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वोट प्रतिशत में वृद्धि लोकतंत्र की मजबूती का संकेत

अभी और बढ़ेगा मतदान का प्रतिशत केजे राव चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार भारत निर्वाचन आयोग के पूर्व सलाहकार और चर्चित ब्यूरोक्रैट केजे राव ने कहा है कि मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में बिहार की महिलाओं का सबसे अधिक योगदान है. दूरभाष पर बातचीत में उन्होंने कहा कि मतदान के लिए चुनाव आयोग ने लोगों […]

अभी और बढ़ेगा मतदान का प्रतिशत
केजे राव
चुनाव आयोग के
पूर्व सलाहकार
भारत निर्वाचन आयोग के पूर्व सलाहकार और चर्चित ब्यूरोक्रैट केजे राव ने कहा है कि मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में बिहार की महिलाओं का सबसे अधिक योगदान है. दूरभाष पर बातचीत में उन्होंने कहा कि मतदान के लिए चुनाव आयोग ने लोगों से अपील की है.
मतदान केंद्रों पर सुरक्षा एवं अन्य तैयारियों के प्रचार-प्रसार आदि का असर पर पड़ना एक बड़ा कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका असर मतदान पर पड़ा है. उन्होंने कहा कि आम मतदाताओं में मतदान के प्रति बढ़ी जागरूकता ने भी मतदान के प्रतिशत को बढ़ाया है.
महिलाओं के मतदान प्रतिशत अधिक होने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि हमने भी खासकर महिलाओं से मतदान में शामिल होने की अपील की थी. खुशी की बात है कि बड़ी संख्या में युवितयां और महिलाएं घर से बाहर निकलीं.
उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि विधानसभा चुनाव के आने वाले चरणों में मतदान का प्रतिशत और बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि अधिक मतदान का प्रतिशत का मतलब कुछ भी हो सकता है.पर, इतना सत्य है कि लोगों की भागीदारी का बढ़ाना लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है. मतदान का प्रतिशत बढ़ना समस्या का असली समाधान होगा़.
जागरुकता के कारण बढ़ा मतदान
राजीव
एडीआर के
बिहार संयोजक
बिहार में सामान्य मतदान बढ़ने की वजह भी जागरूकता है. उन्होंने बताया कि कई माध्यमों से जागरूकता का काम चल रहा है. 2012 के बाद युवा पीढ़ी मे राजनीति को लेकर जबरदस्त उभार आया है.
अन्ना के आंदोलन ने इसमें उत्प्रेरक का काम किया है. अन्ना आंदोलन तो भ्रष्टाचार को लेकर था पर इसका युवाओं पर व्यापक असर पड़ी, युवा पीढ़ी आगे बढ़कर सोचने लगी की देश के निर्माण में उनकी भी भूमिका होनी चाहिए. इसके अलावा विभिन्न माध्यमों से चलाया जा रहा मतदान के लिए जागरूकता प्रचार अभियान भी लोगों में चेतना जगाने का काम किया है. हर फिल्ड के सेलिब्रिटी के द्वारा मतदान के लिए अपील करना, स्कूल-कॉलेजों मे जागरूकता अभियान चलाना और सामाजिक संगठन के लोगों की ओर से किये गये प्रयास का फल अब मतदान के प्रतिशत में वृद्धि के रूप में दिखने लगा है.
बिहार विधानसभा के पहले चरण के मतदान का प्रतिशत का बढ़ना लोकतंत्र की मजबूती का संकेत माना जा रहा है. मतदान में महिलाओं का पुरुषों से आगे बढ़कर मतदान करना पिछले दो चुनावों से देखा जा रहा है. इसकी व्याख्या अलग-अलग तरह से की जा रही है.
बिहार इलेक्शन वॉच के समन्वयक राजीव कुमार ने पहले चरण के मतदान के बाद मतदान के बढ़े प्रतिशत को लेकर बताया कि महिलाओं का प्रतिशत बढ़ने के कई कारण हैं. पहला कारण है कि महिलाओं को स्थानीय निकायों मे 50 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाना पहला व महत्वपूर्ण कारण साबित हो रहा है.
