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अब आदिवासी, पिछड़े, अति पिछड़े भूमिहीनों को भी पांच डिसमिल जमीन

पटना: राज्य में महादलित और दलितों के अलावा आदिवासी (एसटी), पिछड़ा (बीसी) और अत्यंत पिछड़ा (इबीसी) कोटि के भूमिहीनों को भी आवास के लिए पांच डिसमिल जमीन मिलेगी. राज्य में भूमिहीन एसटी, बीसी और इबीसी की वास्तविक संख्या कितनी है, इसके लिए सरकार विशेष सव्रे करवा रही है, जो 31 मार्च तक पूरा कर लिया […]

पटना: राज्य में महादलित और दलितों के अलावा आदिवासी (एसटी), पिछड़ा (बीसी) और अत्यंत पिछड़ा (इबीसी) कोटि के भूमिहीनों को भी आवास के लिए पांच डिसमिल जमीन मिलेगी. राज्य में भूमिहीन एसटी, बीसी और इबीसी की वास्तविक संख्या कितनी है, इसके लिए सरकार विशेष सव्रे करवा रही है, जो 31 मार्च तक पूरा कर लिया जायेगा. इसके बाद उन्हें जमीन देने का काम शुरू हो जायेगा. राज्य सरकार ने इसे ‘अभियान बसेरा’ नाम दिया है.

यह जानकारी राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने सोमवार को अपने कार्यालय में दी. मंत्री ने बताया कि राज्य में 2.52 लाख महादलित और दलित परिवार ऐसे हैं, जो बेघर या भूमिहीन हैं. इनमें 2.32 लाख लोगों को दिसंबर, 2014 तक तीन डिसमिल जमीन दी गयी है. शेष लोगों को इस वर्ष के अंत तक जमीन दी जायेगी. इन्हें गैर-मजरूआ आम और खास की जमीन दी गयी है. इसके अलावा ‘भूमि दखल दिहानी’, बासगीत परचा, भूदान यज्ञ के तहत मिली जमीन समेत अन्य माध्यमों से भूमिहीनों को जमीन देने के प्रयास को तेज किया जायेगा.

राज्य में अब तक 25 लाख भूमिहीनों को परचा दिया गया है, लेकिन 10-12 लाख को ही 31 जनवरी, 2014 तक जमीन का कब्जा मिल पाया है. इसमें तेजी लाने के लिए हर मंगलवार को पांच प्रखंड या अंचल को मिला कर ‘राजस्व कैंप’ लगाने का आदेश डीएम को दिया गया है. कैंप का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए पदाधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है. राजस्व विभाग ने हर प्रखंड को प्रचार-प्रसार करने के लिए 10-10 हजार रुपये दिये हैं. जिन जमीन पर भूमिहीनों को कब्जा नहीं मिल रहा है, वहां पुलिस की मदद से कब्जा दिलाया जायेगा. जिन्हें जमीन मिलेगी, उन्हें इसकी रसीद और जमाबंदी भी उसी समय दे दी जायेगी.

भूमि विवाद कानून की होगी समीक्षा
राज्य में 2009 में बिहार भूमि विवाद निराकरण कानून पास किया गया था. इसके तहत सभी डीसीएलआर को तीन महीने में जमीन संबंधित छोटे-मोटे मुकदमे का फैसला देने का प्रावधान है. कितने मुकदमे समय पर दायर हुए और कितने का फैसला समय पर आया, कितने मुकदमे अभी तक पड़े हुए हैं. कितने मामलों को इसमें नहीं लिया गया. जमीन विवाद से जुड़े ऐसी तमाम बातों की गहन समीक्षा की जायेगी. मंत्री ने कहा कि इसके लिए शीघ्र ही बैठक होगी.
मार्च के बाद जिला मुख्यालय में ही नक्शा
अब जमीन का नक्शा लेने के लिए किसी व्यक्ति को पटना के गुलजारबाग प्रेस का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. हर जिले के मुख्यालय में ही जमीन का नक्शा मुहैया हो जायेगा. 31 मार्च तक इसकी व्यवस्था कर दी जायेगी. नक्शा मुहैया कराने की व्यवस्था अंचल कार्यालय स्तर पर की जा रही है. इसके लिए राज्य के सभी लैंड रेकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है. यह सुविधा भी आनेवाले कुछ महीनों में मिल जायेगी.

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