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पौधा संरक्षण पर दो दिवसीय कार्यशाला सह प्रशक्षिण का आयोजन

पौधा संरक्षण पर दो दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन पूर्णिया. पौधा संरक्षण पर दो दिवसीय प्रमंडलस्तरीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. बुधवार को सुधा डेयरी मरंगा के सभागार में बिहार कृषि प्रचार एवं प्रबंधन संस्थान पटना(वामिटी) की ओर से प्रायोजित एवं कृषि तकनीकी प्रबंधन संस्थान (आत्मा) पूर्णिया की ओर से आयोजित प्रमंडलस्तरीय […]

पौधा संरक्षण पर दो दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन पूर्णिया. पौधा संरक्षण पर दो दिवसीय प्रमंडलस्तरीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. बुधवार को सुधा डेयरी मरंगा के सभागार में बिहार कृषि प्रचार एवं प्रबंधन संस्थान पटना(वामिटी) की ओर से प्रायोजित एवं कृषि तकनीकी प्रबंधन संस्थान (आत्मा) पूर्णिया की ओर से आयोजित प्रमंडलस्तरीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण में प्रमंडल अंतर्गत सभी जिलों के सहायक तकनीकी प्रबंधक(एटीएम), प्रखंड तकनीकी प्रबंधक(बीटीएम) शामिल हुए. कार्यशाला सह प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए कृषि तकनीकी प्रबंधन संस्था(आत्मा) पूर्णिया के उपनिदेशक हरि मोहन मिश्र ने रबी मौसम के फसलों के पौधों के संरक्षण की वृहत जानकारी दी. आत्मा उपनिदेशक श्री मिश्र ने कहा कि रबी मौसम के फसलों के तहत मक्का, गेहूं, दलहनी, सब्जी एवं आम-लीची के पौधों को कीट-व्याधी के प्रकोपों से बचाने के लिए संरक्षण की जरूरत है. मौसम के अनुसार कीट-व्याधी का प्रकोप आत्मा उपनिदेशक श्री मिश्र ने कहा कि मौसम के अनुसार और उसकी अवधि तक कीट-व्याधी का प्रकोप होता है. आद्रता बढ़ने पर कीट-व्याधी का प्रकोप बढ़ जाता है. इसके प्रकोप से पौधों को बचाने के कई उपाय हैं. जिसमें मित्र कीटों की पहचान कर उसे संरक्षित करने एवं कीटनाशकों का प्रयोग शामिल है. इसके तहत सूक्ष्म जीवों में वैक्टैरिया और वायरस को पौधे के संरक्षण के लिए दवा के रूप में तैयार किया गया है. लेकिन पौधा संरक्षण एवं प्रसार कर्मियों में इसकी जानकारी का अभाव है. कहा कि कीटनाशक दवाओं के दुष्प्रभाव सामने आया है, जिससे किसानों के लिए समस्याएं उत्पन्न हुई है. खाद्यान्न, फल-फूल, दलहन, तेलहन एवं सब्जियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है. कीटनाशक के प्रयोग की प्रवृत्ति में बदलाव की जरूरत श्री मिश्र ने कहा कि पौधा संरक्षण के लिए किसानों को सुझाव देते समय कीटनाशक डालने की प्रवृत्ति को त्यागने की जरूरत है. कौन सा कारण है जो रोगाणुओं को बढ़ने में मदद करती है उसकी जानकारी देने की जरूरत है. किसानों की फसल नष्ट होने के कारणों की जानकारी देना आवश्यक है और इसकी पहचान भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि पेस्ट वही है जो उत्पादन को प्रभावित करता है उसमें चूहा, स्तनधारी जानवरों में गाय, बकरी, भैंसा, सांढ़, सुअर सहित मनुष्य भी शामिल है. उन्होंने कहा कि फसल नुकसान रोकने के कई उपाय है ताकि फसल काल सुरक्षित रहे. पौधा संरक्षण के कई तरीके हैं जिसमें कल्चरल, बाइलोजिकल एवं केमिकल कंट्रोल शामिल है. उन्होंने कहा कि समेकित कीट व्याधि को कीट व्याधि दवाई के रूप में चिह्नित किया गया है. किसान व्याधि कीट कंट्रोल की बात तब करते हैं जब वे क्षति पहुंचाते हैं.कीटनाशकों से होता है नुकसान पौधा संरक्षण विभाग के सतीश कुमार ने कहा कि वर्तमान समय में परिस्थिति अलग हुई है. कीटनाशक का प्रभाव साग-सब्जी पर सात दिनों तक रहता है. कीटनाशक एवं जहर वाले सब्जी सीधे बाजार में आने और उसके सेवन से नुकसान होता है. कीट व्याधि नाश का एक तरीका शस्य क्रिया है. इसके तहत खेतों की जुताई कर कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है तीखे धूप और चिडि़या की ओर से कीट-पतंगों के खाने के कारण भी कीट व्याधि से निजात मिलती है. फसलों को नष्ट करने का एक महत्वपूर्ण कारक चूहा भी है.श्री कुमार ने कहा कि वर्ष 2008 के कोशी त्रासदी के बाद कोशी क्षेत्र में चूहों का प्रकोप बढ़ा है. चूहों को खेतों से दूर रखने के लिए मेडों की कटाई-छटाई आवश्यक है. कीट प्रतिरोधी बीजों का चयन आवश्यक श्री कुमार ने कहा कि कीट-व्याधि से बचाव का एक तरीका कीट प्रतिरोधी बीजों का चयन कर उसे तैयार करना जरूरी है. बीजों का सौर उपचार भी किया जाना चाहिए. जिसके तहत बीजों को सुबह आठ से बारह बजे तक भिगो कर रखने फिर सूखा देने से होता है. उन्होंने कहा कि बीजों का उपचार एक प्रकार का बीजों का टीकाकरण है. फसल को रोक व्याधि से बचाव के लिए मित्र कीटों की पहचान भी आवश्यक है. श्री कुमार ने कहा कि किसानों की नजर में सभी कीट दुश्मन ही नजर आते हैं जबकि 8 प्रकार के मकड़े 5 से 15 प्रकार के दुश्मन कीट को खा जाते हैं. शत्रु कीट में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और कीटनाशक के प्रयोग से मित्र कीट ही मर जाते हैं. जिन क्षेत्रों में सुपर किलर का प्रयोग ज्यादा हुआ है वहां शत्रु कीटों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है. फोटो:- 23 पूर्णिया 34 एवं 35परिचय:- 34- संबोधित करते अधिकारी35- उपस्थित कृषि विभाग कर्मी

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