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छात्रवृत्ति घोटाला : 20 स्कूल कागजों पर, 1.38 करोड़ रुपये का गबन

छात्रवृत्ति घोटाला : 20 स्कूल कागजों पर, 1.38 करोड़ रुपये का गबन – डीडीसी की अध्यक्षता में जांच कमेटी ने सौंपी डीएम को रिपोर्ट- क्लर्क, बिचौलिए और बैंक अधिकारियों के गठजोड़ से डकार गये रुपये – सरकार ने भी मांगी रिपोर्ट, डीएम आज करेंगे सरकार को रिपोर्ट – बैंक में सामने आयी थी गड़बड़ी, जांच […]

छात्रवृत्ति घोटाला : 20 स्कूल कागजों पर, 1.38 करोड़ रुपये का गबन – डीडीसी की अध्यक्षता में जांच कमेटी ने सौंपी डीएम को रिपोर्ट- क्लर्क, बिचौलिए और बैंक अधिकारियों के गठजोड़ से डकार गये रुपये – सरकार ने भी मांगी रिपोर्ट, डीएम आज करेंगे सरकार को रिपोर्ट – बैंक में सामने आयी थी गड़बड़ी, जांच हुई तो कई के शामिल होने के बात आयी सामने – जिला कल्याण पदाधिकारी ने 11 मार्च को दर्ज करायी थी एफआइआर संवाददाता4पटना पटना में छात्रों की तरक्की के सपने भ्रष्टाचारियों ने निगल लिये. जिले में शिक्षा, कल्याण कार्यालय और सरकारी बैंकों के कर्मचारियों के गंठजोड़ ने प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि में करोड़ों का घोटाला किया है. ऐसे मामले सामने आये हैं, जो आपको अचंभित भी कर सकता है कि किस प्रकार सरकारी राशि की बंदरबांट हुई. यह पूरी गड़बड़ी बैंक में सामने आयी थी अौर जब जांच हुई तो कई की कारगुजारी सामने आ गयी है. गड़बड़ी उस वक्त की है, जब 2014-15 में प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि स्कूलों की शिक्षा समिति के खाते में भेजी जाती थी. पटना के करीब 1150 मिडिल स्कूलों में छात्रवृत्ति की राशि भेजी गयी थी. इसमें से लगभग 25 स्कूल ऐसे थे, जो केवल कागजों पर थे. कई स्कूल ऐसे पाये गये जिनके बैंक खाते दूसरे के नाम पर थे. विभागीय कर्मियों ने अपना नेटवर्क बनाया और उन्होंने सरकारी पैसे भ्रष्टाचारियों के खाते में पहुंचा दिये. संवाददाता4पटना पटना में प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि हड़पने के लिए 25 स्कूल कागजों पर बनाये गये और उन स्कूलों की फर्जी विद्यालय प्रबंध समिति भी बनी. बैंकों में इनके अकाउंट खुल गये और कल्याण विभाग ने इन खातों में एक करोड़ 38 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिये. इसके बाद पूरी राशि भ्रष्टाचारी डकार गये. यह खुलासा डीडीसी अमरेंद्र कुमार की जांच रिपोर्ट में हुआ है. डीडीसी ने शुक्रवार को अपनी 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट डीएम संजय कुमार अग्रवाल को सौंपी. जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जिला प्रशासन ने दोषियाें के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. तीन क्लर्क पर होगी एफआइआर, डीपीओ पर विभागीय कार्रवाई जांच रिपोर्ट के अनुसार पूरे प्रकरण में तीन क्लर्कों और शिक्षा कार्यालय के एक डीपीओ का दोष सिद्ध हो गया है. शिक्षा कार्यालय के दो क्लर्क (मनोज कुमार व एक अन्य ) और कल्याण शाखा के एक क्लर्क अयोध्या प्रसाद पर एफआइआर होगी और शिक्षा कार्यालय की योजना और लेखा डीपीओ ब्रजनंदन सिंह पर विभागीय कार्रवाई की जायेगी. डीपीओ के खिलाफ शिक्षा विभाग को पत्र लिख कर अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई के लिए डीएम अनुशंसा करेंगे. आरोपित क्लर्क मनोज कुमार पहले भी एफआइआर हुई थी. तब से वह फरार है. खबर यह भी आ रही है कि उसने कोर्ट से बेल भी ले ली है. जिला प्रशासन उस पर फिर से एफआइआर की तैयारी कर रहा है. खाताधारकों पर भी होगी एफआइआर, बैंकों की भी जांच सभी 20 फर्जी एकाउंट होल्डरों पर भी एफआइआर होगी, जिन्होंने इस खाते से सरकारी राशि का गबन किया है. बैंकों पर भी शिकंजा कसेगा. वे सभी बैंक, जिनमें ये फर्जी खाते खोले गये, उनकी भूमिकाओं की भी जांच कराने का निर्देश डीएम ने दिया है. कोट: छात्रवृत्ति घोटाले में एक करोड़ से अधिक के गबन की पुष्टि जांच रिपोर्ट में की गयी है. जिला कल्याण पदाधिकारी की रिपोर्ट पर हमने जो जांच करायी, उसमें बड़ा घोटाला सामने आया है. सभी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. इन पर एफआइआर की जा रही है. सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है. – संजय कुमार अग्रवाल, डीएम, पटना कॉरपोरेशन बैंक के मैनेजर की सजगता से सामने आया घोटाला यह मामला 11 मार्च को उस वक्त प्रकाश में आया, जब एक्जिबिशन रोड के कॉरपोरेशन बैंक के अधिकारी ने जिला कल्याण पदाधिकारी को बताया कि एक लड़की आठ हजार का चेक लेकर पहुंची है, लेकिन उसके एकाउंट में माइनस में नौ हजार रुपये हैं. उसने पुलिस को भी यह जानकारी दी. इसके बाद पहले दिन ही 15 लाख का घपला सामने आ गया. निधि कुमारी नाम की इस लड़की पर 11 मार्च को एफआइआर की गयी, तो पूछताछ में उसी के परिवार के तीन लोगों ने बताया कि उनके नाम पर भी फर्जी खाते हैं. शुरुआती जांच में ही पता चला कि पटना के 50 से ज्यादा स्कूल ऐसे थे, जिसमें बगैर जांच राशि हस्तांतरित की गयी. सवालों के घेरे में शिक्षा व कल्याण विभाग और बैंक 1.शिक्षा कार्यालय में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी स्कूलों की सूची भेजते हैं. जिला शिक्षा कार्यालय उस सूची को कल्याण विभाग को फारवर्ड करते समय क्राॅस चेक क्यों नहीं किया?2.कल्याण कार्यालय राशि ट्रांसफर करने के पहले उन खातों की जांच क्यों नहीं की?3.बैंकों ने फर्जी स्कूलों की शिक्षा समितियों के खाते कैसे खोल दिये? क्या है प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाप्री मैट्रिक छात्रवृत्ति वर्ग एक से आठ और नौ से 10 के विद्यार्थियों को दी जाती है. स्कूल की शिक्षा समिति के खाते में राशि भेजी जाती है, जहां से निकासी कर उसे छात्रों के बीच वितरण किया जाता है. स्कूलों के खाते और कितनी जरूरत है, इसकी सूची शिक्षा विभाग कल्याण विभाग को भेजता है. इसी के आधार पर कल्याण कार्यालय स्कूल के खाते में राशि भेजता है.

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