पटना: बिहार-झारखंड में लंबित सिंचाई परियोजनाओं में अब तेजी आ सकती है. वर्षो से लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कई बिंदुओं पर सैद्धांतिक सहमति बन गयी है. सात नवंबर को पटना में दोनों राज्यों के सिंचाई विभाग के आलाधिकारियों ने बैठक कर दर्जन भर छोटी-बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए खाका तैयार किया. आने वाले दिनों में जब दोनों राज्यों के अधिकारी एक साथ फिर बैठेंगे तो संभव है कि लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए ठोस निर्णय पर मुहर लग जाये.
छह साल बाद हुई बैठक : दोनों राज्यों के सिंचाई विभाग के अधिकारी छह साल बाद पटना में फ्लड मैनेजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम के सभागार में बैठे. लगभग दो घंटे तक हुई इस वार्ता में उन परियोजनाओं पर बातचीत हुई, जो दोनों राज्यों के बीच कई विभागों से संबंधित होने के कारण अधर में है. अधिकारियों के अनुसार नॉर्थ कोयल व बटाने जलाशय योजना को पूरा करने के लिए झारखंड में जमीन अधिग्रहण की जानी है. झारखंड के अधिकारियों ने राजस्व विभाग से बातचीत कर इस मसले का समाधान करने का आश्वासन दिया है. बटेश्वरस्थान व तिलैया ढांढर जलाशय योजना से बिहार के साथ-साथ झारखंड को भी पानी मिलना है.
बिहार ने रखी अपनी बात : इंद्रपुरी जलाशय योजना पर झारखंड के अलावा मध्यप्रदेश से भी मतभेद है. झारखंड से संबंधित समस्याओं पर बिहार ने अपना पक्ष रखा. धनारजै फुलवरिया जलाशय योजना में बराज बनाने का काम झारखंड के हिस्से में होना है. इसके लिए जमीन अधिग्रहण की समस्या उत्पन्न हो रही है. यही हाल बटेश्वरस्थान पंप कैनला योजना का है.
बैठक में: बिहार से जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, अभियंता प्रमुख (मध्य) धीरेंद्र कुमार, अधीक्षण अभियंता इंदु भूषण कुमार, जय किशोर. झारखंड जल संसाधन विभाग के सचिव अविनाश कुमार सिंह, मुख्य अभियंता सुरेंद्र कुमार, अधीक्षण अभियंता डीके सिंह.