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एससी-एसटी को प्रोन्न्ति में आरक्षण के लिए डबल बेंच में जायेगी सरकार

पटना: एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के लिए बिहार सरकार पटना उच्च न्यायालय के डबल बेंच में अपील करेगी. यह अपील सोमवार तक कर दिया जायेगा. मुकदमे की पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता का सहयोग लिया जायेगा. यह जानकारी प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने पत्रकार सम्मेलन में दी. उन्होंने कहा कि सिंगल […]

पटना: एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के लिए बिहार सरकार पटना उच्च न्यायालय के डबल बेंच में अपील करेगी. यह अपील सोमवार तक कर दिया जायेगा. मुकदमे की पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता का सहयोग लिया जायेगा. यह जानकारी प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने पत्रकार सम्मेलन में दी. उन्होंने कहा कि सिंगल बेंच के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है.

इसके लिए उच्च न्यायालय के डबल बेंच में जाने का प्रावधान है. यदि हमें डबल बेंच में अनुकूल निर्णय नहीं मिलता है, तब ही हम सुप्रीम कोर्ट में जा सकते हैं. पत्रकारों के प्रश्नों के जवाब में उन्होंने कहा कि आवश्यकता होने पर सुप्रीम कोर्ट में भी अपील किया जायेगा. सूचना एवं जन संपर्क विभाग के संवाद में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में उन्होंने कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण नहीं देने का फैसला पटना उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच का है. इस निर्णय से हम संतुष्ट नहीं हैं. इसलिए डबल बेंच में अपील किया जायेगा. एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के लिए पर्याप्त आधार हैं.

प्रोन्नति में आरक्षण के लिए बिहार सरकार का तर्क
एससी-एसटी श्रेणी के राज्यकर्मियों को प्रोन्नति में आरक्षण के पक्ष में राज्य सरकार के तर्क के बारे में कहा कि एससी-एसटी की 90 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है. इनकी दो तिहाई आबादी गरीब है. 71 प्रतिशत आबादी निरक्षर और 83 प्रतिशत आबादी सफाई कार्य से जुड़ी है. 77 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र में मजदूरी करती है. इसके बावजूद पटना उच्च न्यायालय ने इस डाटा को स्वीकार नहीं किया.

इस श्रेणी के कर्मियों और अधिकारियों को प्रोन्नति में आरक्षण के लिए भारत सरकार के एटॉर्नी जनरल से सलाह के बारे में उन्होंने कहा कि इसका आगामी चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. बिहार में प्रोन्नति में आरक्षण के लिए पर्याप्त आधार होने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होगा, तो अब तक मिले प्रोन्नति का ढांचा चरमरा जायेगा. प्रधान अपर महाधिवक्ता ने कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण के राज्य सरकार की शक्ति को चुनौती नहीं दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय का निर्णय एम. नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट के के निर्णय के प्रतिकूल है. इस मामले को पेंचिदा बताते हुए उन्होंने कहा कि मेरी राय है कि इस मामले में भारत सरकार के एटॉर्नी जनरल से सलाह ली जाये.

मांझी के कार्यकाल में यह हुआ था तय
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने अन्य राज्यकर्मियों को प्रोन्नति पर रोक का निर्देश नहीं दिया. पूर्व मुख्यमंत्री मांझी के कार्यकाल में यह तय किया गया था कि न्यायालय के निर्णय आने के बाद ही प्रोन्नति दी जायेगी. उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले के बाद गैर एससी-एसटी को उनके कैडर में प्रोन्नति दी जा सकती है.

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