सेमिनार. एपीआइ के राज्याध्यक्ष डॉ शर्मा ने मोटापा-मधुमेह पर रखे विचार
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खान-पान व आरामतलब जीवन शैली मेटाबोलिक सिंड्रोम का कारक
सेमिनार. एपीआइ के राज्याध्यक्ष डॉ शर्मा ने मोटापा-मधुमेह पर रखे विचार इनसान के लिए मोटापा कई रोगों का कारक होता है. मोटापा की जद में आते ही लोग मधुमेह-शुगर आदि की चपेट में आने लगते हैं. मोटापा खून में कोलेस्ट्रॉल की अिधकता आदि को मेटाबोलिक िसंड्रोम कहते हैं. पूर्णिया : मोटापा, रक्त में कोलेस्ट्राॅल की […]
इनसान के लिए मोटापा कई रोगों का कारक होता है. मोटापा की जद में आते ही लोग मधुमेह-शुगर आदि की चपेट में आने लगते हैं. मोटापा खून में कोलेस्ट्रॉल की अिधकता आदि को मेटाबोलिक िसंड्रोम कहते हैं.
पूर्णिया : मोटापा, रक्त में कोलेस्ट्राॅल की अधिकता तथा मधुमेह, इन सभी रोगों के समूह को मेटाबोलिक सिंड्रोम कहा जाता है. अनियमित खानपान, आराम तलब जीवनशैली इस सिंड्रोम का कारण है. हम जितना खाना खाते हैं यदि उसी के अनुसार कार्य नहीं करेंगे तो मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियां आपके शरीर के द्वार दस्तक देती है. इसके साथ ही दिल की बीमारी भी आपको निशाना बना लेगी. उक्त बातें एपीआइ के राज्याध्यक्ष डॉ एच एस शर्मा ने एपीआइ पूर्णिया के तत्वावधान में मधुमेह एवं मोटापा पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित करते हुए कही.
दीप प्रज्वलन के साथ सीएमइ का उद्घाटन
आइएमए हॉल में आयोजित सीएमइ का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर एपीआइ के राज्याध्यक्ष, पूर्णिया के जिलाध्यक्ष डॉ ए के पाठक,सचिव डा मो सादिक,संरक्षक डॉ डी राम,डॉ एस पी सिंह आदि ने किया.इस सेमिनार को डायबेटिक नेफरोपैथी पर डॉ भारत भूषण,टॉपिक अवैटेड,कार्डियो भस्कूलर डिजिज,केस प्रजेंटेशन पर क्रमश: डॉ यू सी सामल,डॉ अनुराग मोहन व डॉ आर के मोदी ने व्याख्यान दिया.
इस मौके पर शहर के कई फिजिशियन डॉ अजय कुमार,डॉ उमेश कुमार,डॉ प्रीतम कुमार,डॉ सी के सिंह,डॉ अरविंद कुमार, डॉ के के घोष,डॉ के के सिंह,डॉ पीएन ठाकुर,डॉ ए के यादव,डॉ एन के झा,डॉ वी पी अग्रवाल,डॉ एम के झा, डॉ वाणी कुमार, डॉ पी के सिंह, डॉ पवन कुमार मेहता,डॉ बी पी साह आदि मौजूद थे.
ओवर वेट के लोग अत्यधिक हो रहे शिकार
आइएमए हॉल में आयोजित व्याख्यान में डॉ. शर्मा ने बताया कि यदि समय पर सचेत हो जाएं तो मेटाबोलिक सिंड्रोम बीमारी से बचा जा सकता है. क्योंकि सिंड्रोम बीमारी होने के पहले की वह अवस्था है जो शरीर को रेड सिग्नल देती है. भारत में सबसे ज्यादा इसी सिंड्रोम के मरीज हैं.35 साल की उम्र में अचानक हार्ट अटैक से मौत होने का कारण ‘मेटाबोलिकली ओबीज’ है. तीन फीसदी लोग इस खतरनाक सिंड्रोम की चपेट में हैं.
सामान्य भार वाले पांच फीसदी, सामान्य से ओवर वेट के बीच के 22 फीसदी और ओवर वेट वाले 60 फीसदी लोग मेटाबोलिक सिंड्रोम के शिकार हैं. इस सिंड्रोम के होने पर इंसुलिन रजिस्टेंस, उच्च रक्तचाप, लिपिड असंतुलन की आशंका बढ़ जाती है. इससे बचने के लिए जीवन शैली बदलने की जरूरत है.
साधारण जीवन शैली है बचाव के उपाय
डा शर्मा ने बताया कि इसके तहत शरीर का वजन कम करने के लिए उपाय करना जरूरी है. तनावपूर्ण जीवनशैली, तेजी से चौड़ी होती कमर, मोटापा, धूम्रपान, तंबाकू अधिकतर रोगों की जड़ है. धूम्रपान, वसा युक्त भोजन और खाना बनाने वाले तेल-घी का दोबारा इस्तेमाल खून में कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ाते हैं.
जो हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियों में जमता है और हार्ट अटैक का कारण बनता है. शरीर पर चर्बी चढ़ने के साथ हृदय घात, मधुमेह, उच्च रक्त चाप का खतरा बढ़ता है लेकिन चर्बी चढ़ने के साथ ही बीमारी से लड़ने की क्षमता ( इम्यून सिस्टम) भी कम होने लगती है.
शरीर का भार लंबाई के अनुसार नियंत्रित रख कर इम्यून सिस्टम को ठीक रखा जा सकता है.उन्होंने बताया कि स्ट्रोक, अचानक हृदय का कार्य करना बंद कर देना, आर्थराइटिस, स्लीप एप्निया, इंसुलिन रजिस्टेंस, दिल तेज गति से धड़कना जैसी बीमारियां हो जाती हैं. डॉ. शर्मा ने बताया कि ‘सादा जीवन उच्च विचार’ को अपने जीवन में उतारना ही बीमारियों से बचने का उपाय है.
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