संवाददाता, पटना निस्संतान लोगों के इलाज के लिए राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) केंद्र की सुविधा शुरू होगी. इसकी योजना एम्स प्रशासन की ओर से बनायी गयी है. उम्मीद जतायी जा रही है कि इस साल के अंत तक इसका लाभ मिलना शुरू हो जायेगा. एम्स में करोड़ों रुपये की लागत से आइवीएफ सेंटर तैयार किया जायेगा. यहां टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक शुरू होने से प्रदेश भर के आर्थिक रूप से कमजोर निस्संतान दंपतियों को फायदा होगा. अगर यह सुविधा शुरू होती है, तो आइजीआइएमएस के बाद एम्स दूसरा सरकारी स्वास्थ्य संस्थान बन जायेगा, जहां यह सुविधा शुरू होगी. बताया जाता है कि एम्स के गायनी विभाग में आइवीएफ सेंटर बनाने की योजना बनायी गयी है. इसके लिए अलग से विशेषज्ञों की नियुक्ति भी की जायेगी. यह होता है आइवीएफ आइवीएफ गर्भधारण की कृत्रिम प्रक्रिया है. इससे जन्म लेने वाले बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है. विशेषज्ञों की मानें, तो यह एक सहायक प्रजनन तकनीक है. आइवीएफ ट्रीटमेंट में प्रयोगशाला में नियंत्रित परिस्थितियों में महिला के अंडाणु (एग्स) और पुरुष के शुक्राणु (स्पर्म) को मिलाया जाता है. संयोजन से जब भ्रूण बन जाता है, तब उसे महिला के गर्भाशय में रखा जाता है.
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