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चुनाव तो लालू प्रसाद और नरेंद्र मोदी के बीच है, बाकी सब पानी में

राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद आत्मविश्वास से लबरेज हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जातिवादी कौन है, यह सब जानते हैं. आरक्षण को वह चुनाव का प्रमुख मुद्दा करार देते हैं. प्रभात खबरकी विशेष इंटरव्यू श्रृंखला में आज पढ़िए लालू प्रसाद से मिथिलेश की बातचीत मौजूदा परिदृश्य हमारे पक्ष में हमारा गंठबंधन […]

राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद आत्मविश्वास से लबरेज हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जातिवादी कौन है, यह सब जानते हैं. आरक्षण को वह चुनाव का प्रमुख मुद्दा करार देते हैं. प्रभात खबरकी विशेष इंटरव्यू श्रृंखला में आज पढ़िए लालू प्रसाद से
मिथिलेश की बातचीत
मौजूदा परिदृश्य हमारे पक्ष में
हमारा गंठबंधन बहुत आगे निकल गया है. भाजपा अस्त-व्यस्त हो गयी है. उनके यहां टिकट को लेकर मारामारी है. पूरे समाज में मैसेज गया है कि भाजपा एंटी दलित है, एंटी बैकवर्ड है. मोहन भागवत ने सब उजागर कर दिया है. मोहन भागवत ही भाजपा के माई-बाप हैं.
उनका हिडेन एजेंडा हैं. लोग उनके बहकावे में नहीं आने वाले. ये लोग भारत का टुकड़ा-टुकड़ा करना चाहते हैं. हमारे पिलर को भाजपा और एनडीए डोला नहीं सकता. गांवों में कहावत है -चक डोले, चकदम्बा डोले, खैरा पीपल कभी न डोले. हम पीपल हैं, ऐसी हवाओं से झुकने वाले नहीं हैं. चुनाव तो लालू प्रसाद और नरेंद्र मोदी के बीच में है. बाकी सब पानी में हैं.
जातिवादी राजनीति का आरोप
जाति की बात तो पहले मोहन भागवत ने की. संवैधानिक व्यवस्था है आरक्षण की, हम इसे छोड़ेंगे नहीं. एनडीए का पोल ढह गया है. 45 डिग्री के एंगल से भाजपा हिल गयी है. हमलोग 90 डिग्री पर टाइट हैं. जनता समझती है इनको और इनके सारे कुनबे को. मोहन भागवत ने ही छेड़ी है जाति की बात. राजस्थान और हरियाणा में तो शुरू भी कर दिया. सोशल जस्टिस तो हमारे संविधान में है.
संविधान ने अनुसूचित जाति, जनजाति तथा मंडल के दायरे में आनेवाली जातियों को आरक्षण दिया है. जात-पांत का सम्मेलन इ लोग (भाजपा) कर रहे हैं. लालू यादव तो इनकी आंखों में गड़ रहा है. इ लोग सोच रहे थे कि लालू यादव और नीतीश कभी मिलेंगे नहीं. दोनों अलग-अलग लड़ेंगे. मजा कर रहे थे. समझ में आ गया कि हमने ढेला कर दिया. सब मजा निकल गया.
आप परिवार को ही आगे बढ़ाते हैं
बेटा है तो कहां जायेगा. राजनीति में ही जायेगा. दोनों बेटा मेहनत कर रहा है. पिछले आम चुनाव में भी पार्टी का काम किया था. लगातार युवाओं के बीच जा रहा है. हमारा बेटा आगे बढ़ रहा, तो किसी का पेट क्यों गड़ रहा है?
अपशब्दों का इस्तेमाल
हमने नरभक्षी कहा है अमित शाह को. भाजपा बताये कि अमित शाह पर किस धारा में केस दर्ज हुआ था. वहां तो लालू यादव और नीतीश कुमार की सरकार नहीं थी. किसकी सरकार थी और फिर भी सोहराबुद्दीन के फरजी मुठभेड़ का केस था, तड़ीपार हुए थे. और.. यहां आकर हमको गाली दे रहे हैं.
