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‘बाइपास’ के अस्पतालों की होगी सर्जरी

सख्ती. निजी नर्सिंग होम की जांच के लिए कमेटी गठित, दो माह में देगी रिपोर्ट सदन में ध्यानाकर्षण पर जवाब देते हुए प्रभारी स्वास्थ्य मंत्री सह संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि गलत काम करने का प्रमाण मिला, तो सख्त कार्रवाई होगी. पटना : पटना शहर और बाइपास में नियमों को ताक पर […]

सख्ती. निजी नर्सिंग होम की जांच के लिए कमेटी गठित, दो माह में देगी रिपोर्ट
सदन में ध्यानाकर्षण पर जवाब देते हुए प्रभारी स्वास्थ्य मंत्री सह संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि गलत काम करने का प्रमाण मिला, तो सख्त कार्रवाई होगी.
पटना : पटना शहर और बाइपास में नियमों को ताक पर रख कर कुकरमुत्ते की तरह खुले निजी अस्पताल-नर्सिंग होम का मामला बुधवार को विधानसभा में उठा. कहा गया कि पटना के ऐसे अस्पतालों को लाइसेंस भीनहीं मिले हैं और ये खुलेआम एमसीआइ के दिशा निर्देश का उल्लंघन कर रहे हैं. बिचौलिया और एंबुलेंस चालकों की मिलीभगत से अस्पतालों का कारोबार फल-फूल रहा है.
इसके जवाब में प्रभारी स्वास्थ्य मंत्री सह संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राज्य सरकार सभी निजी नर्सिंग होम और प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसेगी. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख (प्रशासन) की अध्यक्षता में त्रिसदस्यीय समिति गठित की गयी है. यह समिति निजी अस्पतालों की जांच कर दो महीने में रिपोर्ट देगी. उन्होंने कहा कि 28 नवंबर 2013 से बिहार क्लिनिकल (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) नियमावली 2013 लागू है. इसमें राज्य के अंदर खुलने वाले सभी नर्सिंग होम, अस्पताल, एक्स-रे सेंटर, पैथोलॉजी लैब समेत अन्य ऐसे संस्थान को निबंधन (रजिस्ट्रेशन) कराना अनिवार्य है.
राज्य सरकार इसे सख्ती से लागू करेगी. साथ ही जिन निजी नर्सिंग होम के खिलाफ गलत काम करने का प्रमाण मिलेगा, उन पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. श्रवण कुमार विधायक नितिन नवीन, डा सुनील कुमार, व्यासदेव प्रसाद व रामनारायण मंडल के ध्यानाकर्षण पर जवाब दे रहे थे. भाजपा विधायक नितिन नवीन ने ध्यानाकर्षण के जरिये कहा कि सभी अस्पतालों में आइसीयू व वेंटिलेटर बिना पूरी व्यवस्था के लगा दिये गये हैं. जो भी मरीज आते हैं उनको आइसीयू या वेंटिलेटर पर तब तक रखा जाता है, जब तक कोई दूसरा मरीज नहीं आ जाता है.
कमेटी में विधायकों को भी रखा जाये : स्वास्थ्य विभाग के ध्यानाकर्षण पर सरकार के जवाब के बाद विधायक नितिन नवीन ने कहा कि जांच के लिए गठित कमेटी में विधायकों को भी रखा जाये. साथ ही कमेटी रिपोर्ट को बिहार विधानसभा के पटल पर रखी जाये. कमेटी यह भी जांच करे कि सभी मापदंडों पर वह खरे उतर रही है या नहीं. वहीं, विधायक डाॅ सुनील कुमार ने कहा कि सदन में कई ऐसे सदस्य हैं, जो डॉक्टर भी हैं. इनमें से किसी एक को कमेटी का सदस्य बना दिया जाये. इससे जांच करने में सहायता होगी.
उन्होंने अपने एक मित्र और उनके बेटे व भतीजे की सड़क दुर्घटना का भी जिक्र किया, जिसमें वे घायल हुए थे. उसके बाद उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां गलत इलाज किया गया. जिससे उनकी मौत हो गयी. इस घटना में मुख्यमंत्री की ओर से पांच लाख की सहायता राशि दिये जाने की भी उन्होंने बात कही, जिसका बड़ा हिस्सा अस्पताल प्रशासन ने रख लिया.
गंभीरता से जांच होनी चाहिए जांच : बिहार विधानसभा अध्यक्षविजय कुमार चौधरी ने स्वास्थ्य विभाग की गठित कमेटी से इस
मामले की भी विशेष रूप से जांच कराने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि निजी नर्सिंग होम के संबंध में सदस्यों की ओर से उठाया गया मामला चिंताजनक है. मरीज और उनके साथ जो लोग आते हैं उनका शोषण हुआ है तो इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए. बिहार में मरीजों और उनके परिजनों का दोहन नहीं होना चाहिए.
प्रभात फौरन : एक्ट लागू होने के बाद अब तक एक भी अस्पताल ने नहीं कराया रजिस्ट्रेशन
क्या है एक्ट और क्या है प्रावधान
एक्ट के तहत नर्सिंग होम को मरीजों के हित में सुविधाएं और सेवायें देनी होंगी. एक बीमारी के लिए एक फी ही सभी अस्पतालों लेने होगी. अस्पतालों में न्यूनतम कर्मी की व्यवस्था होनी चाहिए.
लेखा-बही का भी हिसाब रखना होगा. इसके लागू होने से लोगों को चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. साथ ही निजी नर्सिंग होम पर नियंत्रण भी होगा. एक अस्पताल का लाइसेंस दूसरे अस्पताल को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है. बगैर लाइसेंस वाले नर्सिग होम में काम करने वालों पर भी कार्रवाई होगी. नियमों का उल्लंघन करने पर अस्पताल का लाइसेंस भी रद्द हो सकता है.
इन राज्यों में लागू है एक्ट
हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, सिक्किम और मेघालय में यह एक्ट बगैर किसी संशोधन के लागू है. वहीं महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली ने अपना एक्ट बनाया है. वहीं, कई अन्य राज्य इस पर काम कर रहे हैं.
सरकार को पता नहीं है कि कितने नर्सिंग होम हैं शहर में स्वास्थ्य विभाग नर्सिंग एक्ट का पालन नहीं करवा पा रहा है. एक्ट को लागू हुए एक साल से अधिक हो गये हैं, इसके बावजूद अब तक एक भी नर्सिंग होम को न तो चेतावनी जारी हुई है, न कोई कार्रवाई हुई. झोले छाप डॉक्टर पर तो कार्रवाई छोड़ ही दीजिये. क्योंकि, पहली प्राथमिकता नर्सिंग होम्स को मानकों पर खरा उतरना है.
स्वास्थ्य क्षेत्र में गुणवत्ता लाने और मरीजों को सस्ती दरों पर इलाज मुहैया कराये जाने को लेकर बनाये गये इस एक्ट का पालन नहीं होने का सबसे बड़ा कारण अस्पतालों द्वारा रजिस्ट्रेशन नहीं कराना और स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं होना है. यही वजह है कि प्रदेश में नर्सिंग होम एक्ट लागू होने के बाद भी राजधानी के एक भी नर्सिंग होम रजिस्टर्ड नहीं है. इससे सरकार को भी पता नहीं है कि कितने नर्सिंग होम शहर में संचालित हो रहे हैं.

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