रून्नीसैदपुर : रून्नीसैदपुर के रून्नी, बसतपुर, खड़का, रैन शंकर, रैन विष्णु, मधौल सानी, खड़का, इब्राहिमपुर, ओलीपुर, बिलंदपुर गुरूदह समेत दर्जनों गांव अब भी पानी में डूबे हुए है. लोग मवेशी व बच्चों के साथ या तो गांव में हीं छत पर पनाह लिए हुए है या फिर सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर हाइवे के किनारे विस्थापित जिंदगी जी रहे है.
इन सबके बीच भादा टोला टापू में बदल कर रह गया है. बड़ी संख्या में लोग गांव में हीं जमे है और नाव के सहारे प्रखंड मुख्यालय तथा निकटतम चौक आ-जा रहे है. स्थानीय लोग बताते है कि अब तक उन्हें राहत का लाभ नहीं मिल सका है. एक तो पहले से हीं इलाका पानी की मार झेल रहा था. बाढ़ ने परेशानी बढ़ा दी है. इनसान तो इंसान मवेशियों के लिए चारा भी नहीं मिल रहा है.
लोगों की माने तो इलाके में पानी ठहर गया है. जिसे निकलने में महीनों लग जायेंगे.
थक गयीं आंखें…
सुरसंड . बाढ़ की तबाही का शिकार सुरसंड प्रखंड भी हुआ है. तीन दिनों तक इलाके में नदियों ने जो तबाही मचाई उसके निशान अब भी इलाके में बरकरार है. प्रशासनिक स्तर पर राहत व बचाव अभियान भी चलाया गया. हजारों लोगों को सुरक्षित बचाया. बावजूद इसके इलाके के सैकड़ों लोगों को राहत का लाभ नहीं मिल सका. राहत के लिए तकते-तकते लोगों की आंखें थक गयी, लेकिन नाकामी हाथ लगी. बाढ़ के चलते दर्जनों घर ध्वस्त हो गए. लोग अब भी खुले आसमान के नीचे रहने को विवश है. 13 अगस्त को हुई मूसलाधार बारिश व बाढ़ के चलते सुरसंड पूर्वी पंचायत के वार्ड 6 निवासी महेंद्र राउत व बैजू राउत को राहत मिलना तो दूर अबतक एक पॉलीथिन भी नहीं मिल सका है. नतीजतन दोनों परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को विवश है. बारिश व धूप के बीच लोग परेशान है. इन दोनों परिवारों का मुखिया परदेश में मजदूरी करता है. प्रखंड प्रशासन व पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा अब तक न तो सर्वेक्षण किया गया है और न ही किसी प्रकार की सहायता दी जा सकी है. इस बाबत पूछे जाने पर सीओ ओमप्रकाश ने बताया कि जिला से मात्र 720 परिवारों को देने के लिए पॉलीथिन मिला था. लेकिन पीड़ितों की संख्या अधिक होने के कारण पॉलीथिन कम पड़ गया है.