Saran News : आखिरी बार ईद में घर आये थे, इम्तियाज चाव से खायी थी सेवइयां

युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए मो. इम्तियाज ईद के मौके पर अपने घर नारायणपुर आये थे, जहां परिजनों और ग्रामीणों से उनकी यह आखिरी मुलाकात हुई. इस दौरान उन्होंने बड़े चाव से सेवइयां खायी थीं

By SHAH ABID HUSSAIN | May 12, 2025 10:21 PM

दिघवारा. युद्ध के मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए मो. इम्तियाज ईद के मौके पर अपने घर नारायणपुर आये थे, जहां परिजनों और ग्रामीणों से उनकी यह आखिरी मुलाकात हुई. इस दौरान उन्होंने बड़े चाव से सेवइयां खायी थीं और परिवार के साथ खुशगवार पल बिताये थे. यह यात्रा उनके जीवन की अंतिम घर यात्रा बन गई, किसी को अंदेशा नहीं था कि वे अब कभी लौटकर नहीं आयेंगे. बेटे इमरान ने बताया कि एक दिन पिता का फोन आया, जिसमें उन्होंने बताया कि युद्ध में उनका एक पैर बुरी तरह घायल हो गया है. यह खबर सुनते ही इमरान दिल्ली के लिए रवाना हो गए, लेकिन जम्मू जाते हुए उन्हें पिता की शहादत की खबर मिली, जिसने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया. गांव के लोग बताते हैं कि इम्तियाज जिंदादिल इंसान थे, जो हमेशा युवाओं को प्रेरित करते थे और उन्हें बीएसएफ से जुड़ी घटनाओं के बारे में बताते थे. शायद यही कारण था कि उनके चाहने वाले कई गांवों से उनके अंतिम दर्शन के लिए आये थे.

भीड़ को नियंत्रित करने में खूब बहाना पड़ा पसीना

जब पार्थिव शरीर उनके गांव नारायणपुर पहुंचा, तो हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. हर कोई अपने वीर सपूत की एक झलक पाने को बेताब दिखा. शव जैसे ही तिरंगे में लिपटे ताबूत में गांव पहुंचा, घर के बाहर भारी भीड़ जमा हो गयी. प्रशासन ने बार-बार उद्घोषणा कर लोगों से संयम बरतने की अपील की, ताकि विधिवत सलामी दी जा सके, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे. पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. हर कोई इम्तियाज की बहादुरी की चर्चा कर रहा था और उन्हें देखने के लिए आंखें तरस रही थीं. मीडिया कर्मियों की भी भारी भीड़ थी, और गांववाले अपनी भावनाएं साझा कर रहे थे. हर आंख नम थी, लेकिन गर्व भी था कि गांव का एक बेटा देश के लिए शहीद हुआ.

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