पटना : घुटनों में दर्द होता है तो चलना तो दूर खड़े होना भी मुश्किल हो जाता है, बदलते ट्रेंड के चलते नी रिप्लेसमेंट के लिए एक से एक लेटेस्ट तकनीक की मशीनें आ गयी हैं. इन दिनों खासकर जर्मन तकनीक की गोल्ड नी रिप्लेसमेंट सर्जरी प्रचलन में है. इससे मरीज का घुटना मजबूत व सालों तक ठीक रहता है. यह कहना है ऑर्थोपेडिक्स व ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के डॉ संतोष कुमार का. रविवार को गांधी मैदान स्थित आइएमए हाल में नी रिप्लेसमेंट पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इंडियन
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नी रिप्लेसमेंट से दूर हो सकता है घुटनों का दर्द, इलाज के बाद दौड़ रहे मरीज
पटना : घुटनों में दर्द होता है तो चलना तो दूर खड़े होना भी मुश्किल हो जाता है, बदलते ट्रेंड के चलते नी रिप्लेसमेंट के लिए एक से एक लेटेस्ट तकनीक की मशीनें आ गयी हैं. इन दिनों खासकर जर्मन तकनीक की गोल्ड नी रिप्लेसमेंट सर्जरी प्रचलन में है. इससे मरीज का घुटना मजबूत व […]
मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आयोजित इस सेमिनार का उद्घाटन चीफ गेस्ट डॉ विजय नरायण सिंह ने किया.
25 साल तक घुटने के दर्द से मिलता है छुटकारा : वहीं स्पाइन सर्जन डॉ दिनेश अग्रवाल ने कहा कि स्टैंडर्ड नी रिप्लेसमेंट क्रोम कोबाल्ट व टाइटेनियम की लेयर से तैयार की जाती है. स्टैंडर्ड नी की लाइफ 20 से 25 साल तक की है. इसके अलावा जर्मन टेक्नीक की गोल्ड नी
रिप्लेसमेंट भी तेजी से इस्तेमाल हो रहा है. नी रिप्लेसमेंट में ज्यादा से ज्यादा दो हफ्ते का समय लगता है. इतना ही नहीं 90 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो ऑपरेशन कराने के बाद आसानी से चल फिर रहे हैं. इतना ही नहीं कई ऐसे लोग हैं जो दौड़ भी रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अभी भी लोगों के पास जागरूकता की कमी है. खासकर ग्रामीण एरिया में कई एेसे लोग हैं जो रिप्लेसमेंट कराने से डरते हैं. ऐसे में इन लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. यह 100 प्रतिशत सफल तकनीक है. वहीं आइएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कहा कि कॉन्फ्रेंस कराने का मुख्य उद्देश्य पटना सहित पूरे बिहार में लोगों को नी रिप्लेसमेंट के प्रति जागरूक करना था.
पांच दिनों में मरीज को मिल जाती है छुट्टी :
डॉ हरिहर दीक्षित ने कहा कि मरीज को सिर्फ इस सर्जरी से पांच दिन बाद ही छुट्टी दे दी जाती है. उन्होंने कहा कि नी रिप्लेसमेंट की उन्नत प्रकृति की इस तकनीक से सर्जरी में कम समय लगता है, खून कम बहता है व सर्जरी के बाद जटिलताएं कम होती हैं और चीरा भी कम लगाना पड़ता है. इस मौके पर काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
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