शिक्षक की नौकरी छोड़ पुलिस सेवा का चयन
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गरीबों को सुलभ न्याय देना ही प्राथमिकता : एसडीपीओ
शिक्षक की नौकरी छोड़ पुलिस सेवा का चयन सहरसा : पुलिस के सामने आमलोगों को सहमे हुए देख अजीब सा लगता था. सरकारी सेवक के सामने जनता का यह दर्द कभी रास नहीं आया. हालांकि बनारस में शिक्षा दीक्षा पूरी होने के बाद केंद्रीय विद्यालय संगठन में शिक्षक की नौकरी से व्यावसायिक जीवन की शुरुआत […]
सहरसा : पुलिस के सामने आमलोगों को सहमे हुए देख अजीब सा लगता था. सरकारी सेवक के सामने जनता का यह दर्द कभी रास नहीं आया. हालांकि बनारस में शिक्षा दीक्षा पूरी होने के बाद केंद्रीय विद्यालय संगठन में शिक्षक की नौकरी से व्यावसायिक जीवन की शुरुआत हुई. इसके बाद दो वर्ष तक झारखंड में व्याख्याता के रूप में सेवा देता रहा. इस बीच बिहार प्रशासनिक सेवा में हुए चयन ने जीवन को एक उद्देश्य देने का काम किया. रविवार को प्रभात खबर से हुई खास बातचीत में एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि पुलिस व पब्लिक के बीच मित्रवत व्यवहार रहने से समाज में पनपने वाले असंतोष को रोका जा सकता है.
एसडीपीओ ने बताया कि कई लोगों की शिकायत रहती है कि उन्हें झूठे मुकदमें में फंसा दिया गया है. ऐसे में अमूक व्यक्ति को ससमय पुलिस के वरीय अधिकारी से मिल कर आवेदन के साथ साक्ष्य उपलब्ध कराना चाहिए. इस व्यवस्था के तहत न्याय आम आदमी के दायरे में रहती है. एसडीपीओ ने बताया कि जिले में सक्रिय अपराधी व संगठित गिरोह पर पूरी नजर है.
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