छपरा(सारण) : जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम धीरज कुमार लंबे समय से कई गंभीर आरोपों से घिरे रहे हैं और डीपीएम के खिलाफ प्रमंडलीय आयुक्त नर्वदेश्वर लाल ने भी डीपीएम के कार्यकलाप पर प्रश्न चिह्न लगाया है. आउटसोर्सिंग एजेंसियों के चयन में मनमानी करने तथा अनियमितता बरतने के मामले में पटना हाईकोर्ट के आदेश पर प्रमंडलीय आयुक्त ने जांच के बाद अपने ऑबर्जवेशन में डीपीएम के बारे यह टिप्पणी की थी.
आयुक्त की जांच के बाद ही जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा आउटसोर्सिंग एजेंसियों के चयन की प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया. इस मामले में अनियमितता बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीएम हरिहर प्रसाद पहले ही राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक को पत्र को लिख चुके हैं. डीएम ने यह कार्रवाई भी प्रमंडलीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट के बाद की है.
आउटसोर्सिंग एजेंसियों के चयन में अनियमितता बरतने के मामले में एक मुकदमा अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सप्तम) के न्यायालय में भी चल रहा है जिसमें न्यायालय ने अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति आदेश मांगा है. न्यायालय के आदेश के आलोक में डीएम ने सिविल सर्जन को स्वीकृति आदेश देने का निर्देश दिया है.
यह डीपीएम के खिलाफ ताजा मामला है. इसके पहले तत्कालीन सिविल सर्जन ने भी डीपीएम के खिलाफ राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक को पत्र लिखकर डीपीएम के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाये थे. जिला स्वास्थ्य समिति के वाहन का निजी कार्यों के लिए प्रयोग करने, जिला स्वास्थ्य समिति भवन में डीएम के नाम से फ्लैट आवंटित कर गलत तरीके से किरायादार रखने, कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करने, कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की धमकी देकर भयादोहन करने,
जिला स्वास्थ्य समिति की संचिकाओं को मनमाने ढंग से अपने पास रखने आदि के आरोप लगाये गये थे और इसकी जांच कराकर डीपीएम को पदमुक्त करने की अनुशंसा की गयी थी. इसके अलावा जिला स्वास्थ्य समिति में कर्मचारियों के नियोजन में अनियमितता बरतने का मामला भी चर्चा में रहा है. फिलहाल न्यायालय का शिकंजा कसने के कारण स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की बेचैनी बढ़ गयी है.
आउटसोर्सिंग एजेंसियों के चयन में अनियमितता बरतने के मामले में डीपीएम धीरज कुमार कुमार को आरोपित किया गया है और न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया गया है.
अभियोजन स्वीकृति आदेश देने का निर्देश
संविदा पर या नियमित रूप से बहाल सरकारी कर्मचारियों-पदाधिकारियों के खिलाफ किसी भी मुकदमे में कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग से स्वीकृति लेने का प्रावधान है. अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति आदेश नियुक्ति करने वाले पदाधिकारी या विभाग के प्रमुख के द्वारा दी जाती है. सिविल सर्जन जिला स्वास्थ्य समिति के पदेन सचिव हैं और अध्यक्ष के आदेश के आलोक में कोई भी कार्रवाई कर सकते हैं.
डीपीएम की बहाली जिला स्वास्थ्य समिति के गवर्निंग बॉडी के द्वारा गठित चयन समिति के द्वारा ही की जाती है.