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लाखों की राशि बेकार, नहीं निकला बूंद भर पानी
वर्ष 2008 में पीएचइडी ने चलायी थी योजना 2010 में समाप्त हुई एकरारनामा की तिथि सोनवर्षाराज : प्रखंड मुख्यालय सहित आसपास की हजारों की आबादी को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की सरकारी योजना लूट खसोट का शिकार बन चुकी है. पीएचइडी के तहत बनने वाले जलमीनार का निर्माण 82 लाख रुपये की प्राक्कलित राशि से […]
वर्ष 2008 में पीएचइडी ने चलायी थी योजना
2010 में समाप्त हुई एकरारनामा की तिथि
सोनवर्षाराज : प्रखंड मुख्यालय सहित आसपास की हजारों की आबादी को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की सरकारी योजना लूट खसोट का शिकार बन चुकी है. पीएचइडी के तहत बनने वाले जलमीनार का निर्माण 82 लाख रुपये की प्राक्कलित राशि से वर्ष 2008 में शुरू किया गया था. एकरारनामा के अनुसार जलमीनार का कार्य वर्ष 2010 में ही पूरा कर लेना था लेकिन सात वर्ष बीत जाने के बावजूद 40 हजार गैलन की क्षमता वाले जल मीनार से एक बूंद पानी भी नहीं निकल सका है.
नलकूप हो रहा बरबाद
जलमीनार से जलापूर्ति के लिए समीप के क्षेत्रों में 25 नलकूप बनाये गये थे. जिसमें आधा से अधिक नलकूप जमींदोज होने के कगार पर पहुंच चुका है. प्रखंड मुख्यालय में जलापूर्ति योजना की वस्तुस्थिति से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग की योजनाओं का हाल समझा जा सकता है.
आइआरपी में भी हुई लूट
स्वच्छ पेयजल आपूर्ति योजना के तहत कई जगहों पर आयरण रिमूवल प्लांट (आइआरपी) युक्त चापाकल भी लगाया गया था. लेकिन लाखों की राशि से लगाया गया प्लांट ढाक के तीन पात साबित हो रहा है. सरकारी उदासीनता की वजह से स्थानीय लोग दूषित जल पीने को बाध्य हैं. ज्ञात हो कि एक प्लांट लगाने में लाख रुपये की राशि खर्च होती है.
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