पटना :बिहार सरकार सभी धर्मों के लोगों से विचार विमर्श के बाद ही समान नागरिक संहिता (कामन सिविल कोड) पर अपना फैसला लेगी. राज्य कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मत से यह निर्णय लिया गया. कैबिनेट ने यह तय किया कि इस अति संवेदनशील मसले पर सभी धर्म के लोगों से विचार विमर्श के बिना इस संबंध में कोई निर्णय लेना उचित नहीं है.
राज्य सरकार अपने इस निर्णय से केंद्र को अवगत करा देगी. कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए मंत्रिमंडल समन्वय विभाग के संयुक्त सचिव यूएन पांडेय ने बताया कि भारत सरकार के विधि आयोग ने देश के सभी राज्यों के नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड के लिए 16 सूत्री प्रश्नावली पर राज्य सरकार से सुझाव मांगा है.
उन्होंने बताया कि देश के संविधान के अनुच्छेद- 44 में यह अपेक्षा किया गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान सिविल संहिता का प्रयास होगा. इस उद्देश्य से विधि आयोग द्वारा सभी धार्मिक संप्रदायों के लिए एक समान सिविल संहिता की उपयोगिता पर विचार कर रहा है. राज्य सरकार ने विमर्श के बाद पाया है कि इस मुद्दे पर अब तक किसी समुदाय या संप्रदाय के बीच चर्चा नहीं हुई है. देश में सदियों से विभिन्न धर्म के लोगों के बीच विभिन्न प्रकार के रीति रिवाजों का प्रचलन रहा है. मात्र हिंदू धर्म में ही व्यक्तिगत विधि की संहिता है. अन्य धर्म के लोग अपनी-अपनी रीति रिवाज और नियमों से बंधे हैं. उनमें से किसी ने भी इसमें बदलाव या संशोधन की बात नहीं उठायी है.
शादी-विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति का अधिकार आदि को लेकर इनमें अलग-अलग प्रावधान आज भी लागू हैं. ऐसी स्थिति में समान सिविल संहिता की संभावना पर सभी प्रभावित होने वालों से विचार विमर्श के बिना किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सकता है.