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खाद्य प्रसंस्करण यूनिट के लिए बिहार के किसी उद्यमी ने नहीं किया आवेदन, संभावनाओं के बावजूद वंचित रहा खगड़िया फुड पार्क

बिहार में खाद्य प्रसंस्करण यूनिट के जरिये देश ही नहीं, विदेशों में अपनी पैठ जमा सकते हैं. इससे यहां के किसानों के साथ हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.

सुबोध कुमार नंदन, पटना : राज्य के एक भी उद्यमी ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाइ) की खाद्य प्रसंस्करण एवं परीक्षण क्षमता सृजन तथा विस्‍तार (सीइएफपीसीपीसी) योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण यूनिट के लिए आवेदन नहीं किया है.

यह स्थिति तब है, जब राज्य में एक भी खाद्य प्रसंस्करण यूनिट नहीं है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर इसकी आवश्यकता जता चुके हैं. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री ने बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिशन के एक कार्यक्रम में कहा था कि बिहार में खाद्य प्रसंस्करण यूनिट के जरिये देश ही नहीं, विदेशों में अपनी पैठ जमा सकते हैं. इससे यहां के किसानों के साथ हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.

10 राज्यों के 28 खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों को मंजूरी

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायत राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई बैठक में अंतरमंत्रालयी अनुमोदन समिति ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तराखंड, असम और मणिपुर और केंद्र शासित प्रदेशों में 320.33 करोड़ रुपये के साथ 28 खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों को मंजूरी दी.

इसमें 107.42 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता भी शामिल है. ये परियोजनाएं 212.91 करोड़ रुपयों के निजी निवेश से क्रियान्वित होंगी. बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने बताया कि फूड पार्क में जो उद्यमी रहेंगे, उन्हीं को इस स्कीम का लाभ मिलेगा. लेकिन, बिहार में एक फूड पार्क खगड़िया में है.

वह पांच साल बाद भी आधा-अधूरा पड़ा है. इसलिए वहां पर उद्यमी यूनिट लगाने को तैयार नहीं हैं. इसलिए यह पार्क सफल नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि आज तक फूड पार्क का उद्घाटन भी नहीं हो सका है.

अगर इसे सफल बनाना है तो केंद्र और राज्य सरकार दोनों के स्कीम का लाभ उद्यमी को मिलना चाहिए. इसी उदासीनाता के कारण कोई उद्यमी ने स्कीम का लाभ लेने के लिए आवेदन नहीं किया.

पीएचडी चैंबर के चेयरमैन (बिहार) सत्यजीत सिंह ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिए बनाया गया स्कीम बिहार जैसे राज्य के हित में नहीं है. यह स्कीम देश भर में केवल उन लोगों के लिए बनाया गया है, जो मेगा फूड पार्क के अंदर अपनी इकाई लगायेंगे. जबकि यह नीति किसी भी राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि यह नीति देश के विभिन्न क्षेत्रों में कृषि उत्पाद पर आधारित उद्योगों की स्थापना में एक बड़ी बाधा है. इसलिए चैंबर ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से नीति में संशोधन कर इसका दायरा बढ़ाने का अाग्रह किया है. यह पत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री रेणु कुमारी को भी पत्र लिखा गया है.

खगड़िया में 150 करोड़ से बन रहा मेगा फूड पार्क

खगड़िया में 150 करोड़ रुपये से प्रिस्टीन मेगा फूड पार्क बनाया जा रहा है. इसमें पांच हजार मीट्रिक टन का मल्टीप्रोडक्टस कोल्ड स्टोर बनकर तैयार है. तीन मंजिला कोल्ड स्टोर में एक लाख बोरे एक साथ स्टोर किये जा सकते हैं.

इस कोल्ड स्टोर में फल से लेकर सब्जी आदि को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की सुविधा है. यहां पर दो मीट्रिक टन क्षमता की एक प्रोसेसिंग यूनिट भी बनायी गयी है. इस यूनिट में फल-सब्जियों की प्रोसेसिंग के साथ-साथ पैकिंग की भी सुविधा है. इस फूड पार्क में 34 फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाये जाने हैं.

मंत्री ने उद्घाटन करने से कर दिया था इन्कार

मेगा फूड पार्क परियोजना को उस वक्त बड़ा (29 नवंबर, 2018) झटका लगा, जब तत्कालीन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसका उद्घाटन करने से इन्कार कर दिया. साथ ही उन्होंने फूड पार्क को दिये जा रहे केंद्र के अनुदान पर भी रोक लगा दी थी.

आयोजकों ने एक दिन तय करके एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया और उसमें केंद्रीय मंत्री को पार्क का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया. लेकिन, निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि फूड पार्क का एक बड़ा हिस्सा अभी अधूरा पड़ा है. अधूरे काम को देखकर वह आयोजकों पर भड़क उठीं और फूड पार्क का उद्घाटन करने से इन्कार कर दिया.

Posted by Ashish Jha

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