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साक्षर होने का ऐसा जज्बा कि दुधमुंहें बच्चे को भी परीक्षा हॉल में ले आयी मां
साक्षरता महापरीक्षा. पूरे राज्य में 18.36 लाख ने दी परीक्षा, 15 दिनों में रिजल्ट 94,700 परीक्षार्थियों ने कराया रजिस्ट्रेशन, पर शामिल हुए 74,685 परीक्षार्थी पटना : रविवार को पटना जिले में 355 केंद्रों पर साक्षरता महापरीक्षा का आयोजन हुआ. इसमें 20,015 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे. जिले से 94,700 परीक्षार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 74,685 ही […]
साक्षरता महापरीक्षा. पूरे राज्य में 18.36 लाख ने दी परीक्षा, 15 दिनों में रिजल्ट
94,700 परीक्षार्थियों ने कराया रजिस्ट्रेशन, पर शामिल हुए 74,685 परीक्षार्थी
पटना : रविवार को पटना जिले में 355 केंद्रों पर साक्षरता महापरीक्षा का आयोजन हुआ. इसमें 20,015 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे. जिले से 94,700 परीक्षार्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 74,685 ही उपस्थित हुए. 355 में 16 परीक्षा केंद्र ही पटना सदर यानी शहरी इलाके में थे. अधिकतर परीक्षा केंद्र ग्रामीण इलाकों में रखे गये थे. पूरे राज्य में रविवार हो हुई बुनियादी साक्षरता परीक्षा में 18.36 लाख साक्षर शामिल हुए.
पटना जिला साक्षरता मिशन के जिला कार्यक्रम समन्वयक शैलेश कुमार ने बताया कि इस परीक्षा का रिजल्ट 15 दिनों में आ जायेगा.
ज्ञात हो कि हर छह महीने पर साक्षरता मिशन के तहत परीक्षा ली जाती है. महिलाओं में परीक्षा देने का उत्साह दिखा. कोई बच्चे के साथ तो कोई पिता को साथ लेकर साक्षरता महापरीक्षा देने परीक्षा केंद्र पर पहुंचे थे. महिलाएं बच्चे को बगल में बैठा कर परीक्षा दे रही थी तो वहीं कई महिलाओं के गोदी मे भी बच्चे नजर आ रहे थे. पटना जिला के शहरी क्षेत्र में 14 सौ परीक्षार्थी शामिल हुए तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र में 73 हजार 285 परीक्षार्थी शामिल हुए. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के संयुक्त सचिव सह महानिदेशक अजय तिरके पटना के जमालुद्दीन चक मध्य विद्यालय, दानापुर का निरीक्षण किया.
पटना. स्कूल के बारे में सुना था कि वहां पर पढ़ाई होती है, लेकिन कभी देखी नहीं था. एक दिन जिज्ञासा बस स्कूल पहुंच गयी. पूछा तो पता चला कि यहां पर पढ़ाई करने से अंगूठा नहीं लगाना पड़ेगा. फिर क्या हर दिन स्कूल आना शुरू कर दी. अब पेंशन लेने के लिए अंगूठा नहीं लगाना पड़ता है. शेखपुरा मध्य विद्यालय परीक्षा केंद्र से परीक्षा देकर निकली 50 वर्षीय कुसुम देवी ने सारे प्रश्नों का उत्तर दिया. हिंदी तो सीख ली, अब अंगरेजी सीखना चाहती है. अक्षरों से अनजान कुसुम देवी साक्षर हो चुकी हैं और आज-कल अपनी नतिनी को ट्यूशन भी दे रही है.
साक्षर हुई, तो जूली की शादी हो गयी तय : जूली के परिवार वाले उसके लिए लड़का खोज रहे थे. लेकिन, उसे कोई पसंद नहीं करता था, क्योंकि जूली पढ़ी-लिखी नहीं थी. इसके बाद जूली ने साक्षरता मिशन के तहत नामांकन लिया. छह महीनेमें साक्षर होते ही जूली की शादी तय हो गयी. जूली ने बताया कि अब मैं हस्ताक्षर कर लेती हूं और आगे भी पढ़ाई करूंगी.
अंगूठा छाप का हटा धब्बा
अंगूठा छाप कह कर लोग चिढ़ाते थे. हिसाब-किताब में भी दिक्कत होती थी. लेकिन, अब मैं भी पढ़ना-लिखना जान गयी हूं. शेखपुरा की 30 वर्षीया चंदा खातून ने बताया कि हस्ताक्षर करने नहीं आता था. लेकिन अब सीख गयी हूं. अब अंगूठा छाप का धब्बा हट गया है. कहीं पर भी काम होता, तो हस्ताक्षर करती हूं.
कविता लिख कर बतायी अपनी प्रतिभा
मैं हूं आज की लड़की, पत्थर को नहीं पुजूंगी, माता-पिता की करूंगी पूजा… कविता लिख कर रूपा कुमारी ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया. रूपा शेखपुरा मध्य विद्यालय स्थित केंद्र पर परीक्षा दे रही थीं. तीन लाइन की इस कविता में रूपा कुमारी ने माता-पिता के महत्व को बताया. परीक्षा के दौरान एक कॉलम में गीत या किसी कविता की तीन लाइन लिखने को कहा गया था.
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