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उपेंद्र कुशवाहा के बाद अब नरेंद्र सिंह से हुई नीतीश कुमार की मुलाकात, सियासी गलियारे में तरह तरह की चर्चा

मौका शादी का था, लेकिन चर्चा सियासी हो रही थी. नरेंद्र सिंह से मीडिया ने जब पूछा कि क्या बात हुई.

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार की बिहार में एक बार फिर सरकार बन गयी है, लेकिन जदयू अध्यक्ष अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं. ऐसे में उनका पुराने मित्रों से मिलना सियासी गलियारे में चर्चा का विषय है.

पिछले दिनों जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार की रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात हुई. इधर रविवार को पटना में नरेंद्र सिंह के एक रिश्तेदार की शादी थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उस शादी में पहुंचे. शादी में नीतीश कुमार और नरेंद्र सिंह साथ साथ बैठे और दोनों में लंबी गुफ्तगू हुई.

मौका शादी का था, लेकिन चर्चा सियासी हो रही थी. नरेंद्र सिंह से मीडिया ने जब पूछा कि क्या बात हुई. उन्होंने कहा कि शादी में मुलाकात का विशेष अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिये. कुछ माह पहले ही नरेंद्र सिंह ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके ये कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें मिलने तक का समय नहीं दे रहे हैं, लेकिन रविवार को दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई.

सूत्रों की माने तो करीब एक सप्ताह पहले ही नीतीश कुमार ने खुद फोन कर नरेंद्र सिंह से लंबी बातचीत की थी. इसके बाद नीतीश कुमार नरेंद्र सिंह के एक संबंधी की शादी में पहुंचे, जहां दोनों के बीच काफी देर तक गुफ्तगू होती रही. नीतीश कुमार ने नरेंद्र सिंह को साथ आने की सलाह दी है.

वैसे नरेंद्र सिंह के पुत्र व चकाई विधानसभा से निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की सरकार का समर्थन कर रहे हैं. सुमित सिंह ने तब कहा भी था कि वह सीएम नीतीश के समर्थन में हैं.

नरेंद्र सिंह ने यह बात मानी थी कि इस मुलाकात से पहले मुख्यमंत्री के साथ टेलीफोन पर उनकी लंबी बातचीत हुई थी. उन्होंने यह भी बताया था कि मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा कि आप क्या सोच रहे हैं? मैंने उस दिन भी उन्हें यही जवाब दिया था कि उनकी राजनीति शुरू से किसानों-मजदूरों पर केंद्रित रही है और आगे भी उसी दिशा में काम करेंगे.

नरेंद्र सिंह को इस बात की नाराजगी है कि उनके दोनों पुत्र अमित कुमार सिंह और सुमित कुमार सिंह क्रमश: जदयू और भाजपा में थे, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दोनों घटक दलों ने पुत्रों को इस साल के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया.

नरेंद्र सिंह से नीतीश का रिश्ता काफी गहरा रहा है. 2005 में नरेंद्र सिंह लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. लोजपा विधायक दल में टूट और सरकार बनाने के लिए नीतीश को समर्थन दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.

बाद में उन्हें विधान परिषद में भेज कर नीतीश ने अपने कैबिनेट में शामिल किया. वे 2015 तक मंत्री रहे. बाद के दौर में सियासत बदली और जीतनराम मांझी के साथ ही नरेंद्र सिंह भी जदयू से अलग हो गये थे.

हालांकि उनके पुत्र निर्दलीय विधायक सुमित ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में उन्होंने राजग उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में मतदान किया था, ऐसे में अब कुशवाहा-नीतीश मुलाकात के बाद पुराने मित्र नरेंद्र सिंह और नीतीश की मुलाकात चर्चा में है.

जानकारों की मानें तो चुनाव खत्म होते ही नीतीश कुमार के तेवर बदल गये हैं. नीतीश कुमार ने खुद पहल कर उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू में आ जाने का न्योता दिया है. हालांकि कुशवाहा कह रहे हैं कि उन्होंने जेडीयू में अपनी पार्टी के विलय पर कोई फैसला नहीं लिया है.

Posted by Ashish Jha

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