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पटना सिटी की सरिता व मुजफ्फरपुर के लालबाबू हैं आज के श्रवण कुमार

पटना : महावीर मंदिर की ओर से माता-पिता की नि:स्वार्थ शारीरिक सेवा के लिए दिये जानेवाले श्रवण कुमार पुरस्कार की घोषणा मंगलवार को कर दी गयी. मंदिर को एक लाख रुपये के पहले पुरस्कार के लिए कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिला. लेकिन, दूसरा पुरस्कार पटना सिटी के गुजरी बाजार की सरिता गुप्ता व तीसरा पुरस्कार […]

पटना : महावीर मंदिर की ओर से माता-पिता की नि:स्वार्थ शारीरिक सेवा के लिए दिये जानेवाले श्रवण कुमार पुरस्कार की घोषणा मंगलवार को कर दी गयी. मंदिर को एक लाख रुपये के पहले पुरस्कार के लिए कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिला. लेकिन, दूसरा पुरस्कार पटना सिटी के गुजरी बाजार की सरिता गुप्ता व तीसरा पुरस्कार मुजफ्फरपुर स्थित कांटी थाने के शाहबाजपुर निवासी लालबाबू सिंह को दिया जायेगा.
सरिता गुप्ता को 50 हजार रुपये, जबकि लालबाबू को 25 हजार रुपये नकद व प्रशस्ति पत्र मिलेंगे. प्रोत्साहन पुरस्कार मधुबनी जिला के दुर्लाखी प्रखंड स्थित कुलहर गांव निवासी रामनाथ पांडेय को मिलेगा. यह पुरस्कार अगले माह दिये जायेंगे. महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणााल ने बताया कि श्रवण कुमार पुरस्कार के चयन को लेकर करीब चार-पांच महीने पहले महावीर मंदिर ने बकायदा आवेदन आमंत्रित किया था.
तय समय में इसके लिए लगभग दो दर्जन आवेदन मिले. इन आवेदनों की जांच को लेकर अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति एसएन झा की अध्यक्षता में चयन समिति गठित की गयी, जिसने अंतिम रूप से तीन लोगों का चयन किया. हालांकि इनमें से कोई भी एक लाख रुपये के पहले पुरस्कार का दावेदार नहीं बन सका.
जागरूक करने का प्रयास : आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि इस पुरस्कार से समाज में वैसे लोगों को जागरूक करना है, जो अपने बुजुर्ग की सेवा नहीं करते हैं और वैसे लोगों को प्रोत्साहित करना भी है, जो नि:स्वार्थ भाव से माता-पिता की सेवा करते हैं. उन्होंने कहा कि अगले साल के लिए अभी से नाम भेजे जा सकते हैं.
1. मां की सेवा
द्वितीय पुरस्कार पानेवाली पटना सिटी के गुजरी बाजार की सरिता गुप्ता एक रिटायर्ड टीचर हैं. इनकी मां की उम्र 91 साल है और इनको सात साल पहले लकवा मार दिया था. इस कारण वह कोई भी काम खुद से नहीं कर सकती हैं.
ऐसे में सरिता गुप्ता ने अपनी मां को अपने साथ रखा और पिछले सात वर्षों से नि:स्वार्थ भाव से उनकी सेवा कर रही हैं. इनकी मां का हर काम बेड पर होता है. लेकिन, कभी भी वह अपनी मां को गंदगी में नहीं छोड़ती हैं. सेवा का रूप ऐसा है कि वह रात में भी उनके पास ही सोती हैं, ताकि मां को कोई तकलीफ नहीं हो. इन्हीं कारणों से इनको द्वितीय श्रवण कुमार पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है.
2. सारा समय मां को
तृतीय पुरस्कार के लिए चयनित मुजफ्फरपुर के लालबाबू की मां की उम्र 70 साल है और वह 80 प्रतिशत विकलांग हैं. लालबाबू खेती करते हैं और उसके बाद सारा समय अपनी मां को देते हैं. लाख परेशानियों के बाद भी उनका ध्यान नहीं भटकता है. कभी-कभी आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी वह अपनी मां की दवा व खानपान में कोई कमी नहीं करते हैं. उनका साथ परिवार के लोग नहीं देते हैं. बावजूद इसके वह मां की सेवा में दिन-रात लगे रहते हैं.
3. पिता की सेवा
प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए चयनित मधुबनी के रामनाथ पांडेय की उम्र 75 साल है. इस उम्र में भी वह अकेले ही रह कर पिता की सेवा करते हैं. पिता की किडनी खराब है और उनको दिखाई नहीं देता है. इनकी पत्नी बच्चों को लेकर मधुबनी से बाहर रहती है. यह अपने पिता के साथ ही रहते हैं. इसके अलावे उनका कोई दूसरा काम नहीं है.

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