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पटना एम्स में दो साल में हुए महज 25 रिसर्च

आनंद तिवारी पटना : पढ़ाई, स्टूडेंट की क्वालिटी, सुविधा से लेकर रिसर्च में पटना एम्स लगातार पीछे चल रहा है. पटना के दो मेडिकल कॉलेज पीएमसीएच व आइजीआइएमएस रिसर्च के मामले में एम्स से काफी आगे हैं. मेडिकल कॉलेजों की एथिकल कमेटी व डीन कार्यालय की जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. […]

आनंद तिवारी

पटना : पढ़ाई, स्टूडेंट की क्वालिटी, सुविधा से लेकर रिसर्च में पटना एम्स लगातार पीछे चल रहा है. पटना के दो मेडिकल कॉलेज पीएमसीएच व आइजीआइएमएस रिसर्च के मामले में एम्स से काफी आगे हैं.

मेडिकल कॉलेजों की एथिकल कमेटी व डीन कार्यालय की जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. तीनों मेडिकल कॉलेज के एथिकल कमेटी व डीन कार्यालय की रिसर्च रिपोर्ट देखें, तो एम्स में रिसर्च का रेशियो काफी नीचे है. इससे एम्स में हो रहे मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. इतना ही नहीं पटना एम्स के साथ शुरू हुए छह एम्स में रायपुर को छोड़ दें, तो बाकी सभी पटना एम्स से रिसर्च रैंकिंग में आगे चल रहे हैं.

दो साल में हुए महज 25 रिसर्च

संस्थान के डीन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पटना एम्स में पिछले दो साल में 25 रिसर्च हो चुके हैं. इनमें कुछ रिसर्च नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर प्रकाशित हुए हैं. अधिकारियों की मानें, तो अब तक 100 से अधिक रिसर्च हो जाने चाहिए थे, जबकि यहां वर्तमान समय में बड़े लेवल का रिसर्च भी नहीं हो रहा है.

आइजीआइएमएस में ढाई साल में 200 रिसर्च : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) रिसर्च के मामले में नंबर वन पोजिशन पर है. यहां पिछले ढाई साल में 200 रिसर्च हुए हैं, जबकि 30 रिसर्च नेशनल स्तर व 10 रिसर्च इंटरनेशनल स्तर पर प्रकाशित हुए हैं. यहां सबसे अधिक गाॅल ब्लाडर में कैंसर, पेट में इन्फेक्शन, गाॅल ब्लाडर में पथरी, कैंसर की दवाओं की गुणवत्ता पर रिसर्च प्रकाशित हुए हैं. वहीं पीएमसीएच में पिछले दो साल में करीब 150 से अधिक रिसर्च हो चुके हैं. एम्स की तुलना में इन दोनों मेडिकल कॉलेजों में रिसर्च का लेवल काफी अधिक है.

रिसर्च में पीछे होने का यह है कारण : रिसर्च रैंकिंग में पीछे होने का सबसे बड़ा कारण यहां की बदहाली है.

अस्पताल सूत्रों की मानें, तो यहां रिसर्च के लिए आवश्यक उपकरण ही नहीं हैं. पीइटी स्कैन, ऑटो एनालाइजर सहित कई महत्वपूर्ण उपकरण कॉलेज में नहीं हैं. एमआरआइ को लगे महज एक महीना ही हुआ है. ऐसे में छात्र बिना उपकरण के ही रिसर्च करते हैं और उनको पेपर प्रजेंट करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, जो उपकरण चल रहे हैं, उनके इस्तेमाल के लिए भी पीजी छात्रों को रुपये खर्च करने पड़ते हैं.

इस लिए कई छात्र रिसर्च करने में पीछे हटते हैं.

रिसर्च में सही गाइड का इस्तेमाल नहीं : सूत्रों की मानें, तो छात्रों को रिसर्च के लिए सही गाइड नहीं मिल पाता है. यहां सर्जरी के अलावा कई ऐसे विभाग हैं, जहां रिटायर हुए प्रोफेसरों को गाइड बना दिया जाता है. नतीजा छात्रों को कई तरह की दिक्कतें आती हैं. एमसीआइ के मानक को देखें, तो रिसर्च के लिए विभाग का एचओडी या फिर सीनियर प्रोफेसर ही मान्य होता है. लेकिन कई ऐसे मेडिकल छात्र हैं, जिनको रिटायर प्रोफेसर के अंडर में रिसर्च करना पड़ता है.

आइजीआइएमएस

संस्थान का फोकस मेडिकल की बेहतर सुविधा व पढ़ाई पर हमेशा रहता है. यही वजह है कि पिछले ढाई साल में हमारे यहां 200 से अधिक रिसर्च हुए हैं. 30 ऐसे रिसर्च हैं, जो नेशनल व इंटरनेशनल स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं. कई बड़े रिसर्च पर काम भी चल रहा है. रिसर्च का लेवल और आगे ले जाना है.

डॉ मनीष मंडल, एथिकल कमेटी, आइजीआइएमएस

पीएमसीएच

रिसर्च कराने के लिए छात्रों को अधिक-से-अधिक सुविधा मुहैया करायी जा रही है. पीएमसी में रिसर्च काफी अधिक हो रहा है. यहां थीसिस भी अधिक जमा होते हैं. यही वजह है कि नेशनल लेवल पर इसकी रैकिंग काफी अच्छी होती है. उम्मीद है कि अगली बार कॉलेज का स्थान रिसर्च में और अच्छा आयेगा.

डॉ एसएन सिन्हा, प्रिंसिपल, पीएमसीएच

एम्स डायरेक्टर

एम्स में जो परेशानियां आ रही हैं, उन्हें जल्द ही दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. हमारा पहला फोकस डॉक्टरों की बहाली व कंस्ट्रक्शन के काम को जल्द-से-जल्द पूरा कराना है. डॉक्टरों की बहाली के लिए विज्ञापन भी निकाला जा चुका है. बहुत जल्द सभी समस्याएं दूर हो जायेंगी व पढ़ाई व रिसर्च में भी बेहतर सुधार आयेगा.

डॉ पीके सिंह, डायरेक्टर, एम्स, पटना

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