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ब्लड ग्रुप ही बन गया सरनेम, जरूरतमंद की सेवा कर रहे रक्तवीर

दस महीनें में 145 लोगों को दे चुके है रक्त रक्तदान महाकल्याण नाम से बनाया व्हाट्सएप ग्रुप ग्रुप में सक्रिय 226 सदस्य हैं सक्रिय सहरसा में बनी योजना से लाभान्वित हो रहे दूर बैठे लोग सहरसा : जाति व मजहब के नाम पर बदलते सरनेम (उपनाम) से हमलोग वाकिफ हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है […]

दस महीनें में 145 लोगों को दे चुके है रक्त

रक्तदान महाकल्याण नाम से बनाया व्हाट्सएप ग्रुप
ग्रुप में सक्रिय 226 सदस्य हैं सक्रिय
सहरसा में बनी योजना से लाभान्वित हो रहे दूर बैठे लोग
सहरसा : जाति व मजहब के नाम पर बदलते सरनेम (उपनाम) से हमलोग वाकिफ हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि धर्म व आडंबर से दूर रहने वाले लोगों की जाति इंसानियत मानव सेवा को ही साधना बना कर देशभर में मिसाल कायम कर रही है. यह कहानी है सहरसा के उन युवाओं की जिन्होंने रक्तदान को जीने का मकसद बनाया. महज दस महीने में ही प्रेरणादायक आयाम बना चुके हैं. युवाओं ने पूर्वजों के उपनाम से आगे अपने ब्लड ग्रुप को ही सरनेम बना मिसल कायम कर दी है.
जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड स्थित महम्मदपुर पंचायत निवासी पिंटू शर्मा अब पिंटू ए पॉजिटिव व अनुमंडल मुख्यालय के विष्णु भगत अब विष्णु बी पॉजिटिव बन चुके हैं. रक्तदाता महाकल्याण नाम से संचालित इन युवाओं के व्हाट्सएप ग्रुप में दौ सौ से ज्यादा सक्रिय सदस्य शामिल हो चुके हैं. जिन्होंने अपने नाम के आगे ब्लड ग्रुप को जोड़ लाखों लोगों को जीने का मकसद दे दिया है. इनलोगों की सक्रियता से बिहार सहित झारखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, पश्चिम बंगाल, राजस्थान व मघ्य प्रदेश के सैकड़ों जरुरतमंदों को बगैर परेशानी रक्तदाता की सुविधा मिल चुकी है. उपनाम के बाबत ग्रुप के सदस्य बताते हैं कि भगवान ने जब मनुष्य के संरचना में कोई फर्क नहीं किया है तो इंसान धर्म व मजहब में समय क्यों नष्ट करे.
ब्लड ग्रुप के जरिये ही मानव समुदाय को श्रेणी में बांटा जा सकता है.
रक्त के बिना नहीं जायेगी जान: साल भर पहले मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में ग्रामीण क्षेत्र से भरती हुई एक महिला की मौत ने ऐनी गांव के निवासी उमेश शर्मा व सिमरी निवासी उमेश प्रसाद भगत के पुत्र क्रमश: पिंटू शर्मा व विष्णु भगत को झकझोर दिया था. इसके बाद इनलोगों द्वारा संचार क्रांति का फायदा उठाते रक्तदाता महाकल्याण व्हाट्सएप ग्रुप का सृजन किया गया. धीरे-धीरे बढ़ते कारवां ने जिला व प्रदेश की सीमाओं को पार कर देश के कई राज्यों में सक्रिय युवाओं को अभियान से जोड़ने का काम किया. वर्तमान में देशभर के सरकारी व निजी अस्पताल में किसी भी प्रकार के ब्लड ग्रुप की लोग दरकार लगाते है तो अभियान से जुड़े सदस्य ससमय रक्तदाता को मरीज तक पहुंचाने का काम बखुबी अंजाम दे रहे है. इस अभियान के तहत अभी तक लगभग 145 जरुरतमंदों को रक्तदान की सुविधा नि:शुल्क मुहैया करायी गयी है.
रक्तदान बना जीवन का मकसद: देशभर में रक्तदान महाकल्याण अभियान को सफल बनाने में बिहार के कई रक्तवीर हैं, जिन्होंने इस कार्य को जीने का मकसद बना लिया है. इसमें शामिल सामाजिक कार्यकर्ता के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर लोग भी हैं. जिनके द्वारा अपना बहुमूल्य योगदान दिया जा रहा है. इसमें सहरसा के प्रशांत सिंह, सोमू आनंद, अजय मुखर्जी, सिमरी के खगेश, सुधांशु, चंदन, दीपक व विक्रम, सोनवर्षाराज के मनीष सिंह, रश्मि सिन्हा, बाबू झा, नवहट्टा के अशोक, विनोद, सलखुआ के रिगेन शर्मा, डॉ अरविंद, महिषी के दिनेश निषाद, गोपाल मुखिया, पटना के प्रेम कुमार, प्रदीप झा, अखिलेश राय, खगड़िया के सुधीर शर्मा, उदित यादव, मो फिरोज, प्रिंस झा सहित कई नाम शामिल हैं.

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