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पूर्णिया की सांसों में घुल रहा जहरीला धुआं खुली हवा में लोगों का सांस लेना मुश्किल

पूर्णिया : कचरा निस्तारण की मुकम्मल व्यवस्था के अभाव के कारण पूर्णिया की सांसों में जहरीला धुआं घुल रहा है. कहीं कचरे को जला कर प्रदूषण फैलाया जा रहा है तो कहीं सड़क किनारे डंप किये गये कचरे की दुर्गन्ध से वातावरण दूषित हो रहा है. आलम यह है कि कहीं घरों में लोगों का […]

पूर्णिया : कचरा निस्तारण की मुकम्मल व्यवस्था के अभाव के कारण पूर्णिया की सांसों में जहरीला धुआं घुल रहा है. कहीं कचरे को जला कर प्रदूषण फैलाया जा रहा है तो कहीं सड़क किनारे डंप किये गये कचरे की दुर्गन्ध से वातावरण दूषित हो रहा है. आलम यह है कि कहीं घरों में लोगों का दम घुट रहा है तो कहीं सड़कों पर आवाजाही करने वाले लोग प्रदूषण झेलने को विवश हो रहे हैं.

हालांकि नगर निगम ने अपने सफाईकर्मियों को सड़क किनारे जमा नहीं सख्त निर्देश दे रखा है पर सफाईकर्मी कचरा को आग के हवाले कर प्रदूषण फैला रहे हैं. इन कर्मियों को न तो किसी का न डर है और न ही उन्हें नियमों की जानकारी है. यही वजह है कि पूर्णिया के मौसम में लगातार बदलाव आ रहा है.
आलम यह है कि मनाही के बावजूद नगर निगम के कचरा उठाने वाले कर्मचारी मुख्य सड़कों के किनारे यत्र-तत्र कचरा की डंपिंग कर रहे हैं. यह काम उन इलाकों में अधिक हो रहा है जहां सड़क किनारे की निजी जमीन गड्ढे में है. पहले सड़कों के किनारे कचरा गिरा दिया जाता है और फिर उसमें आग लगा दी जाती है. इसको राख में तब्दील होने में महीनों लग जाते हैं और तब तक धुआं निकलता रहता है.
वाहनों के साथ निगम भी फैला रहा प्रदूषण
वाहनों की बढ़ती संख्या से पूर्णिया का पर्यावरण पहले ही प्रदूषित हो चुका है और अब नगर निगम के कर्मी भी प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में लगे हुए है. इस संबंध में पूछे जाने पर निगम के सफाई कर्मियों ने बताया कि अगर झाड़ू लगाने के बाद उसे नहीं जलाया गया, तो कचरा उठाने के लिए सप्ताह भर तक वहीं पड़ा रहेगा जिससे इकट्ठा किया गया कचरा फिर बिखर जाता है.
दरअसल, शहर के सभी वार्डों में कचरा उठाव की मुक्कमल व्यवस्था आज तक नहीं हो सकी है. डोर टी डोर कचरा उठाव की योजना भी फाइलों में ही सिमटी पड़ी है. नतीजतन निगम के सफाईकर्मी अपनी सूझ-बूझ से ही काम करते हैं. कई सफाईकर्मियों को प्रदूषण का मतलब तक पता नहीं. कचरा को आग के हवाले करने से मना करने पर वे अपना तर्क देते हुए निकल जाते हैं.
बायोमेडिकल कचरे से फैल रहा प्रदूषण
शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों व पैथोलॅाजी से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरा के निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. सरकारी और निजी अस्पतालों व पैथोलॅाजी से निकलने वाले बायो कचरा को सड़क किनारे कचरे के ढेर में फेंक दिया जाता है जिसकी दुर्गंध से आस पास का वातावरण दूषित हो रहा है.
शहर में एक सरकारी अस्पताल के अलावा दर्जनों निजी अस्पताल, पैथोलॅाजी और अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं. डेंटल क्लीनिक भी है और इन सभी से रोजाना काफी मात्रा में बायोमेडिकल कचरा निकलता है. इसका निस्तारण कहीं कचरे को जलाकर किया जाता है तो कहीं सड़क किनारे अथवा नगर निगम के डस्टबीन में डाल दिया जाता है.
स्वास्थ्य के लिए घातक है धुआं
चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो सड़क एवं नाले में सड़ रहे कचरे से हानिकारक गैस मिथेन, सल्फर, कार्बन डाय आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड निकलते हैं जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और ओजोन परत को क्षति पहुंचाता है. ये गैस मानव शरीर के लिए खतरनाक व जानलेवा हैं. इससे कैंसर, जेनेटिक डिजीज, चर्म रोग, सांस की बीमारी, एनिमिया, दांत, दमा, टीबी जैसी बीमारी हो सकती है
मुहल्लों में भी परेशानी का सबब बना धुएं का बवंडर
शहर के मुहल्लों से कचरा उठाव करने वाले निगम के सफाईकर्मी भी मुहल्लों में यही काम कर रहे हैं. यह शिकायत है कि मुहल्लों में कचरा का उठाव करने की बजाय एक जगह उसे जमा कर आग लगा दी जाती है. यह काम चंद मिनटों में होता है.
सफाईकर्मी आते हैं और आनन-फानन में इधर-उधर फैला कचरा समेट कर एक जगह इकट्ठा करते हैं और उसमें आग लगा कर निकल जाते हैं. फिर वे अगले हफ्ते ही आते हैं और यही प्रक्रिया अपना कर चले जाते हैं.
उनके जाने के बाद कचरा से उठने वाला धुआं पूरे मुहल्ले में परेशानी का सबब बन जाता है. लोगों का कहना है कि सड़क पर उठता धुएं का बवंडर राहगीरों की मुश्किलें तो बढ़ाता ही है साथ-साथ आस पास के घरों में भी चला जाता है जिससे लोगों का दम घुटने लगता है. सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों को होती है.
पूर्णिया को प्रदूषण मुक्त करने की मांग
पूर्णिया. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से नदी और किनारे कचरा की डंपिंग पर नियंत्रण की मांग की गई है. पूर्णिया के पर्यावरण प्रहरी की रुप में चर्चित सुमित प्रकाश ने पटना जाकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष से मुलाकात की और उन्हें पूर्णिया में फैल रहे प्रदूषण के मुतल्लिक एक ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन में सुमित प्रकाश ने कहा है कि शहर को दो भागों में बांटने वाली सौरा नदी की किनारे और यत्र-तत्र शहर का सारा अवशिष्ट, कचरा, मेडिकल वेस्ट आदि की डंपिंग कई महीनों से की जा रही है. कहा गया है कि जिले की धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर सिटी काली मंदिर तथा इंजीनियरिंग कालेज के आस पास के क्षेत्रों में लगातार पूरे शहर का कचरा डंप किया जा रहा है.
ज्ञापन में डंप किए कचरों को आग के हवाले किए जाने और धुएं के बवंडर से आम लोगों की परेशानी का हवाला देते हुए सौरा नदी को भी प्रदूषण से बचाव की मांग की गई है. इस ज्ञापन की प्रतिलिपि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव को भी दी गई है जिसमें पूर्णिया को वायु एवं जल प्रदूषण सी मुक्त करने के लिए कारगर पहल की मांग की गई है.

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