अरु ण जेटली ने कह दिया कि अमित शाह को फंसाने के लिए हमने जांच बिठा दी थी. साबरमती एक्सप्रेस को लेकर हमने रेल मंत्री के तौर पर बनर्जी कमीशन गठित किया था, ऐसी घटनाओं के कारण और निदान खोजने के लिए.
यादव समाज की लीडरशिप
भाजपा के टारगेट में है यादव समाज. इसलिए कुछ को उम्मीदवार भी बनाया है. लेकिन, इससे क्या होगा. यादव, पिछड़ा, दलित, गरीब-गुरबा सब का सब हमारा वोटर है. सारे वोटर लालू को समझते हैं.
जनता जान रही है. यादव समझ रहे हैं. एक भी यादव का वोट कहीं दूसरे जगह नहीं जाने वाला है. चाहे यादव हों या दूसरे पिछड़े वोटर, सारे महागंठबंधन को अपना वोट करेंगे. उन्हें मालूम है कि भाजपा सिर्फ उनका उपयोग करना चाहती है. आप (भाजपा) कितना भी पसीना बहा लो, कितना भी करतब कर लो, लेकिन वोट तो वहीं गिरेगा, जिसके हाथ में लालटेन, तीर और हाथ है.
यादवों को सबसे ज्यादा टिकट दिये
ऐसी बात नहीं है. यह भाजपा कह रही है. लेकिन, वह बताये कि उसने अपर कास्ट को कितना दिया है. जिनके (अति पिछड़े) लिए आंसू छलका रहे हैं, उनको तो सीटें दी नहीं, उनका हिस्सा भी अपर कास्ट को दे दिया. हमने साठ फीसदी सीटें युवा और महिलाओं को दिया है. जनता सब देख रही है. जनता थोड़िये इ सब देख रही है कि किसको कितना सीट मिला. वह इसमें नहीं पड़ने वाली. महागंठबंधन के जो भी उम्मीदवार हैं, सबको भारी संख्या में वोट मिलेगा.
आरक्षण है चुनाव का मुद्दा
भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है. हम इसे चुनाव का मुद्दा बना रहे हैं. अभी आपने देखा कि मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर क्या कहा. यह उनके मन की बात है जो धीरे-धीरे सामने आ रही है. वह अपनी व्यवस्था चाहते हैं. संसद से ऊपर, कानून से इतर एक ऐसी कमेटी हो, जिसमें आरएसएस बैकग्राउंड के लोग हों. यह कमेटी आरक्षण की परिभाषा को अपने तरीके से परिभाषित करेगी. लाख सफाई दे लें, पर ये लोग चाहते हैं कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था खत्म कर अपना एजेंडा लागू करें. आप मुङो फांसी चढ़ा दो, कुछ भी कर लो, लेकिन आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था बदलने नहीं देंगे.
मंडल अभी भी तार्किक है क्या
मंडल का फॉर्मूला हर समय तार्किक है. अभी बहुत काम बाकी है. आबादी के हिसाब से आरक्षण चाहिए. यह लड़ाई हम लड़ रहे हैं. अंतिम दम तक लड़ेंगे. जातिगत संख्या बता नहीं रहे. यह मालूम चले कि किस वर्ग की आबादी कितनी है, तभी तो उनके विकास के लिए बजट बनाया जा सकेगा. लेकिन, भाजपा और केंद्र सरकार इसे बता नहीं रही. आबादी के आधार पर आरक्षण और सरकारी सुविधाएं जरूरतमंदों को चाहिए. लेकिन, भाजपा इन चीजों को टाल रही है.
आरएसएस जातिवादी ही नहीं बल्कि हिंदू विरोधी संगठन भी है. अगर ये हिंदुओं के सच्चे हितैषी होते तो 90 फीसदी पिछड़े, दलित, वंचित, गरीब एवं उत्पीड़ित हिंदुओं के संविधान प्रदत्त अधिकार आरक्षण को खत्म करने की बात नहीं करते. मोहन भागवत जैसे लोग अंग्रेजों से भी खतरनाक हैं.
जंगलराज का आरोप
भाजपा वाले 15 साल का रोना रो रहे हैं. अरे, भाजपा में पिछड़ों को जगह मिली तो उसके कारण हम हैं. मेरे शासन काल में जब सामाजिक न्याय की ताकतें मजबूत हुईं तो उनके यहां खलबली मच गयी. हमारे राज में पिछड़ा पावरफुल हुआ, तो वे उसे जंगलराज कह रहे हैं. गुजरात में जो हुआ था, वह जंगलराज था.
