किसानों को तकनीकी मदद पहुंचा रहा है बीएयूविकास सिन्हा, भागलपुरबिहार एक कृषि प्रदेश है. यहां के लोगों को मुख्य पेशा खेती बारी है. कम भूमि में ज्यादा पैदावार हो, इसके लिए कृषि क्षेत्र में नये अनुसंधान हो रहे हैं. इसकी जिम्मेवारी कृषि विश्वविद्यालयों को ज्यादा बढ़ जाती है. कोसी व अंग क्षेत्र के किसानों को तकनीकी मदद के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी. वैज्ञानिकों द्वारा नये अनुसंधान किसानों तक पहुंचे, इसके लिए बिहार सरकार की मदद से बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने मीडिया सेंटर की स्थापना की. समय-समय पर किसानों को जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण का भी आयोजन किया जाता है. विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र में सामुदायिक रेडियो की स्थापना से 20 किलोमीटर परिधि में 503 गांवों के लगभग एक लाख तीस हजार किसान कृषि व संबंधित क्षेत्रों की तकनीकी जानकारी के साथ-साथ मौसम की जानकारी घर बैठे ले रहे हैं. संचार के इस माध्यम से ग्रामीणों को न केवल कृषि बल्कि सामाजिक जागरूकता, नारी विकास, बाल विकास कार्यक्रम के साथ-साथ लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी प्रसारण किया जा रहा है.किसानों को भेजा जा रहा है मैसेजकिसानों के मोबाइल पर सभी कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा मैसेज भेजने की भी शुरुआत की गयी है. इसके माध्यम से लगभग 40,000 किसान को प्रतिदिन समसमायिक विषयों पर संदेश भेजे जा रहे हैं. किसानों के लिए भारत सरकार की मदद से बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) पोर्टल के जरिये भी किसानों को प्रशिक्षित व जरूरी जानकारी मुहैया करा रहा है. विश्वविद्यालय अपने पोर्टल के माध्यम से खेती से संबंधित जानकारी भी मुहैया करा रहा है. विश्वविद्यालय के अधिन सभी कृषि विज्ञान केंद्रों ने अपने-अपने वेब पोर्टल की शुरुआत की है. इससे किसानों को लाभ मिल रहा है. आनेवाले समय में विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों की किसानों को जानकारी मिलती रहेगी.कॉल सेंटर में कॉल कर जानकारी ले सकते हैं किसानविश्वविद्यालय द्वारा किसानों के लिए किसान कॉल सेंटर (06412451035) की भी शुरुआत की गयी है. किसान 10 बजे से लेकर शाम सात बजे तक अपने प्रश्न पूछ सकते हैं. अब तक 2 लाख 80 हजार किसान इसका लाभ उठा चुके हैं. ग्रामीण युवाआें का बढ़ रहा रुझानग्रामीण युवा जो कृषि से दूर होते जा रहे हैं, उसका जीविकोपार्जन कृषि से हो सके, इसके लिए बीएयू ने टेक्नोलॉजी इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना की है. ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार की परिकल्पना को साकार करने की दिशा मेें विश्वविद्यालय द्वारा अपने गुणवत्तायुक्त उत्पादों के माध्यम से ग्रामीण युवा को उद्यमिता विकास के लिए प्रेरित करने का प्रयास भी किया है. इस परिकल्पना के पीछे सोच यह है कि ग्रामीण युवा गांवों में रह कर ही कृषि आधारित व्यवसाय को अपनाएं और किसानों को समूह के माध्यम से उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने में अपना सहयोग व योगदान दें. विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित सभी प्रकार के उत्पादों को किसानों व उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए युवाओं को चेंज एजेंट के रूप में रखा जा रहा है. स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं युवाविश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयास से ग्रामीण युवाओं को भी लाभ मिला है. विवि के वैज्ञानिकों ने बांका के कटोरिया प्रखंड में बनियाकुरा, मुंगेर के टेटियाबंबर, तिलकारी व भागलपुर के कजरैली में किसानों को प्रेरित कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़नें का प्रयास किया है. इन गांवों में कई युवा व अन्य परिवारों को मशरूम स्पॉन व चूजे दिये गये हैं. जिससे लोग स्वरोजगार से जुडें.
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किसानों को तकनीकी मदद पहुंचा रहा है बीएयू
किसानों को तकनीकी मदद पहुंचा रहा है बीएयूविकास सिन्हा, भागलपुरबिहार एक कृषि प्रदेश है. यहां के लोगों को मुख्य पेशा खेती बारी है. कम भूमि में ज्यादा पैदावार हो, इसके लिए कृषि क्षेत्र में नये अनुसंधान हो रहे हैं. इसकी जिम्मेवारी कृषि विश्वविद्यालयों को ज्यादा बढ़ जाती है. कोसी व अंग क्षेत्र के किसानों को […]
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