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नोखा अग्निकांड में मृतकों की संख्या हुई पांच, एक की हालत नाजुक

रोपहता अग्निकांड में शनिवार की देर रात एक युवक की इलाज के दौरान मृत्यु होने से मृतकों की संख्या पांच हो गयी. इलाजरत मंटू डोम (25) पिता दिनेश डोम ने सदर अस्पताल सासाराम में इलाज के दौरान शनिवार की रात करीब 9.30 बजे अंतिम सांस ली.

नोखा. रोपहता अग्निकांड में शनिवार की देर रात एक युवक की इलाज के दौरान मृत्यु होने से मृतकों की संख्या पांच हो गयी. इलाजरत मंटू डोम (25) पिता दिनेश डोम ने सदर अस्पताल सासाराम में इलाज के दौरान शनिवार की रात करीब 9.30 बजे अंतिम सांस ली. वहीं, मंटू की मां शिवरत देवी की स्थिति नाजुक बनी हुई है. उसका इलाज सदर अस्पताल सासाराम में चल रहा है. गौरतलब है कि शनिवार की दोपहर चूल्हे की चिंगारी से झोंपड़ी में आग लगने से दिनेश डोम की 10 वर्षीया बेटी किरण कुमारी, 13 वर्षीया ममता कुमारी, 25 वर्षीया बहू सचिना खातून और बहन की बेटी की दो वर्षीया सरिता कुमारी की मौत हो गयी थी. वहीं, गंभीर रूप से झुलसे के मंटू डोम ने शनिवार की रात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. इसके साथ इस घटना में मरनेवालों की संख्या पांच हो गयी है.

घर से बाहर रहने से बच गया दिनेश डोम

अग्निकांड के समय घर का मुखिया दिनेश डोम किसी कार्य से बाहर गया था, जिसके कारण उसकी जान बच गयी. वहीं, दिनेश की पत्नी शिवरत देवी घर में परिवार के साथ सोने और धुएं से जल्द नींद खुल जाने के कारण झोंपड़ी से अधजली स्थिति में बाहर आ गयी. वह गंभीर हालत में अब भी इलाजरत है. लेकिन, अन्य सदस्य बेटे-बहू, बेटियों व पोती को वह बचा नहीं सकी.

आग की तपिश से बचने के लिए आहर में कूद पड़ा था मंटू

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, झोंपड़ी में आग लगने के बाद दो ही लोग बाहर आ सके थे. एक मंटू डोम और उसकी मां शिवरत देवी. बाकी चारों महिलाएं झोंपड़ी में ही झुलस गयी थीं. लोगों ने बताया कि आग से झुलसा मंटू अपनी झोंपड़ी के सामने आहर के पानी में कूद पड़ा था. इसके बावजूद आग की तपिश से बचने के लिए वह करीब सौ मीटर तक आहर में छटपटाता रहा था. लोगों की मानें, तो समय से चिकित्सा सुविधा मिली होती, तो शायद मंटू की जान बचायी जा सकती थी.

इंदिरा आवास बन गया होता, शायद बच जातीं जानें

इसे क्या कहा जाये? समझ से परे है. दिनेश डोम को उसकी झोंपड़ी जगह पक्का मकान बनाने के लिए 21 जून 2008 को ही इंदिरा आवास योजना के तहत पहली किस्त मिली थी. इसके बाद दूसरी किस्त 30 जुलाई 2009 को मिली थी. बावजूद इसके दिनेश ने अपनी झोंपड़ी की जगह मकान का निर्माण नहीं कराया. इसके लिए उसे प्रखंड प्रशासन की ओर से कई बार नोटिस भी दिया गया था. अगर दिनेश ने पक्का मकान बना लिया होता, तो उसका परिवार झोंपड़ी में नहीं रहता. झोंपड़ी नहीं होती, तो उसे झोंपड़ी में रसोई नहीं रखना पड़ता. चूल्हे की चिंगारी से पहले रसोई धधकी और फिर पूरी झोंपड़ी को अपने लपेटे में लिया, जिसके कारण उस समय घर में मौजूद छह लोगों में से पांच की जान नहीं जाती. इस संबंध बीडीओ अतुल कुमार गुप्ता ने बताया कि दिनेश डोम को इंदिरा आवास योजना के तहत पक्का मकान बनाने के लिए दो किस्तों में करीब 35 हजार रुपये दिये गये थे. कई बार मकान निर्माण के लिए नोटिस भी दिया गया था. बावजूद इसके उसने मकान का निर्माण नहीं कराया था.

परिजनों की मौत पर दिनेश को बतौर मुआवजा मिले 12 लाख रुपये

रुपये मिलने के बावजूद इंदिरा आवास निर्माण नहीं कराने वाले दिनेश डोम को प्रखंड प्रशासन ने बेटे और दो बेटियों की मृत्यु पर प्रति व्यक्ति चार लाख रुपये के हिसाब से 12 लाख रुपये का चेक रविवार को मिला. इस संबंध में सीओ मकसूदन चौरसिया ने बताया कि दिनेश डोम को बेटे व दो बेटियों की मृत्यु पर बतौर मुआवजा 12 लाख रुपये का चेक दे दिया गया है. शेष बहू सरिता खातून और एक नतिनी सरिता देवी का मुआवजा जांच के बाद उसके परिजनों को दिया जायेगा.

प्रशासनिक चूक के कारण महादलितों की हुई है मौत : मंत्री संतोष सिंह

यह प्रशासनिक चूक का मामला है. अगर 2008 व 2009 में दिनेश डोम को इंदिरा आवास के लिए रुपये दिये गये थे? तो, उसने मकान क्यों नहीं बनवाया? अगर मकान बना होता, तो इस परिवार के पांच लोगों की जान नहीं जाती. ये बातें हथिनी पंचायत के रोपहता गांव में रविवार को मातमपुर्सी करने पहुंचे श्रम संसाधन मंत्री संतोष सिंह ने कहीं. उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए. दिनेश डोम ने मकान नहीं बनाया और प्रशासनिक अधिकारी चुप बैठे रहे. उन्होंने कहा कि इसकी जांच कर दिनेश डोम से अधिक दोषी उस समय के प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसी दु:ख की घड़ी में राज्य सरकार परिवार के साथ खड़ी है.

रोपहता में नेताओं का लगने लगा जमघट

चुनाव का समय है. ऐसे समय में किसी महादलित के घर भीषण घटना ने प्रत्याशियों को परेशान कर डाला है. रोपहता में रविवार को नेताओं का आना-जाना लगा रहा. किसी ने रुपये से सहयोग किया, तो किसी ने ढांढस बंधा कर ही काम चला लिया. काराकाट लोकसभा क्षेत्र के माले प्रत्याशी राजाराम, निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह, भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष अमित पासवान, सीपीआइ (एमएल) के जिला सचिव अशोक बैठा, श्याम सुंदर पाल, रंजन कुमार, सोनू कुमार, चंद्रकांत महतो आदि मातमपुर्सी के लिए पहुंचे थे.

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