20 साल बाद बिहार का ‘होम-शिफ्ट’, नीतीश की सबसे बड़ी पहचान, पहली बार BJP के पास?

BJP Bihar Strategy: बिहार की सियासत में इन दिनों सबसे बड़ी चर्चा गृह विभाग को लेकर है. 20 साल बाद पहली बार यह विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से निकलकर बीजेपी खाते में चला गया है. और सबसे चौंकाने वाली बात यह विभाग सीधे बीजेपी के अगले मुख्‍यमंत्री के संभावित चेहरा सम्राट चौधरी को मिला है. इस फैसले के बाद कई राजनीतिक सवाल उठ रहे हैं. क्या नीतीश की पकड़ कमजोर हुई है? क्या बीजेपी बिहार में नया पावर सेंटर बना रही है? क्या सम्राट चौधरी को फ्यूचर सीएम चेहरा बनाकर टेस्ट किया जा रहा है?

By Keshav Suman Singh | November 22, 2025 11:43 PM

Bihar Home Ministry: बिहार में गृह विभाग सिर्फ एक मंत्रालय नहीं है. दरअसल, यह सत्ता की कमान है. पुलिस, इंटेलिजेंस, कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण… सब कुछ इसी विभाग के पास है. नीतीश कुमार ने 20 साल में यह विभाग कभी किसी और को नहीं दिया. लेकिन इस बार यह तस्वीर बदल गई. यह बदलाव सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

विजय सिन्हा क्यों नहीं, सम्राट ही क्‍यों?

यह सवाल राजनीतिक गलियारों में सबसे ज्यादा पूछा जा रहा है. इस सवाल की गूंज तो चौक चौराहों पर है. बिहार की रगों में राजनीति WBC (सफेद रक्‍त कणिका) लिहाजा इस बात की चर्चा पटना सिटी की चाय की दुकानों पर आम है. माना जा रहा है. इसके 2 बड़े कारण हैं.

BJP सम्राट को फ्यूचर लीडर के रूप में तैयार कर रही है 

सम्राट चौधरी आक्रामक नेता हैं, OBC बैकग्राउंड से आते हैं, संगठन में मजबूत पकड़ बनाने में सफल दिखाई दे रहे हैं और युवा भी हैं. लिहाजा, BJP इन्हीं गुणों को आधार बनाकर उन्हें बड़ा रोल देने का मन बना रही है.

विपक्ष के दौर में सम्राट कानून-व्यवस्था पर BJP का सबसे तीखा चेहरा थे 

जब बीजेपी और जेडीयू अलग हुई थी, तब सम्राट चौधरी जेडीयू पर सबसे ज्‍यादा आक्रामक थे. उनके निशाने पर सीधे-सीधे मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ही थे. उन्होंने पगड़ी तक बांध ली थी. सम्राट कानून व्‍यवस्‍था और नीतीश कुमार के गृह विभाग पर सबसे ज्‍यादा आक्रामक थे. अब वही विभाग उनके पास है. यानी पार्टी ने उन्हें सीधे परफॉर्मेंस की जिम्मेदारी सौंप दी है.

क्या बिहार में अब UP मॉडल की एंट्री होने वाली है?

अब बिहार की राजनीतिक फिजा में एक बड़ा सवाल ये है कि BJP बिहार में उत्तर प्रदेश का मॉडल लाना चाहती है. जहां प्रशासन सख्‍त हो, अपराध पर तुरंत एक्शन हो, पुलिस एक्शन में रहे, फास्ट ट्रैक रिस्पांस हो और अपराधियों पर सीधी कार्रवाई हो. ताकि जनता का विश्वास जीता जाए. अपराधियों में डर पैदा हो और बीजेपी के वोट बैंक के भीतर सुरक्षा का भाव मजबूत हो.

कानून और घुसपैठियों पर विपक्ष को जवाब देने की तैयारी

बीजेपी जानती है कि आने वाले चुनाव में विपक्ष सबसे बड़ा मुद्दा कानून-व्यवस्था और बांग्लादेशियों की घुसपैठ को बनाएगा. इसी बार उसने एसआईआर को लेकर चुनावी माइलेज लेने की कोशिश की. ये अलग बात है कि जनता ने इसे नकार दिया. मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मधुबनी के मंच से ऐलान किया कि घुसपैठियों और अवैध कब्जों से बिहार की जमीन को मुक्त कराया जाएगा. जिन जमीनों पर कब्जा है, उन्हें मालिकों को लौटाया जाएगा. इसलिए गृह विभाग पर बीजेपी का कंट्रोल जरूरी था.

सम्राट चौधरी के लिए टेस्टफायर?

गृह विभाग किसी भी राज्य में चुनौती भरा मंत्रालय माना जाता है, लेकिन बिहार में यह सीधे परफॉर्मेंस का मैदान है. सम्राट चौधरी के सामने तीन चुनौतियां हैं: अपराध नियंत्रण, BJP की उम्मीदों पर खरा उतरना और अपने नेतृत्व की क्षमता साबित करना. अगर वे सफल होते हैं, तो BJP उन्हें बड़े चेहरे के रूप में पेश कर सकती है. असफलता की स्थिति में राजनीतिक समीकरण बदलना तय है.

नीतीश कुमार ने गृह विभाग छोड़ा क्यों?

यह सबसे दिलचस्प सवाल है कि सीएम नीतीश ने जिस विभाग को 20 साल तक किसी के हाथ नहीं जाने दिया, उसे एक झटके में क्यों छोड़ दिया? क्या नीतीश और धर्मेंद्र प्रधान के बीच कोई डील हुई? आम लोगों और राजनीतिक हलकों में चर्चा अलग-अलग है. इसके तीन कारण बताए जा रहे हैं.

प्रशासनिक थकान

शायद सीएम नीतीश अब हर मोर्चे पर खुद नहीं उतरना चाहते.

NDA में पावर-संतुलन बनाए रखना

बीजेपी अब पहले की तुलना में काफी मजबूत स्थिति में है. नीतीश शायद अपने लिए राजनीतिक स्पेस सुरक्षित रखना चाहते हों, जहां से वो भविष्य में दबाव बना सकें.

अपराध पर होने वाली आलोचना से बचना

माना जा रहा है कि अगर आगे कानून-व्यवस्था बिगड़ती है, तो अब विपक्ष का निशाना BJP होगी, नीतीश नहीं. यानी यह राजनीतिक जोखिम कम करने की रणनीति भी हो सकती है.

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असली खेल क्या है?

कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में NDA का नियंत्रण धीरे-धीरे बीजेपी अपने हाथ में लेना चाहती है. इसके लिए वह अगला CM चेहरा तैयार कर रही है. आने वाले महीनों में बिहार की सबसे बड़ी खबर कानून-व्यवस्था का परफॉर्मेंस होगा. गृह विभाग कांटों भरा ताज है—जो नेताओं को चमका देता है और कई बार राजनीतिक करियर भी खत्म कर देता है. नीतीश कुमार को 10वीं बार मुख्यमंत्री बनाने में इसी विभाग की छवि का बड़ा योगदान था. अब यही विभाग बीजेपी और सम्राट चौधरी को कितनी सफलता देता है, यह आने वाला समय बताएगा.