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सूखे के बावजूद रबी फसल का उत्पादन बढ़ेगा : राधा मोहन सिंह

पटना : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज कहा कि देश के व्यापक हिस्से में सूखे के बावजूद भारत में इस वर्ष रबी फसल का उत्पादन बढ़ेगा. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), पूर्वी क्षेत्र के 16वें स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने कहा, हमने दूसरा सर्वे रिपोर्ट प्राप्त किया है […]

पटना : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज कहा कि देश के व्यापक हिस्से में सूखे के बावजूद भारत में इस वर्ष रबी फसल का उत्पादन बढ़ेगा. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), पूर्वी क्षेत्र के 16वें स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने कहा, हमने दूसरा सर्वे रिपोर्ट प्राप्त किया है जिसके आधार पर यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि सूखा और संबंधित समस्याओं के बावजूद इस वर्ष रबी फसल का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक रहेगा.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने अधिक उपज देने वाली सूखा प्रतिरोधी फसलों के 93 किस्मों को विकसित किया है जिन्हें चालू रबी सत्र के दौरान खेती के लिए किसानों के बीच वितरित किया गया. मंत्री ने कहा कि राजग सरकार खेती में वृद्धि के लिए मृदा उर्वरता को सुधारने तथा सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिए एक परियोजना शुरु की है. उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए केंद्र ने दो योजनाओं प्रधानमंत्री सिंचाई योजना (पीएमएसवाई) और मृदा स्वास्थ्य कार्ड को शुरु किया है.

राधा मोहन सिंह ने कहा कि प्रदेशों ने विभिन्न प्रयोगशालाओं में परीक्षण करने के लिए मिट्टी के 80 लाख नमूनों को पहले ही भेज रखा है तथा मार्च 2017 शिनाख्त किये गये 14 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने के लक्ष्य के मुकाबले एक लाख किसानों को यह कार्ड दिया जा चुका है. हालांकि उन्होंने कहा कि दोनों ही मामलों में बिहार पीछे चल रहा है.

कृषि मंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश जैसे राज्य ने मिट्टी के अधिक नमूने भेजे हैं जबकि मृदा पुनर्जीवन के अभियान में बिहार पिछड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार, केंद्र के मृदा नवीकरण के राष्ट्रीय एजेंडा से अलग भिन्न एजेंडा को आगे बढ़ा रहा प्रतीत होता है. उन्होंने प्रदेश सरकार से कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड परियोजना को लागू करने में गंभीरता प्रदर्शित करे क्योंकि जमीन देश की है न कि किसी व्यक्ति की.

उन्होंने कहा कि केंद्र ने पीएमएसवाई के तहत ‘प्रति बूंद, अधिक फसल’ थीम के अंतर्गत देश के सभी खेतों में सिंचाई सुविधाओं के लिए 50,000 करोड़ रुपये का धन अलग से रखा है. उन्होंने राज्य सरकारों से अपने अधिकार क्षेत्र वाले कृषि भूमि में सिंचाई सुविधाओं के लिए जिला और प्रदेश स्तरीय चयन समितियों द्वारा तय किये गये प्रस्तावों को भेजकर इस धन को उपयोग में लाने की अपील की.

लोगों के बीच जैविक खाद्य के प्रचलन बढ़ने के साथ राधा मोहन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के मकसद से राज्यों को बांटने के लिए 300 करोड़ रुपये अलग से रखे हैं. सिंह ने कहा कि हाल के वर्षो में सूखा और मौसम के प्रतिकूल रख के कारण पारंपरिक फसलों की खेती किसानों के लिए कम लाभकारी रह गयी है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने कृषि पर अपना जीवन यापन निर्भर रखने वालों के हाथ में अधिक धन लाने के लिए उन्हें डेयरी, मत्स्यपालन और संबंधित गतिविधियों को अपनाने का सुझाव दिया है.

सिंह ने फसल विविधीकरण, पशुपालन और मत्स्यपालन के अलावा धान, गेहूं, दलहन और तिलहन के नये बीजों को विकसित करने के आईसीएआर, पूर्वी क्षेत्र द्वारा किये जाने वाले वैज्ञानिक कार्यकलापों के लिए उसकी सराहना की.

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