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फिल्म समीक्षा(द जंगल बुक, हिंदी)

फिल्म समीक्षा(द जंगल बुक, हिंदी)बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी लुभाएगा मोगलीरुडयार्ड कीपलिंग की नॉवेल द जंगल बुक और इस पर बनी कार्टून सीरीज हमेशा से बच्चों की पसंदीदा रही है. फिर चाहे वो जंगल बुक का हीरो मोगली हो, शेर खान हो या बलू. बच्चों में इनका क्रेज किसी हॉलीवुड या बॉलीवुड स्टार से […]

फिल्म समीक्षा(द जंगल बुक, हिंदी)बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी लुभाएगा मोगलीरुडयार्ड कीपलिंग की नॉवेल द जंगल बुक और इस पर बनी कार्टून सीरीज हमेशा से बच्चों की पसंदीदा रही है. फिर चाहे वो जंगल बुक का हीरो मोगली हो, शेर खान हो या बलू. बच्चों में इनका क्रेज किसी हॉलीवुड या बॉलीवुड स्टार से कम नहीं. 1989 में दूरदर्शन पर जब पहली बार इस नॉवेल पर आधारित कार्टून सीरियल का प्रसारण हुआ, तब इसने बच्चों के साथ-साथ बड़ी उम्र के दर्शकों में भी खासी लोकप्रियता हासिल की थी. तब सीरियल के लिए गुलजार के लिखे कास्टिंग सांग जंगल-जंगल बात चली है पता चला है… हर बच्चे का फेवरेट सांग बन चुका था. तब से अब तक कई निर्देशकों ने इस नॉवेल को आधार बना अपने-अपने तरीके से फिल्म और सीरियल का निर्माण किया. और हर बार यह हर वर्ग के दर्शकों का चहेता रहा. बच्चों में मोगली के इसी क्रेज को देख आयरन मैन और आयरन मैन 2 से फेमस हुए हॉलीवुड निर्देशक जॉन फेवरऊ ने वॉल्ट डिजनी के सहयोग से इस कहानी को थ्री डी का रूप दे दिया. मूल उपन्यास की कहानी को आधार बनाकर जॉन ने कंप्यूटर ग्राफिक्स (वीएफएक्स) और एनिमेशन के सहारे जंगल का ऐसा मायाजाल रचा कि थियेटर के अंदर एक घंटा छयालिस मिनट कब बीत जाते हैं, पता ही नहीं चलता. मूलत: अंग्रेजी में बनी यह फिल्म भारत में एक साथ चार भाषाओं (अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगू) में रीलीज की गयी है. हिंदी सिनेमा के दर्शकों को तकनीकी रूप से काफी मजबूत और हैरतअंगेज एक्शन दृश्यों से सजी इस बेहतरीन फिल्म में कहानी के साथ-साथ जो बात सबसे ज्यादा लुभाएगी, वो है फिल्म के एनिमेटेड किरदारों के लिए वॉयस ओवर के रूप में बॉलीवुड के कई समर्थ अभिनेताओं मसलन, नाना पाटेकर, ओमपुरी, इरफान, प्रियंका चोपड़ा और शेफाली शाह की आवाज.कहानी छोटे बच्चे मोगली (नील सेठी) की है, जिसे बचपन में उसके पिता जंगल में अकेला छोड़ खुद शेर खान (नाना पाटेकर) से हुई लड़ाई में उसका शिकार बन जाते हैं. उस लड़ाई में शेर खान का चेहरा आग में काफी झुलस जाता है. जंगल का एक चीता बघीरा (ओमपुरी) मोगली को अपने साथ ले जाता है और उसे भेड़ियों की एक फैमिली को सौंप देता है. भेड़ियों का सरदार अकेला (राजेश खट्टर) और उसकी पत्नी रक्षा (शेफाली शाह) उसे अपने बच्चे की तरह पालते हैं. शेर खान, जिसे इंसानों से नफरत थी, वह एक रोज मोगली को भेड़ियों के संग देख गुस्से में फरमान जारी करता है कि मोगली को उसके हवाले कर दिया जाये, वरना वो एक-एक कर सारे भेड़ियों को मार देगा. मोगली की जान बचाने के लिए बघीरा उसे इंसानों की बस्ती में वापस भेजने का निर्णय लेता है. बस्ती वापस जाने के रास्ते में मोगली की मुलाकात बलू (इरफान खान) से होती है, जो एक विशालकाय सांप का (प्रियंका चोपड़ा) और बंदरों के राजा लुई (बग्स भार्गव) से उसकी जान बचाता है. उधर मोगली के जाने से गुस्साया शेर खान अकेला को मार डालता है. इस बात की खबर मिलते ही मोगली गुस्से में वापस जंगल आता है और अपनी तरकीबों से शेर खान खात्मा करता है. कम अवधि की होने के बावजूद फिल्म अपने कहानी की रोचकता और थ्री डी प्रभाव की बदौलत बांधे रखती है. फिल्म में मोगली के किरदार को छोड़कर बाकी सारे किरदार एनिमेटेड हैं. पर निर्देशक जॉन ने लाइव किरदार मोगली और एनिमेशन के उम्दा प्रभाव के बीच जिस बखूबी से सामंजस्य बिठाया है, वो फिल्म और उनके निर्देशन की काबिलियत साबित करती है. मोगली के किरदार में भारतीय मूल के अमेरिकी बाल कलाकार नील सेठी के अभिनय की मासूमियत और तेज रफ्तार दृश्यों में उनकी चपलता मोहती है. हिंदी भाषाई न होने के बावजूद हिंदी डबिंग में उनकी बेहतर संवाद अदायगी प्रभावित करती है. नाना पाटेकर और ओमपुरी के अलावा पंजाबी टोन में इरफान खान की संवाद अदायगी निश्चित ही आपके चेहरे की मुस्कान बढ़ा देगी. हां फिल्म को थ्री डी इफेक्ट के साथ थियेटर में ही देखें, तभी फिल्म का असली मजा ले पाएंगे.क्यों देखें- फिल्म बच्चों के साथ-साथ पूरे परिवार के लोगों के लिए मनोरंजन की बेहतरीन सौगात साबित होगी. क्यों न देखें- फिल्म देखने के बाद इसकी कोई खास वजह नजर नहीं आती.

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