स्टोरी : शहर में कुत्तों का खौफ, अस्पतालों में दवा खत्म- पीएमसीएच समेत सरकारी अस्पतालों में टीके पर हर महीने डेढ़ करोड़ खर्च, पर जरूरत के समय नहीं मिलती है दवा – रोजाना 50 से 55 मरीज लौट रहे है, महंगे दामों पर लोगों इलाज कराने को है मजबूर- अधर में लटकी है कुत्ते को पकड़ने और उनकी नसबंदी करने की योजनासंवाददाता, पटनानतीजा शहर के चारों ओर कुत्तों की भरमार हो गयी है और आम लोग इसके शिकार हो रहे हैं. अगर आपको या फिर आपके किसी परिचित को कुत्ते ने काट दिया, तो आप पीएमसीएच या फिर किसी सरकारी अस्पताल की रुख नहीं कीजियेगा. क्योंकि, सभी सरकारी अस्पतालों में कुत्ते काटने की दवा खत्म हो गयी है. यह स्थिति तब है, जब पीएमसीएच सहित शहर की सभी सरकारी अस्पतालों में हर महीने करीब डेढ़ करोड़ रुपये कुत्ते की दवा पर खर्च किये जाते हैं. बावजूद इन दवा की उपलब्धता कराने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेवार अधिकारी मौन साधे हुए हैं. खास बात तो यह है कि अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नगर-निगम को आदेश दिया है कि सभी सरकारी अस्पतालों में कुत्ते के काटने की दवा एआरवी आदि की व्यवस्था की जाये. लेकिन, यहां आदेश को ताक पर रख कर मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.सिर्फ पीएमसीएच में हर महीने 70 लाख की दवा सरकारी अस्पतालों में सात दिनों से एंटी रैवीज वैक्सीन खत्म हो गयी हैं. अकेले पीएमसीएच में हर महीने 12 हजार वाइल उपलब्ध करायी जाती है. जिसकी कीमत करीब 70 लाख रुपये है. यहां प्रतिदिन 50 से 55 मरीज कुत्ते के काटने के आते हैं. इसी तरह बाकी के अस्पतालों में भी 19 हजार वाइल उपलब्ध करायी जाती है. इस तरह से कुल डेढ़ करोड़ रुपये कुत्ते काटने की दवा पर सरकार खर्च करती है. इतनी खपत होने के बाद भी सरकार की ओर से पिछले 10 दिनों से कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. सबसे दुखद तो यह है कि यहां कुत्ते काटने की दवा खत्म के नाम की सूची चस्पा दी गयी है. इससे मरीजों का इलाज भी बंद हो गया है. वहीं लोगों का कहना है कि सरकारी दवा खत्म होने की वजह से बाहर मेडिकल स्टोर पर 250 की दवा 800 रुपये में बेची जा रही है. अधर में लटकी कुत्ते पकड़ने की योजनाजानकारी के अनुसार कुत्ते को पकड़ने का जिम्मा नगर निगम के पास है. लेकिन, अब तक यहां न तो एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाया गया और न ही कांजी हाउस. सूत्रों की मानें, तो पिछले 10 सालों से कुत्तों को पकड़ने की पहल नहीं की गयी है. नतीजा शहर के चारों ओर कुत्तों की भरमार हो गयी है और आम लोग इसके शिकार हो रहे हैं. इतना ही नहीं बर्थ कंट्रोल सेंटर के अलावा अभी तक नसबंदी की योजना भी ठप है. यही वजह है कि अभी तक एक भी कुत्ते की नसबंदी नहीं हो पायी है. क्या कहते हैं अधिकारीदवा खत्म होने की वजह से मरीजों को परेशानी हो रही है. मैंने जल्द-से-जल्द दवा उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेवार अधिकारियों को बोल दिया है. जैसे ही दवा आती है, इलाज शुरू हो जायेगा.डाॅ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच
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स्टोरी : शहर में कुत्तों का खौफ, अस्पतालों में दवा खत्म
स्टोरी : शहर में कुत्तों का खौफ, अस्पतालों में दवा खत्म- पीएमसीएच समेत सरकारी अस्पतालों में टीके पर हर महीने डेढ़ करोड़ खर्च, पर जरूरत के समय नहीं मिलती है दवा – रोजाना 50 से 55 मरीज लौट रहे है, महंगे दामों पर लोगों इलाज कराने को है मजबूर- अधर में लटकी है कुत्ते को […]
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