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समादेष्टा कार्यालय में 80 प्रतिशत पद रिक्त

छपरा (सदर) : कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों के 80 फीसदी पद रिक्त होने तथा जिले के कई पदाधिकारियों व संबंधित विभागों की मनमर्जी के कारण बिहार गृह रक्षावाहिनी के जवानों की पदस्थापना नियम के अनुसार नहीं हो पा रही है. दर्जनों जवान सालोभर ड्यूटी करते हैं तो कई को ड्यूटी वर्ष में दो माह भी नहीं […]

छपरा (सदर) : कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों के 80 फीसदी पद रिक्त होने तथा जिले के कई पदाधिकारियों व संबंधित विभागों की मनमर्जी के कारण बिहार गृह रक्षावाहिनी के जवानों की पदस्थापना नियम के अनुसार नहीं हो पा रही है. दर्जनों जवान सालोभर ड्यूटी करते हैं तो कई को ड्यूटी वर्ष में दो माह भी नहीं मिलती. जबकि विधि व्यवस्था में लगे जवानों का हर दो माह पर ड्यूटी बदलना है. हालांकि सरकार ने आगामी फरवही माह में ‘ई कमान’ योजना शुरू करने की तैयारी की है. ऐसी स्थिति में विधि व्यवस्था ड्यूटी में लगने वाले इन होम गार्ड के जवानों के ड्यूटी देने का काम राज्य मुख्यालय से होगा.

जिससे अनियमितता की संभावनाएं कम होंगी.

40 के बदले महज 6 पदाधिकारी व कर्मी कार्यरत : जिला गृह रक्षा वाहिनी कार्यालय में जिला समादेष्टा समेत 40 पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के पद सृजित हैं. जिनमें 34 पद रिक्त है. ऐसी स्थिति में जिला समादेष्टा को भी क्लर्क व पदाधिकारी के अभाव में लिपिकीय व अन्य कार्यो को करने की मजबूरी है. जिला समादेष्टा के अनुसार निरीक्षक के तीन पदों में दो रिक्त है तो कंपनी कमांडर के सभी छह सृजित पद रिक्त है. वहीं जमादार प्रधान का एक मात्र पद रिक्त होने के साथ-साथ हवलदार लिपिक के सभी पांच पद भी रिक्त पड़े हैं. अधिनायक अनुदेशक के 13 पदों के बदले महज एक तो सिपाही के सात के बदले चार तथा चतुर्थवर्गीय कर्मी के सात के बदले महज दो ही कर्मी कार्यरत हैं. जिला समादेष्टा कार्यालय के अधिकृत सुत्रों के अनुसार जिले में स्वीकृत बल 1990 के बदले 1720 होमगार्ड के जवान तैनात है. इनमें से 300 जवान ड्यूटी चाहते ही नहीं तो कम से कम 300 को नियमानुकूल ड्यूटी नहीं मिलती. विभाग के अनुसार जिले में 520 जवान विधि व्यवस्था में तथा 180 जवान विभिन्न कार्यालयों में भूगतान के आधार पर तैनात किये गये हैं.
जिनकी ड्यूटी हर दो महीने पर बदलनी चाहिए. परंतु, जिला समादेष्टा 50 फीसदी जवानों की ड्यूटी नहीं बदलते. इसकी वजह जिले के कई पदाधिकारियों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर एक ही जवान को अपने यहां हमेशा रहने देने का प्रत्यक्ष या परोक्ष फरमान है. वहीं बीएसएनएल, बैंक आदि वित्तीय संस्थानों में भी कमोबेश तैनात जवानों के साथ यहीं स्थिति है. आखिर जिला समादेष्टा करें तो क्या करें. उनका कहना है कि जेल तथा उत्पाद विभाग में तैनात बिहार होमगार्ड के जवानों की ड्यूटी एक साल में परिवर्तन करने का प्रावधान है तथा शेष का हर दो माह पर परंतु, निश्चित तौर पर ऐसा नहीं हो पाता. विभागीय सूत्रों के अनुसार समय-समय पर ड्यूटी को लेकर बिहार गृह रक्षा वाहिनी संघ के पदाधिकारी आरोप भी लगाते है. जिसमें मनमाना ड्यूटी देने तथा नजराने के बदौलत ड्यूटी देने की बात आती है. परंतु पदाधिकारी अपने को ड्यूटी आवंटन को लेकर अपने को मजबूर दिख रहे हैं.
नियमानुसार 60 वर्ष की उम्र तक इन जवानों को जब होम गार्ड की ड्यूटी मिलती है तभी प्रति कार्य दिवस के हिसाब से चार सौ रुपये मानदेय मिलता है ऐसी स्थिति में कई जवानों के समक्ष आर्थिक संकट कायम रहता है.
17.6 करोड़ की लागत से हाइटेक कार्यालय बनाने का कार्य शुरू : जिले में हालांकि सरकार एक ओर जहां ‘ई कमान’ के माध्यम से राज्य मुख्यालय से ही आगामी फरवरी माह से ड्यूटी देने की तैयारी कर रही है. वहीं जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत विषुणपुरा गांव में तीन एकड़ जमीन में 17 करोड़ 60 लाख रूपये की लागत से हाइटेक होमगार्ड प्रशिक्षण केंद्र, जिला समादेष्टा कार्यालय तीन सौ होमगार्ड के जवानों के आवासन के लिए दोमंजिला बैरक, प्रशिक्षण केंद्र आदि बनाने का काम शुरू कर दिया है.
जिससे कार्यालय, कर्मी, पदाधिकारी की समस्या से जहां निजात मिले वहीं बेहतर ढंग से बिना पक्षपात के होमगार्ड के जवानों को ड्यूटी मिल सके.
फरवरी से ई कमान से होमगार्ड के जवानों की ड्यूटी देने की तैयारी
होमगार्ड के जवानों को नियमानुसार नहीं मिलती ड्यूटी
क्या कहते हैं अधिकारी
कर्मचारियों, पदाधिकारियों के 80 फीसदी पद रिक्त होने तथा हर दो माह पर ड्यूटी बदलने में अनावश्यक दबाव बिहार होमगार्ड के जवानों की पदस्थापना में सबसे बड़ी बाधा है. हालांकि सरकार ने फरवरी में ई कमान योजना तथा हाइटेक जिला समादेष्टा कार्यालय भवन व प्रशिक्षण भवन बनाने का जो कार्य शुरू किया है. निश्चित तौर पर कई परेशानियों दूर होगी.

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