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मिश्रित है भारतीय संस्कृति : प्रोफेसर राम पुनियानी
पटना : भारत की संस्कृति मिश्रित है, जो भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय एकता से बनी है. क्योंकि, आैरंगजेब ने जहां, काशी में मंदिर तोड़ा. वहीं, गोलकुंडा में मसजिद भी तोड़ी. ऐसा उसने धर्म के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र हित में किया, ताकि राजस्व की प्राप्ति हो सके. यह कहना है आइटीआइ मुंबई के पूर्व प्रोफेसर […]
पटना : भारत की संस्कृति मिश्रित है, जो भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय एकता से बनी है. क्योंकि, आैरंगजेब ने जहां, काशी में मंदिर तोड़ा. वहीं, गोलकुंडा में मसजिद भी तोड़ी. ऐसा उसने धर्म के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र हित में किया, ताकि राजस्व की प्राप्ति हो सके.
यह कहना है आइटीआइ मुंबई के पूर्व प्रोफेसर राम पुनियानी का. वे सोमवार को पीस फाउंडेशन की ओर से गांधी संग्रहालय में भारत में राष्ट्रीय एकता की परंपरा पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति किसी एक धर्म या समुदाय से नहीं जुड़ी है.
इसलिए आज भी औरंगजेब को बेहतर शासक के रूप में जाना जाता है. ऐसे में हमें भारतीय मूल्यों, राष्ट्रीय एकता, जनतांत्रिक और सेकुलरज्मि के प्रचार-प्रसार पर जोर देने की जरूरत है, ताकि भारत की मिश्रित सभ्यता और संस्कृति को बचाया जा सके.
शिक्षा से होगा विकास : अवकाश प्राप्त मुख्य सचिव डॉ एम ए इब्राहिमी ने कहा कि वंचित समुदाय को ऊपर उठाने के लिए लोगों को शिक्षित करना होगा. संप्रदायिक हिंसा को हिंसा से नहीं खत्म किया जा सकता है. इसके लिए लोगों को अच्छा नागरिक बनाना होगा. देश का अच्छा नागरिक ही सभ्य समाज बना सकता है.
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