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बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा मनायी गयी पंडित छविनाथ की जयंती

लाइफ रिपोर्टर@पटनाबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से हिंदी जगत के पितामह पंडित छविनाथ की जयंती मंगलवार को कालिदास रंगालय में सम्मेलन उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त की अध्यक्षता में मनायी गयी. इस अवसर पर एक कवि गोष्ठी भी आयोजित हुई. अपने अध्यक्षीय संबोधन में नृपेन्द्र नाथ गुप्त ने कहा कि छविनाथ पाण्डेय जी पक्के स्वतंत्रता […]

लाइफ रिपोर्टर@पटनाबिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से हिंदी जगत के पितामह पंडित छविनाथ की जयंती मंगलवार को कालिदास रंगालय में सम्मेलन उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त की अध्यक्षता में मनायी गयी. इस अवसर पर एक कवि गोष्ठी भी आयोजित हुई. अपने अध्यक्षीय संबोधन में नृपेन्द्र नाथ गुप्त ने कहा कि छविनाथ पाण्डेय जी पक्के स्वतंत्रता सेनानी थे और इसमें भाग लेने के लिए वे बार-बार जेल भी गये. बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन को मुजफ्फरपुर से पटना में प्रतिस्थापन किया. मंच संचालन करते हुए अर्थमंत्री योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि पंडित छविनाथ जी सम्मेलन के पूर्णिया अधिवेशन में 1936 में प्रधान मंत्री चुने गये थे और ुनका समय बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का स्वर्णिम युग था. जब सम्मेलन का मुख्यालय मुजफ्फरपुर से पटना लाया गया. कवि गोष्ठी में भाग लेते हुए कवियों ने श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया. अरुण शिवहर ने सम्मेलन भवन की ओर इसारा करते हुए पढ़ा कि ‘आ अब लौट चलें, तो रामेश्वर राकेश ने टूट रहे अब बारगाह की छांव में, खेतों की क्यारियों से जनपद और गांव से को पढ़ा. इस मौके पर कई कवि मौजूद थे.

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