कुमार आशीष
सहरसा : भारतीय प्रतिभा को पहली बार ऑस्ट्रेलिया में मिलने वाली डिजिटल लीडरशिप ऑफ द इयर अवार्ड से सम्मानित होने का मौका मिला है. सहरसा निवासी व रांची में एसडीएम पूनम झा व ई मणिकांत झा की पुत्री रोली सत्यम ने इस सम्मान की हकदार बन मिथिलांचल के इलाके को पुन: अपने गौरव पर इठलाने का अवसर दिया है. ज्ञात हो कि एमबीए स्नातक रोली को 9 अगस्त को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में आयोजित होने वाले समारोह में सम्मानित किया जायेगा. रोली को डिजिटल एनालिटिक्स में बेहतर काम करने के लिए चुना गया है. रोली सत्यम फिलवक्त मल्टीनेशन कंपनी वूल वर्थस में अपनी सेवा दे रही है.
क्या है डिजिटल एनालिटिक्स
किसी भी स्टोर में रोजाना या महीने में खरीदारी करने वाले ग्राहक को कंपनी डिजिटल एनालिटिक्स की सुविधा प्रदान करती है. इस सेवा के तहत दो-तीन बार की खरीदारी का डेटा स्टोर कर उपभोक्ता के जरुरत का आकलन किया जाता है. इसके बाद स्टोर पर पहुंचे उस ग्राहक को बगैर स्टोर सर्च किये उनकी जरुरत के समान उपलब्ध करा दिये जाते है. हालांकि अभी भारतीय कल्चर में इस प्रकार की व्यवस्था को लोग नहीं अपना रहे है. लेकिन यूरोप सहित अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में इस सिस्टम को काफी पसंद किया जा रहा है. इसी के तहत रोली के डिजिटल एनालिटिक्स को बेस्ट मानते अवार्ड के लिए नामित किया गया है.
इंटरनेट फ्रेंडली रही है रोली
शुरू से ही इंटरनेट फ्रेंडली रही रोली हमेशा कुछ नया करना चाहती थी. मार्केटिंग में एमबीए करने के बाद सबसे पहले दिल्ली के इंटरनेशनल डाटा सेंटर में जॉब किया. जहां से कंपनी ने बेहतर काम को देखते कैलिफोर्निया ट्रांसफर कर दिया. इसके बाद रोली ने बतौर प्रबंध वॉलमार्ट कंपनी को अमेरिका में अपनी सेवा दी. इसके बाद वर्ष 2015 में सिडनी पहुंच वुलवर्थ कंपनी में डिजिटल एनालिटिक्स हेड के रूप में जुड़ गयी.
स्थानीय बच्चों के लिए संदेश
रोली ने बताया कि आने वाली प्रतिभाओं को इस बात पर ध्यान देना चाहिए की स्टूडेंट लाइफ में हासिल किया गया नॉलेज प्रोफेशनल जीवन में बहुत मदद करती है. स्टूडेंट स्कूल व कॉलेज के थ्योरी को ध्यान से पढ़ने के अलावा इंटरनेट की भी मदद ले. एकाग्रता से पढ़ी गयी चीजें प्रोफेशनल लाइफ को आगे बढ़ाने में बहुत काम आती है. रोली की सफलता पर सांसद पप्पू यादव, विधायक नीरज कुमार बबलू, विधान पार्षद नूतन सिंह, पूर्व विधायक संजीव कुमार झा, आलोक रंजन, किशोर कुमार मुन्ना सहित उसके मामा हेमंत झा, रत्नेश झा ने इसे कोसी क्षेत्र की उपलब्धि बताया है.