वर्ष 2013-14 व 2014-15 के लिए पहले मिलर द्वारा जितना चावल दिया जायेगा, उसके अनुपात में कुटाई के लिए धान देना था. तैयार चावल को सीधे भारतीय खाद्य निगम को देना था. सरकार मिलरों से चावल लिये बिना धान देने का काम किया. धान कुटाई के दौरान एक अधिकारी को प्रतिनियुक्त करना था. भंडारण क्षमता से अधिक धान नहीं पहुंचाना था. मिलर से सिक्यूरिटी मनी के साथ बैंक गारंटी भी लेनी थी, ताकि गड़बड़ी किये जाने पर उनकी जमा राशि को जब्त किया जाता.
राज्य सरकार ने एग्रीमेंट का अनुपालन नहीं किया. मिलर के साथ किये गये एग्रीमेंट में गड़बड़ी होने पर कार्रवाई का कोई जिक्र नहीं किया गया. एग्रीमेंट का अनुपालन होने से पब्लिक डिमांड रिकवरी एक्ट के तहत कार्रवाई की व्यवस्था है. मोदी ने कहा कि राज्य सरकार ने मामले को टालने के लिए मिलर के यहां धान पहुंचा दिया. पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण मिलर के यहां अधिकतर धान सड़ गया. इससे उस अनुपात में चावल नहीं निकल सका. इससे मिलर को परेशानी हुई. अब मिलर पर दबाव बनाया जा रहा है.