय लंबित है. विभागीय अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद वे गत 26 नवंबर को डीएम के जनता दरबार में पहुंची और अपनी आपबीती सुनायी.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 से ही मानदेय लंबित हैं. बार-बार शिकायत के बाद सीडीपीओ के आदेश पर उनके बैंक एकाउंट में 21 हजार रुपये डाल दिया गया है, पर यह बताया नहीं जा रहा है कि यह किस मद की राशि है. यदि मानदेय है तो किस माह का है. नियमित सेवा करने के बाद भी सही जवाब नहीं मिलने पर वे डीएम के जनता दरबार में न्याय की गुहार लगायी है.
सात वर्ष बाद पुन: सेविका बहाल! डीएम को दिये आवेदन में सहायिका ईशरत खातून ने बताया है कि उक्त केंद्र की सेविका राजदा तबस्सुम प्रवीण अनियमितता के चलते स्वेच्छा से वर्ष 2008 में त्यागपत्र दे दी थी, पर सीडीपीओ की मिलीभगत से जनवरी 2015 में पुन: राजदा खातून सेविका के पद पर बहाल कर ली गयी है.
यदि उक्त सेविका को नौकरी करनी ही थी तो त्यागपत्र क्यों दिया और जब त्यागपत्र दे दिया तो फिर सात वर्ष बाद उसी पद व उसी केंद्र पर उसकी बहाली कैसे हो गयी. ईशरत का मानना है कि उक्त सेविका व सीडीपीओ के चलते ही उसका मानदेय लंबित हैं. सहायिका ईशरत ने डीएम से उक्त दोनों मामले की उच्चस्तरीय जांच कराते हुए लंबित मानदेय भुगतान की गुहार लगायी है.