भाजपा परिवर्तन की बात कह रही है
पूरे देश में भगवा ध्वज फहराने की मंशा है. लोगों को बरगलाना चाहते हैं. भाजपा मुखौटा है. आरक्षण पिछड़े वर्ग का जन्मसिद्ध अधिकार है. भाजपा की धमकी और आरएसएस के नजरिये से जनमानस में नाराजगी बढ़ रही है.
लोग सजग हो रहे हैं. हम जनता के बीच जा रहे हैं. लोगों को बता रहे हैं. केंद्र में गरीब की सरकार नहीं है. हम कहते हैं परिवर्तन होगा, लेकिन दिल्ली में परिवर्तन होगा. बिहार हम लोग जीतेंगे, तो बीचे में दिल्ली की गद्दी हिल जायेगी और वहां सत्ता परिवर्तन हो जायेगा.
तीसरा मोरचा और ओवैसी
यह सब कुछ बिहार में नहीं चलेगा. यहां की जनता समझदार है. कुछ लोग अपना काम कर रहे हैं. उनका अपना एजेंडा है. लेकिन, यहां नहीं चलने वाला है. कोई भी नेता हों, चुनाव है तो कोई खाली तो रहेगा नहीं. हमको कोई नुकसान नहीं होने वाला. लोग सब जानते हैं कि किसकी चाल है.
ओवैसी कोई फैक्टर नहीं है. हमारे पीछे भाजपा ने तीन यादव छोड़ रखे हैं. इनमें से नंद किशोर का पत्ता संतोष मेहता को खड़ा करके साफ कर दिया. पप्पू आज जहाज पर घूम रहा है. पहले हमारे आगे-पीछे घूमता था, जहाज पर घूमने लगा और समझने लगा कि ऊ नेता हो गया. जहाज पर घूमने से कोई नेता नहीं होता. तीसरे हैं राम कृपाल, जिनकी भाजपा में जो हैसियत है, वह सब जानते हैं. स्टेशन पर खड़ा रहता था, आज बड़ा आदमी बन रहा है.
विकास का हमारा अलग मॉडल है
विकास के हमारे मॉडल के केंद्र में गांव व गरीब है, युवा और रोजगार है. हमें स्मार्ट सिटी नहीं, स्मार्ट गांव बनाने हैं. हमारा विकास का मॉडल लोगों के इम्पॉवरमेंट पर आधारित है. बुलेट ट्रेन, स्मार्ट सिटी, पांच करोड़ रोजगार जैसी हवाई बातें हम नहीं करते हैं.
भाजपा ने 2014 में जो विजन दिया, वह कहां गया. किसको रोजगार मिला. भाजपा फेंका गयी है. भाजपा का पोल खुल गया है. अब उसकी बात लोग सुन नहीं रहे हैं. झांसा, धोखा कब तक चलेगा. जनता को रोजी-रोटी, घर और इज्जत चाहिए.
सीएम नीतीश कुमार ही होंगे
चुनाव में यदि राजद को जदयू से अधिक सीटें आयेंगी तब भी नीतीश कुमार ही हमारे सीएम होंगे. यह कमिटमेंट है. तय हो चुका है. भाजपा से पूछिए न कि उनका कौन उम्मीदवार है. कोई कुछ कह रहा तो कोई कुछ. मायावी हैं लोग. कान में कुछ कहते हैं और कर कुछ और रहे हैं.
महागंठबंधन जीतेगा, क्योंकि..
1. भाजपा को एक क्षण भी जनता देखना नहीं चाहती.
2. भाजपा हर मोर्चे पर फेल हो चुकी है.
3. भाजपा का वोटर हताश और साथ छोड़ रहा है.
4. यह लड़ाई बिहार की नहीं, देश की है.
कोई मुकाबले में नहीं है. गांवों में लोग गाते हैं – ओक्का बोक्का तीन तलोका, लौआ लाठी चंदन काठी. दूसरी पार्टियां कुछ ऐसी ही हंै. भाजपा भी बिखर जायेगी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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