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जीएसटी लागू होने के बाद सोना का कारोबार अब नहीं रहा सोणा

पूर्णिया : सोना हमेशा ही खरीदार के लिए और कारोबारी के लिए सोणा रहा है. लेकिन सोना अब उतना सोणा नहीं रहा, जितना जीएसटी और सोना की खरीदारी से जुड़े केवाइसी के नियम लागू होने के बाद हो गया है. ऐसा खरीदार और कारोबारी दोनों का मानना है. दरअसल यह स्याह सच है कि जीएसटी […]

पूर्णिया : सोना हमेशा ही खरीदार के लिए और कारोबारी के लिए सोणा रहा है. लेकिन सोना अब उतना सोणा नहीं रहा, जितना जीएसटी और सोना की खरीदारी से जुड़े केवाइसी के नियम लागू होने के बाद हो गया है. ऐसा खरीदार और कारोबारी दोनों का मानना है. दरअसल यह स्याह सच है कि जीएसटी आम लोगों की समझ से आज भी बाहर है तो कारोबारियों के लिए यह जी का जंजाल बना हुआ है.

हालांकि कारोबारी इस मामले में कुछ भी प्रत्यक्ष रूप से कहने से कतराते हैं, लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड इसे स्वीकारते हैं. दरअसल जीएसटी की मार ज्वेलरी उद्योग झेल ही रहा है, हॉल मार्क की वजह से भी कुछ समस्याएं बढ़ी है और रही-सही कसर बीते माह केवाइसी के एक नये नियम के लागू होने से उत्पन्न हो गयी है. कुल मिला कर बीते माह ज्वेलरी कारोबार में लगभग 50 फीसदी की गिरावट आयी है. वहीं आगे शादी-विवाह के मुहूर्त और धनतेरस को देखते हुए कारोबारियों को भविष्य की चिंता सताने लगी है.