महिलाओं के वार्ड से लेकर जिला परिषद व नगर निकायों में प्रतिनिधित्व मिलने से जागरु कता आयी है. वह महिलाओं के बीच जागरु कता फैलाने का भी काम कर रही हैं. इसके अलावा इसका दूसरा कारण हैं राज्य से होनेवाला पलायन है. इसके कारण पुरु ष बाहर काम करने चले जाते हैं. महिलाएं परिवार में रह जाती हैं.
पुरु षों के बाहर रहने के कारण घर की जिम्मवारी भी उन्ही को निभाने का मौका मिलता है. ऐसे में घर के बाहर निकलने का हिचक समाप्त हो रहा है. साथ ही उनके पति या बच्चे बाहर से लौटते हैं तो महिलाओं को प्रोत्साहित करते है कि मतदान करना चाहिए. पुरु षों की रूढ़ीवादी सोंच भी बाहर रहने से समाप्त हो रही है. यह महिलाओं के लिए अनुकूल माहौल है.
बिहार में सामान्य मतदान बढ़ने की वजह भी जागरूकता है. उन्होंने बताया कि कई माध्यमों से जागरूकता का काम चल रहा है. 2012 के बाद युवा पीढ़ी मे राजनीति को लेकर जबरदस्त उभार आया है.
अन्ना के आंदोलन ने इसमें उत्प्रेरक का काम किया है. अन्ना आंदोलन तो भ्रष्टाचार को लेकर था पर इसका युवाओं पर व्यापक असर पड़ी, युवा पीढ़ी आगे बढ़कर सोचने लगी की देश के निर्माण में उनकी भी भूमिका होनी चाहिए. इसके अलावा विभिन्न माध्यमों से चलाया जा रहा मतदान के लिए जागरूकता प्रचार अभियान भी लोगों में चेतना जगाने का काम किया है. हर फिल्ड के सेलिब्रिटी के द्वारा मतदान के लिए अपील करना, स्कूल-कॉलेजों मे जागरूकता अभियान चलाना और सामाजिक संगठन के लोगों की ओर से किये गये प्रयास का फल अब मतदान के प्रतिशत में वृद्धि के रूप में दिखने लगा है.
महिलाओं में राजनीतिक समझ बढ़ी
शाहीना परवीन
स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर, हंगर प्रोजेक्ट,
राज्य में महिला सशक्तीकरण को लेकर अलग-अलग स्तार पर किये गये प्रयासों का नतीजा है कि इस विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान में महिला वोट प्रतिशत में वृद्धि देखी गयी.
दरअसल, महिलाएं अब विकास के सवाल को लेकर राजनीति में ज्यादा रुचि ले रही हैं. इसके पीछे पंचायत चुनाव में महिलाओं को मिला आरक्षण है. इससे बड़ी संख्या में महिला नेतृत्व को उभरने का मिला अवसर है. 12 अक्तूबर को हुए चुनाव में शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा महिलाओं ने वोट किया. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में पंचायत चुनाव के कारण ज्यादा राजनीतिक जागरूकता आयी है. खास कर महिला वार्ड सदस्याओं ने महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता लायी है. गांव के विकास से जुड़े हर मुद्दे से पहला वास्ता महिलाओं को ही पड़ता है.
महिलाएं राजनीतिक विषयों को अब अच्छी तरह समझने लगी हैं. वह इसे आजादी के अधिकार के रूप में देखती हैं. पंचायती राज संस्थानों में अपने ही गांव की महिलाओं की सक्रियता, उनकी गतिविधियों और उनके प्रति समाज व परिवार के लोगों की सकारात्मक दृष्टि ने दूसरी महिलाओं को भी आगे आने के लिए प्रेरित किया.
