गुलाबबागः मानव व्यापार और अवैध तरीके से चल रहे चकला घरों के खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही ने आखिरकार रंग दिखाया शुक्रवार को दस परिवारों ने इस धंधे से तौबा कर लिया बल्कि बजाप्ता सूचना बोर्ड लगा कर प्रशासन को लेटर भी रजिस्टर्ड कर दिया. दरअसल यह शहर के संभ्रांत और स्वच्छ समाज की परिकल्पना करने वाले लोगों की उठती आवाज और प्रशासनिक कार्यवाही का नतीजा है कि देह व्यापार के धंधे से तौबा करने वाले दस परिवारों ने मुख्य धारा से जुड़ने की लालसा के साथ देह व्यापार के दलदल को को बाय बाय कह दिया है.
मालूम हो कि जहां जिले के रौटा, हरदा, कटिहार मोड़ एवं गुलाबबाग के मुजरापट्टी तथा जीरोमाइल के लखनझड़ी जीरोमाइल लालबत्ती इलाके में यह एक अजूबा पहला हुआ है. हालांकि इस लालबत्ती इलाके में तकरीबन बीस के आस पास परिवार रहते हैं हालांकि जानकारों की माने तो तकरीबन दो दर्जन मकानों में बने कमरों में कई दूसरे जिलों के लालबत्ती इलाके की लड़कियां भी किराये पर कमरा लेकर देह व्यापार करती थी. फिलहाल पुलिस कार्यवाही के बाद सन्नाटे का गवाह बने इस लालबत्ती इलाके में सूचना बोर्ड और आवेदनों के प्रत्यक्षता के अनुरूप परिवर्तन दिखने लगा है जबकि इस धंधे में शामिल महज दस परिवारों ने ही तौबा करने की बात कही है. जानकारी के अनुसार लालबत्ती इलाके के पश्चिमी दिशा के दस परिवारों के साठ से पैंसठ सदस्यों द्वारा लगाये गये बोर्ड पर देह व्यापार बंद होने की सूचना के साथ इस नियत से उस इलाके आने वाले मनचलों को भी नहीं आने की हिदायत बोर्ड पर अंकित कर दिया गया है.
आवेदन में की अपील
लालबत्ती इलाके के दस परिवारों ने प्रशासनिक अधिकारियों को भेजे अपने आवेदन में लिखा है कि वर्षो से लालबत्ती इलाके मजलूम लड़कियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयासरत समाजसेविका नीलम जायसवाल के प्रयास से यह कदम उठाया है उन्होंने यह भी लिखा है कि हमलोग समाज के मुख्यधारा से जुड़ कर सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं बल्कि सरकारी योजनाओं के लाभ एवं स्वरोजगार की व्यवस्था की आस भी जताया है.
ग्राहकों को पकड़ पुलिस को सौंपेंगे
देह व्यापार के धंधे से खुद को अलग करने वाले परिवारों ने बोर्ड पर खुला संदेश लिख कर टांगा है यह कि इस इलाके में देह व्यापार का धंधा बंद है बोर्ड पर यह भी लिखा गया है कि इस नीयत से इस इलाके में आने वालों को पहले समझाया जायेगा तदुपरांत उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया जायेगा.
सवाल भी कम नहीं बाकियों का क्या?
दरअसल शहर के लोग लालबत्ती इलाके के दस परिवारों के इस पहल पर प्रसन्नता जाहिर तो कर रहे हैं परंतु सवाल भी कम नहीं है. स्थानीय व स्वच्छ समाज की कल्पना करने वाले लोगों में यह चर्चा सवाल बन कर खड़ा हो रहा है कि तकरीबन दो दर्जन घरों में दस ही क्यूं बाकी क्या इस धंधे में ही रहेंगे?