पटना: प्लस टू की छात्रा प्रिया राय के एडमिशन के संबंध में बोला गया झूठ अब डीएवी स्कूल, बीएसइबी के प्रबंधन के गले की फांस बन गयी है. प्रिया का एडमिशन डीएवी, बीएसइबी में ही था और बाकायदा उसे परीक्षा में शामिल होने के लिए रोल नंबर भी जारी हुआ था. सब कुछ सामने आने के बाद शास्त्रीनगर पुलिस ने बुधवार को स्कूल प्रबंधन के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआइआर दर्ज की. इसके बाद स्कूल के प्रिसिंपल और तीन शिक्षकों को शास्त्रीनगर थाने तलब किया गया.
पुलिस ने उनसे प्रिया के नामांकन के संबंध में करीब तीन घंटे तक पूछताछ की. दरअसल, डीएवी स्कूल परिसर से 28 फरवरी को लापता हुई छात्रा प्रिया राय के मामले में शुरू से ही स्कूल की भूमिका शक के दायरे में रही. पेच तब फंस गया था, जब प्रिया के परिजन चीख-चीख कर कहते रहे कि प्रिया डीएवी में ही पढ़ती है और वे स्कूल बस से जाने के लिए उसे दिनकर चौक पर रोज छोड़ने आते हैं.
लेकिन, स्कूल ने पुलिस के सामने इसे खारिज कर दिया. स्कूल बसचालक ने प्रिया को जानने व पहचाने से इनकार कर दिया था. लेकिन, प्रभात खबर के बुधवार के अंक में प्रथम पेज पर स्कूल के झूठ का किये गये परदाफाश के बाद पुलिस ने इस मामले का संज्ञान लिया. पूरे दिन चली छानबीन के बाद पुलिस पदाधिकारियों के निर्देश पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गयी.
तीन घंटे तक चली पूछताछ
डीएसपी सचिवालय डॉ मोहम्मद शिब्ली नोमानी, सिटी एसपी चंदन कुशवाहा की मौजूदगी में शास्त्रीनगर थाने में स्कूल के प्रिसिंपल रामानुज प्रसाद व स्कूल के तीन शिक्षकों को तलब किया गया. थाने में प्रिया के एडमिशन के संबंध में दो तरह के दिये गये बयान के बारे में पूछताछ की गयी. प्रिसिंपल से तमाम बिंदुओं पर सवाल पूछा गया. लेकिन, वह सटीक जवाब नहीं दे सके.
पुलिस के सामने पहले ये कहा था प्रिसिंपल ने
शुरू में प्रिसिंपल ने कहा था कि प्रिया हमारे स्कूल में नहीं पढ़ती है. वह 11 वीं की छात्रा थी, लेकिन उसके फेल हो जाने के कारण उसे निकाल दिया गया था. उन्होंने यह भी कहा था कि यहां ढेर सारे बच्चे पढ़ते हैं, ऐसे में एक-एक बच्चों के बारे में जानकारी रखना नामुमकिन है. लेकिन, प्रिया के डीएवी की छात्र होने की पुष्टि तब हुई, जब प्रभात खबर के हाथ प्रिया का रोल नंबर लगा. रोल नंबर सीबीएसइ बोर्ड से जारी हुआ था. मामला प्रकाश में आने के बाद जब बुधवार को पुलिस ने प्रिसिंपल से सवाल पूछे, तो वह सही जवाब नहीं दे पाये, जिसके आधार पर एफआइआर दर्ज की गयी.
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ये हैं आरोप, अधिकतम सात साल की सजा
धारा 420व 465 : स्कूल प्रबंधन पर एडमिशन का आवेदन भरे जाने में जालसाजी का आरोप. इसमें दो साल की सजा व अर्थदंड का प्रावधान है.
धारा 468 : छल के साथ जालसाजी करने का आरोप. इसमें सात साल की सजा तथा अर्थदंड का प्रावधान है.
धारा 471 : कागज या इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज में छेड़छाड़ कर जालसाजी करने का आरोप. इसमें दो साल से सात साल के बीच सजा व अर्थदंड का प्रावधान है.
स्कूल प्रबंधन के खिलाफ छात्रा के नामांकन के संबंध में जालसाजी के मामले में एफआइआर दर्ज की गयी है. इसके अलावा पुलिस के अनुसंधान में सहयोग नहीं करने का भी आरोप है. एफआइआर दर्ज किये जाने के बाद अनुसंधान किया जा रहा है.
जितेंद्र राणा, एएसपी पटना