इस ने गांवों का माहौल बदला है. पुरुषों की भी दृष्टि बदली है. एक बात और. शौचालय की योजना हो या ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से जुड़े कार्यक्रम या फिर आंगनबाड़ी. सब का सरोकार ग्रामीण महिलाओं से हैं. सरकारी और गैर सरकारी सभी एजेंसिंयां पहले उन्हीं तक पहुंचती हैं.
आशा और दूसरी महिला कर्मी की भी पहली पहुंच उन्हीं तक है. लिहाजा चर्चा और संपर्क ने भी महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता की दर बढ़ायी है. एक अहम बात और. वोट और महिलाओं की वोटिंग को लेकर भी नजरिया बदला है. हमारा जमानी अनुभव है कि अक्सर महिलाओं को यह कह कर वोट करने से रोका जाता था कि वह विवाहिता है, इसलिए मैके में वह वोट नहीं कर सकती. भले वहां के वोटर लिस्ट में उसका नाम हो.
ऐसी सोच रूढ़ हो चुकी थीं. अब के माहौल में यह बात नहीं रही. महिलाएं भी इस बात को समझ रहीं हैं कि वह मैके में हों या पीहर में, जहां के वोटर लिस्ट में उनका नाम है, वहां उन्हें वोट करने का अधिकार है. महिला वोट प्रतिशत बढ़ने का एक बड़ा कारण लड़कियों और महिलाओं के लिए सरकार की कल्याणकारी योजनाएं भी हैं.
लड़कियों को साइकिल और महिला-युवतियों के पोषण जैसे कार्यक्रमों से भी महिलाओं में जागरूकता आयी है. इसके अलावा बिहार में चुनावी हिंसा का कम होना भी एक कारण है. 2011 के पंचायत चुनाव में भी हमारा यही अनुभव रहा कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं मतदान को लेकर ज्यादा आगे आयीं.
पंचायतों में आरक्षण से माहौल बदला
नीना श्रीवास्तव
मुख्य संपादक,
ई-मंजरी.
महिलाओं में वोट प्रतिशत बढ़ने का सबसे बड़ा आधार पंचायत चुनाव में महिलाओं को मिला आरक्षण है. दूसरा आधार आंगनबाड़ी केंद्रों की सक्रियता है. हम फिल्ड में काम कर रहे हैं.
इन दोनों ने बिहार की महिलाओं में राजनीतिक समझ और सक्रियता का जबरदस्त विस्तार किया है. पंचायती राज व्यवस्था में सीधी भागीदारी के अवसर ने उनमें राजनीतिक आकांक्षाएं भी पैदा की हैं. उनमें यह विश्वास जगा है कि उन्हें भी बड़ा अवसर मिल सकता है.
दूसरी बात यह की चुनाव में महिलाओं की वोटिंग को लेकर ट्रेंड बदला है. पंचायती राज संस्थानाओं और आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़े कार्यक्रमों में अपनी सक्रियता से उनमें जवाबदेही लेने और अपने उत्तरदायित्व को पूरा करने का भी आत्मविश्वास बढ़ा है. मैं वैशाली के विदुपुर प्रखंड की दस और मधुबनी जिले के बिस्फी प्रखंड की 28 पंचायतों में काम करने के अनुभव के आधार पर यह कह सकती हूं कि आंगनबाड़ी केंद्रों ने गांव की औरतों में राजनीतिक जागरूकता का स्तर बढ़ाया है. सरकार की आजीविका संबंधी योजनाओं का उतना प्रभाव नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं ने महिलाओं पर वैचारिक प्रभाव डाला है.
आंगनबाड़ी केंदों से गांव की गर्भवती और नवजात बच्चों की माताओं का नियमित संपर्क होता है. इसने उनमें नयी चेतना का विस्तार किया है. विधानसभा चुनाव के पहले चरण में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की ज्यादा भागीदारी महिला सशक्तीकरण का बड़ा नतीजा है.

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