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बिहार को मिले विशेष राज्य का दर्जा सात निश्चय योजना में केंद्र करे मदद : नीतीश

नयी दिल्ली : नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार सहित पिछड़े राज्याें को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने रघुराम राजन कमेटी की सिफारिशों के मद्देनजर यह मांग उठायी जिसमें कहा गया है कि पिछड़े राज्यों के विकास के लिए केंद्र को अतिरिक्त सहायता […]

नयी दिल्ली : नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार सहित पिछड़े राज्याें को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने रघुराम राजन कमेटी की सिफारिशों के मद्देनजर यह मांग उठायी जिसमें कहा गया है कि पिछड़े राज्यों के विकास के लिए केंद्र को अतिरिक्त सहायता मुहैया करानी चाहिए. साथ ही सीएम ने कहा कि 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी कम कर दी गयी है.
वास्तविकता में 14 वें वित्त आयोग की सिफारिश के बाद बिहार को अधिक फायदा नहीं हुआ है. 2015-16 में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत बिहार को 23988 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया, लेकिन राज्य को 15923 करोड़ रुपये ही मिले. उसी तरह 2016-17 में राज्य को 28777 करोड़ रुपये अनुमोदित किया गया, जबकि राज्य को मिले सिर्फ 17123 करोड़ रुपये. इससे दो वित्तीय वर्ष में बिहार को 19690 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सीएम ने सात िनश्चय योजना को लागू करने के िलए केंद्रसे मदद की भी मांग की है.
केंद्र प्रायोजित योजनाओं के पैटर्न में बदलाव राज्य हित में नहीं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय विकास एजेंडा से संबंधित 21 केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तीय पैटर्न में बदलाव से राज्यों का विकास प्रभावित हो रहा है. नये नियमों के तहत इसमें केंद्र 60 फीसदी और राज्यों की 40 फीसदी हिस्सेदारी सुनिश्चित की गयी है
इस बदलाव से राज्य को 2015-16 में केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 4500 करोड़ रुपये और 2016-17 में 4900 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा. इससे राज्यों को अपनी योजनाओं पर पैसा खर्च करने में कमी का सामना करना पड़ रहा है. नीतीश कुमार ने 12 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत बीआरजीएफ के तहत मिलने वाली राशि की कटौती को लेकर आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि 12 वीं योजना के तहत राज्य को 12 हजार करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी थी, लेकिन राज्य को सिर्फ 6934.21 करोड़ रुपये ही मिले हैं. इस योजना के तहत मिलने वाली बाकी राशि तत्काल मुहैया कराने की मांग उन्होंने की. उन्होंने कहा कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत राज्य को विशेष सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया, लेकिन इसपर अमल नहीं हो रहा है.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के लंबित योजनाओं में केंद्र दे पूरा सहयोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 250 लोगों की आबादी वाले गांवों को सड़क से जोड़ने को मंजूरी दी गयी है. लेकिन गैर उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में भी इसे लागू किया जाना चाहिए.इस योजना के तहत पहले चरण की योजनाओं में केंद्र सरकार पूरा खर्च वहन करती थी, लेकिन इसे अब 60:40 कर दिया गया है. ऐसे में पहले चरण के तहत लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए केंद्र को पुराने पैटर्न पर ही वित्तीय भुगतान करना चाहिए. केंद्र सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में लगे लोगों जैसे आंगनबाड़ी सेविका, मिड डे मील के रसोइयों का मानदेय बढ़ाना चाहिए. केंद्र सरकार ने पिछले कई सालों से इसमें वृद्धि नहीं की है और राज्य अपने हिस्से से मानदेय बढ़ाकर दे रहे हैं. इससे राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है. साथ ही उन्होंने गरीबी उन्मूलन, किसानों की आय को दोगुना करने के लिए राज्यों को केंद्रीय सहयोग देने की भी मांग की.

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