आर्थिक विकास कार्यक्रम में अनुभव साझा करने को वर्ल्ड बैंक ने भी दिया था न्योता
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पहले कामयाबी की इबारत लिखी अब पढ़ा रही आर्थिक विकास का पाठ
आर्थिक विकास कार्यक्रम में अनुभव साझा करने को वर्ल्ड बैंक ने भी दिया था न्योता कभी करती थी मजदूरी आज दे रहीं स्वरोजगार के लिए प्रेरणा पूर्णिया : एक अनपढ़ तो दूसरी महिला पांचवीं पास है. एक मजदूरी करती थी तो दूसरी घर में सिलाई-कढ़ाई का काम कर बच्चों की परवरिश करती थी. आज दोनों […]
कभी करती थी मजदूरी आज दे रहीं स्वरोजगार के लिए प्रेरणा
पूर्णिया : एक अनपढ़ तो दूसरी महिला पांचवीं पास है. एक मजदूरी करती थी तो दूसरी घर में सिलाई-कढ़ाई का काम कर बच्चों की परवरिश करती थी. आज दोनों पूर्णिया के गांव से निकल कर न केवल देश बल्कि वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं में भी महिलाओं को आर्थिक विकास का गुर सिखा रहीं हैं.
गांव से निकल पूरे देश में साझा कर रहीं अपना अनुभव
जीविका ने सुनीता की बदल दी जिंदगी : बीकोठी प्रखंड के वासुदेवपुर की सुनीता कुमारी के संघर्ष की कहानी भी कुछ कम नहीं. दो बच्चों की मां सुनीता अपने परिवार की परवरिश के लिए मनरेगा में मजदूरी करती थी. जीविका ने सुनीता की जिंदगी ही बदल दी. जब वह बड़े-बड़े कार्यक्रमों में
बोलती है तो किसी को पता तक नहीं चल पाता कि सुनीता अनपढ़ है. सुनीता कहती हैं कि 2007 में अपना स्वयं सहायता समूह बनाया. तब से अब तक इसके माध्यम से इतनी बचत कर लेती हैं कि घर परिवार आसानी से चल जाता है. आज उसके समूह में 9000 से अधिक दीदियां हैं. हाल ही में वह तमिलनाडू से लौट कर आयी हैं. देश के अन्य राज्यों में भी उनका जाना-आना अक्सर लगा रहता है.
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