पटना: विद्युत कनेक्शन के लिए विभाग का चक्कर काट रहे दिनेश कुमार को कनेक्शन तो नहीं मिला, मगर उसकी जगह पेसू इंजीनियरों ने 53 हजार चार सौ 66 रुपये का बिल जरूर थमा दिया. इस बिल को देख कर उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गई. उन्होंने बिल गड़बड़ी की शिकायत संबंधित अधिकारियों से की, मगर उनका एक ही जवाब था-बिल जमा करो तभी कनेक्शन मिलेगा. अब इसको लेकर दिनेश कुमार उपभोक्ता अदालत की चौखट पर पहुंचे हैं और बिजली कंपनी पर 75 हजार रुपये का क्लेम किया है.
2002 में कटा था कनेक्शन: बख्तियारपुर निवासी दिनेश कुमार वर्ष 2002 में रोजगार के लिए मुंबई चले गये. जाने से पहले इन्होंने 110 रुपये की रसीद के साथ विभाग को कनेक्शन काटने की लिखित सूचना 25 फरवरी 2002 को सहायक विद्युत अभियंता को दी. कागजी कार्यवाही के बाद जूनियर इंजीनियर ने लाइन मैन को विद्युत काटने का निर्देश दिया. लगभग दो माह बाद विभाग ने कागजी कार्यवाही पूरी कर दिनेश का कनेक्शन काट दिया. इस दौरान दिनेश ने विभाग के 800 बकाया रकम को भी जमा कर दिया था. उस दौरान कॉलोनी का ट्रांसफार्मर भी जला हुआ था.
9 साल बाद घर आया दिनेश
दिनेश लगभग नौ साल बाद दिसंबर 2011 में अपना काम छोड़ करके घर वापस आ गया. वापसी के बाद फिर से कनेक्शन के लिए दिनेश ने विद्युत विभाग में प्रार्थना पत्र दिया. लेकिन विभाग ने कनेक्शन देने की जगह 53 हजार चार सौ 66 रुपये का लंबा-चौड़ा बिल थमा दिया. इसमें 52,906 रुपये लाइट, 100 रुपये डीपीएस, 300 फिक्स चाजर्, 563.65 रुपये अन्य चार्ज शामिल थे. समय से पहले बिल का भुगतान करने के एवज में चार रुपये छूट देने की बात कही गई.
बिल जमा करो तब लगेगा कनेक्शन
दिनेश जनवरी 2012 से लगातार विभाग के चक्कर काट रहा था. उसने उच्चधिकारियों से गलत बिलिंग की बात कहते हुए राहत देने का अनुरोध किया, लेकिन विभाग के उच्च अधिकारियों ने बिल भुगतान के बाद ही कनेक्शन देने की बात कह कर उसे टाल दिया.
75 हजार का क्लेम
उपभोक्ता फोरम के एडोकेट मोहन बाबू का कहना है कि विद्युत विभाग के द्वारा लगातार दौड़ाने के बाद जब दिनेश को कनेक्शन दिया गया तो उसने अदालत के दरवाजे पर दस्तक दी. उसने अदालत में विभाग पर 75 हजार रुपये क्लेम का दावा कर दिया. फिलहाल मामला उपभोक्ता फोरम अदालत में लंबित है.
यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है. वह विभाग स्तर पर जांच करके आवश्यक कार्रवाई करेंगे – हरेराम पांडेय, पीआर डीजीएम, विद्युत विभाग