पटना: पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से यह बताने को कहा है कि पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल से सटी जमीन को किस आधार पर अंजुमन इसलामिया हॉल को आवंटित कर दिया गया.
राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने को लेकर दायर लोकहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व विकास जैन के खंडपीठ ने मंगलवार को सरकार से अतिक्रमणमुक्त होने का हलफनामा दायर करने कहा है. खंडपीठ ने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है, तो स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, डीएम व एसपी को खुद कोर्ट में आकर जवाब देना होगा. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता डीके सिन्हा ने कहा कि पीएमसीएच लगभग अतिक्रमणमुक्त हो गया है.
यहां 2.61 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण था. इनमें अब मात्र 0.3 एकड़ पर ही कब्जा रह गया है, जिसे भी खाली करा लिया जायेगा. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पीएमसीएच की जमीन को अंजुमन इसलामिया हॉल को आवंटित कर दिया गया है. सरकार की ओर से इससे इनकार किये जाने पर कोर्ट ने पूछा कि पहले तो पीएमसीएच ही बना होगा. न्यायाधीश ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, पटना के डीएम व एसपी को पीएमसीएच का लेआउट प्लान कोर्ट को दिखाने को कहा है. लेआउट प्लान से स्पष्ट होगा कि पहले पीएमसीएच बना या अंजुमन हॉल. कोर्ट ने स्थापनाकाल में पीएमसीएच का कुल कितना रकबा था, यह भी बताने को कहा है. भागलपुर मेडिकल कॉलेज के संबंध में कोर्ट को बताया गया कि वहां क्षेत्रीय आइजी के आवास को खाली करा लिया गया है.
कोर्ट ने 24 जनवरी को सरकार को नये सिरे से हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि मेडिकल कॉलेज पूरी तरह अतिक्रमणमुक्त हो गया है. मुजफ्फरपुर स्थित मेडिकल कॉलेज के संबंध में जब अपर महाधिवक्ता ने कहा कि पूरी तरह खाली हो गया है, तो कोर्ट ने कहा इसे हलफनामा दायर कर बताइए. गया स्थित मेडिकल कॉलेज के संबंध में कोर्ट को बताया गया कि वहां की कुल 3.9 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण था, जिसमें 1.9 एकड़ पर अब भी अतिक्रमण है. दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बारे में भी खंडपीठ ने इसी प्रकार के निर्देश दिये. दरभंगा व गया मेडिकल कॉलेज के लिए 20 जनवरी को सुनवाई होगी.