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वैश्वीकरण का पड़ते असर का आइना है वॉल्स ऑफ कंफ्लक्टि

वैश्वीकरण का पड़ते असर का आइना है वॉल्स आॅफ कंफ्लिक्टकालिदास रंगालय में हुआ मंचनअक्षरा आर्ट्स ने दी प्रस्तुतिलाइफ रिपोर्टर पटनावैश्वीकरण के आज के बदलते परिवेश में मानव जीवन पर आधुनिक युग की राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के कारण जो प्रभाव पड़ रहा है, उसकी वजह से मनुष्य की गति, शारीरीक मुद्रा और मनोविज्ञान दूसरी […]

वैश्वीकरण का पड़ते असर का आइना है वॉल्स आॅफ कंफ्लिक्टकालिदास रंगालय में हुआ मंचनअक्षरा आर्ट्स ने दी प्रस्तुतिलाइफ रिपोर्टर पटनावैश्वीकरण के आज के बदलते परिवेश में मानव जीवन पर आधुनिक युग की राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के कारण जो प्रभाव पड़ रहा है, उसकी वजह से मनुष्य की गति, शारीरीक मुद्रा और मनोविज्ञान दूसरी दिशा की तरफ जा रहा है. जो कि यथार्थ के आइने में कही से भी उचित नहीं है. इस दौर का ही असर है कि मनुष्य का स्वभाव, उसकी दिनचर्या और जीवनशैली सब के सब धीरे-धीरे यांत्रिकता की तरफ जा रहे हैं. मनोशरीरीक नाटक वॉल्स आॅफ कंफ्लिक्ट में इसी बात का मंचन किया गया है. इस नाटक में यह दिखाने की कोशिश की गयी कि जीवन मूल्यों में एक गहरी खाई पनप चुकी है और यह लगातार बढ़ती जा रही है. हर इंसान अपने दायरे में सिमटता जा रहा है और सबसे अहम यह कि वह अपने ही बनाये पिंजरे में कैद रह कर भी खुद को आजाद समझ रहा है. इस नाटक में जीवन के विभिन्न आयामों, रंगों और अंर्तद्वंदो को मनोशारीरिक अभिनय और रोज की जिंदगी से जुड़े लेकिन लुप्त होते वस्तुओं द्वारा दिखाने की कोशिश की गयी. इस नाटक में जसप्रीत कौर, नीतीश कुमार, संतोष मेहरा, विपुल कुमार, सत्यजीत केशरी और रंजन कुमार ने अपनी भूमिका से पूरा न्याय किया. नाटक की परिकल्पना और निर्देशन अजीत कुमार का था.

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