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VIDEO : सात वर्षों में भी शेखपुरा के इस महादलित टोला में नहीं पहुंच सका फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट का पानी

शेखपुरा:बिहारसरकार की विफलता कहाजाएं या फिरइसे प्रशासनिक अनदेखी कहें.शेखपुरा जिले के चोढदरगाह गांव में फ्लोराइड प्रभावित महादलित टोला में ट्रीटमेंट प्लांट कापानी सात साल बाद भी नहीं पहुंच सका है. नतीजा यह है कि फ्लोराइड से दूषित पानी पीकरलोग फ्लोरेसिस नामक बीमारी से ग्रसित हो अपनी जान गंवा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है […]

शेखपुरा:बिहारसरकार की विफलता कहाजाएं या फिरइसे प्रशासनिक अनदेखी कहें.शेखपुरा जिले के चोढदरगाह गांव में फ्लोराइड प्रभावित महादलित टोला में ट्रीटमेंट प्लांट कापानी सात साल बाद भी नहीं पहुंच सका है. नतीजा यह है कि फ्लोराइड से दूषित पानी पीकरलोग फ्लोरेसिस नामक बीमारी से ग्रसित हो अपनी जान गंवा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि फ्लोरोसिस नामक बीमारी से लोगों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस विकल्प नहीं हो सका. वहीं दूसरी ओर चिकित्सक ग्रामीणों को इस स्थिति में गांव छोड़ने की सलाह दे रहे हैं.

दरअसल गांव में करीब 7 साल पूर्व दो क्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए थे. जिस में अल्पसंख्यक टोले को नियमित पानी तो मिल रहा है. लेकिन दूसरे ट्रीटमेंट प्लांट का पानी नहीं मिल सका. ऐसी स्थिति में लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए दूषित चापाकलों से पानी पीने को विवश हैं. इतना ही नहीं महादलित टोले के लिए क्रियान्वित ट्रीटमेंट प्लांट के ऑपरेटर की मनमानी से भी ग्रामीणों के समक्ष पेयजल की संकट विकराल रुप ले रखा है. ग्रामीण सकुंती देवी ने बताया कि गांव में पिछले सात दिनों से ट्रीटमेंट प्लांट को नही चलाया जा रहा है.

क्या है स्थिति
चोढदरगाह गांव के भूगर्भ जल स्रोत में फ्लोराइड नामक खतरनाक रसायन होने के कारण अब तक करीब सवा सौ लोग विकलांगता के शिकार हो गए हैं. जिसमें अधिकांश गांव के रविदास टोला के पीड़ित परिवार हैं. इनमें बच्चे बूढ़े एवं नौजवान भी रोगग्रस्त हैं. इस बीमारी में पहले पीड़ित के दांत पर पीला दाग हो जाता है.इ सके बाद हड्डियों के जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है. इसके साथ ही पैर विकलांगता हो जाती है. गांव में इस अवस्था को लेकर पहले भी कई बार मुद्दे उठाए गए हैं. लेकिन आज तक कोई विकल्प नहीं निकाला जा सकता है.

क्या कहते हैं लोग
अरियरी के चोढदरगाह गांव निवासी सकुंती देवी, चामू साब, अजय पासवान, श्याम सुंदर देवी एवं राजन पासवान ने बताया कि गांव में इस गंभीर समस्या को लेकर हाल के दिनों में एक नयी जलापूर्ति प्लान को स्वीकृति दी गयी है. लेकिन संवेदक के द्वारा लगभग सवा सौ फीट गहरा बोरिंग करने के बाद हाथ खड़ा कर दिया गया है. दरअसल, उक्त गहराई के बाद नीचे पहाड़ी मिल जाने की संभावना को लेकर बोरिंग को तत्काल रोक दिया गया है.

इसके साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि गांव में इस विकराल स्थिति को लेकर पिछले 5 सालों में प्रशासनिक महकमा ना तो ठोश विकल्प निकालना और ना ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने एक बार भी इस मुद्दे को गंभीरता पूर्वक उठाने की जरूरत समझी. ग्रामीणों ने कहा कि सरकार हर घर नल का जल योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार कर रही है. कई गांवों में योजनाओं को धरातल पर उतारने का भी काम किया जा रहा है. लेकिन चोढदरगाह गांव के लिए यह उपेक्षा की नीति ठीक नहीं है.

क्या कहते है अधिकारी
चोढदरगाह गांव में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण यहां ट्रीटमेंट प्लांट से पानी की आपूर्ति की जा रही है. यहां नयी प्लांट का निर्माण भी कराया जा रहा है. पानी की समस्या की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
(विजय कुमार, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी)

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