अब 50 हजार की खरीदारी पर चाहिए केवाइसी. यह ज्वेलरी कारोबार से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर कतई नहीं कही जा सकती है. केंद्र सरकार ने 23 अगस्त को एक नया नियम जारी कर 50 हजार रूपये से अधिक की सोने की खरीदारी पर केवाइसी को अनिवार्य कर दिया है. इतना ही नहीं इसे प्रीवेंशन ऑफ मनी लाउड्रिंग एक्ट के तहत भी ले आया गया है. दरअसल पहले केवाइसी की जरूरत 02 लाख रूपये से अधिक मूल्य की सोने की खरीदारी के लिए होती थी, जिसमें अब बदलाव किया गया है.
हालांकि यह नियम वैसे कारोबारियों के लिए है, जिनका सालाना कारोबार 02 करोड़ रूपये से अधिक का है. मतलब कि छोटे कारोबारी इसके दायरे में नहीं आयेंगे. लेकिन पूर्णिया में ही कई ऐसे कारोबारी हैं, जिनका सालाना कारोबार 02 करोड़ रूपये से अधिक है. लिहाजा ऐसे कारोबारी प्रभावित हो सकते हैं अथवा इस नियम से बचने के लिए उन्हें किसी जोड़-तोड़ की जरूरत होगी, जो संभवत: परेशानी का भी सबब बन सकता है.
जीएसटी ने तोड़ रखी है कारोबारियों की कमर. जीएसटी लागू होने के बाद सोना कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ी है. जीएसटी से पहले सोने पर एक फीसदी कर लिया जाता था, जो अब बढ़ कर तीन फीसदी हो गया है. ऐसे में ग्राहक तीन फीसदी कर देने को तैयार नहीं होते हैं. दूसरी तरफ कारोबारियों की अपनी मुश्किलें हैं. समस्या यह है कि लोग जीएसटी को समझ नहीं पा रहे हैं और उनका स्पष्ट तौर पर कहना होता है कि उन्हें पक्की रसीद नहीं चाहिए और न ही वे जीएसटी देना चाहते हैं. यह स्थिति कारोबारियों के लिए मुश्किल भरी होती है. स्पष्ट है कि जीएसटी को लेकर ग्राहकों में जागरूकता की कमी है और सारी जिम्मेवारी दुकानदार पर ही डाल दी गयी है
. आये दिन कारोबारी और ग्राहक के बीच जीएसटी को लेकर नोक-झोंक की स्थिति बनी रहती है. समस्या यह भी है कि पूर्णिया जैसे शहर पूरी तरह कृषि आधारित बाजार है, जहां लोग आकर अपने उत्पाद को नगद में बेचते हैं और नगद में ही खरीदारी करते हैं. ऐसे लोग पैन नंबर और आधार के चक्कर में नहीं पड़ कर सीधी तौर पर खरीदारी करना चाहते हैं, जो कहीं न कहीं कारोबार को प्रभावित कर रहा है.
सोने की बढ़ी कीमतों से भी कारोबार प्रभावित. बिना शादी-विवाह के लग्न के भी सोने की कीमतें आसमान छू रही है. बहरहाल बाजार में 22 कैरेट सोने के जेवर की प्रति 10 ग्राम कीमत 29,800 रूपये है. ऐसे में धनतेरस और शादी-विवाह के मौके पर बड़ी उछाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस वजह से कारोबार भी प्रभावित हुआ है. सोने के कारोबारियों की मानें तो बहरहाल धंधा मंदी के दौर से गुजर रहा है. जानकार बतलाते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो बहरहाल सोने की रेट है, उसके अनुसार यहां की रेट काफी अधिक है और समझ से परे है. बताया जाता है कि सोने की अत्यधिक कीमत का कारण सोने का ट्रेडिंग बाजार है, जहां बड़े कारोबारियों की चांदी कटती है.
कहते हैं ज्वेलरी कारोबारी. अप्सरा ज्वेलर्स के प्रोपराइटर राकेश कुमार साह कहते हैं कि जीएसटी को लेकर ग्राहकों को जागरूक करने की जरूरत है, अन्यथा कारोबार का प्रभावित होना तय है. विश्वनाथ ज्वेलर्स के प्रोपराइटर अरविंद कुमार साह भोला कहते हैं कि तीन फीसदी जीएसटी ग्राहक देना नहीं चाहते हैं. प्रत्येक महीना रिटर्न भरना छोटे व्यवसायियों से संभव नहीं है. बिक्री कर विभाग जब जांच की प्रक्रिया आरंभ करेगा तो इंस्पेक्टर राज की शुरूआत होगी. कालीपद ज्वेलर्स के प्रोपराइटर चंदन कर्मकार कहते हैं कि सरकारी नियमों का पालन करना व्यवसायियों की मजबूरी है, लेकिन यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि इससे कारोबार प्रभावित नहीं हो. वहीं मां लक्ष्मी ज्वेलर्स के प्रोपराइटर दिनकर चौरसिया कहते हैं कि जीएसटी को समझने में परेशानी हो रही है. केवाइसी के नियमों में बदलाव से भी परेशानी बढ़ेगी. लग्न व धनतेरस में ग्राहकों के रूख का पता चलेगा.
हॉल मार्क ने भी कारोबार में बढ़ायी मुश्किल
अब हॉल मार्क का जमाना है. इसका सबसे अधिक फायदा ग्राहकों को ही होता है. लेकिन हॉल मार्क की अनिवार्यता ज्वेलरी कारोबारियों के लिए आसान नहीं है. समस्या यह है कि हॉल मार्क के लिए स्थानीय स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं है. इसके लिए कारोबारियों को पटना अथवा कोलकाता का रूख करना पड़ता है. इस वजह से ग्राहकों को माल उपलब्ध कराने में भी अनावश्यक विलंब होता है. इसके अलावा हॉल मार्क तैयार करने में जो खर्च होता है, उसे भी वहन करने के लिए अधिकांश ग्राहक तैयार नहीं होते हैं. इसके बाद जीएसटी का झमेला है. कुल मिला कर अपना कारोबार बरकरार रखने के लिए कारोबारियों को कई स्तर पर समझौता करना पड़ता है, जिससे कहीं न कहीं ग्राहक भी प्रभावित होते हैं.

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