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बारिश में कैसे पढ़ेंगे बच्चे

पटना: सूबे में मॉनसून को आये 15 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, पर इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि राज्य के 10 हजार भवनहीन स्कूलों के बच्चे, जो पेड़ के नीचे पढ़ते हैं, बारिश होने पर कहां जायेंगे. हद तो यह है कि एक हजार स्कूलों के पास भवन निर्माण […]

पटना: सूबे में मॉनसून को आये 15 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, पर इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि राज्य के 10 हजार भवनहीन स्कूलों के बच्चे, जो पेड़ के नीचे पढ़ते हैं, बारिश होने पर कहां जायेंगे. हद तो यह है कि एक हजार स्कूलों के पास भवन निर्माण की राशि रहने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. राज्य में सर्व शिक्षा अभियान के तहत 1000 करोड़ रुपये के निर्माण का कार्य करीब 30 हजार स्कूलों में चलना है. इनमें नये विद्यालय भवन, क्लास रूम व शौचालय का निर्माण शामिल है. इन 30 हजार स्कूलों में करीब 1000 स्कूल ऐसे हैं, जहां राशि रहते हुए कार्य बंद है.

वर्ष 2006 से 2011 के बीच 1.16 लाख क्लास रूम का निर्माण होना था. इसकी राशि भी दे दी गयी थी, लेकिन इनमें 29 हजार कमरों का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो सका है. इस बीच वर्ष 2011 व 2013 के बीच 76 हजार क्लास रूम के निर्माण की स्वीकृति मिली, जिन पर काम चल रहा है. इस प्रकार एक लाख पांच हजार क्लास रूमों का निर्माण होना है. करीब तीन हजार नये विद्यालय के भवन भी बन रहे हैं. ये सभी निर्माण सर्व शिक्षा अभियान के तहत होने हैं.

दस हजार विद्यालय बिना भवन के : राज्य में अभी दस हजार प्रारंभिक विद्यालय बिना भवन के हैं. इन विद्यालयों के बच्चे या तो दूसरे विद्यालय के भवन में ही जाकर पढ़ते हैं अथवा अथवा पेड़ के नीचे बैठते हैं. इनमें करीब 8000 ऐसे हैं, जिनके लिए जमीन ही नहीं है. सरकार जमीन खोज रही है. आम लोगों से भी अपील की गयी है कि वे जमीन दान करें. ऐसा करनेवालों के नाम पर विद्यालय का नामकरण होगा. राज्य में कुल 72 हजार प्रारंभिक विद्यालय हैं, जिनमें करीब दो करोड़ बच्चे नामांकित हैं.

किस जिले में कितने विद्यालय भवनहीन :
पटना 390
अररिया 291
अरवल 53
औरंगाबाद 135
बांका 278
बेगूसराय 231
भागलपुर 190
भोजपुर 247
बक्सर 173
दरभंगा 369
गया 257
गोपालगंज 400
जमुई 457
जहानाबाद 58
कैमूर 49
कटिहार 314
खगड़िया 133
किशनगंज 311
लखीसराय 170
मधेपुरा 324
मधुबनी 308
मुंगेर 159
मुजफ्फरपुर 246
नालंदा 90
नवादा 159
प चंपारण 281
पूर्वी चंपारण 635
पूर्णिया 443
रोहतास 180
सहरसा 341
समस्तीपुर 428
सारण 325
शेखपुरा 34
शिवहर 86
सीतामढ़ी 390
सीवान 206
सुपौल 523
वैशाली 244

बीइपी द्वारा खर्च की गयी राशि वर्षवार :-
2005-06 472 करोड़
2006-07 1599 करोड़
2007-08 1951 करोड़
2008-09 2176 करोड़
2009-10 2169 करोड़
2010-2011 3437 करोड़
2011-2012 4115 करोड़
2012-2013 5444 करोड़
कुल : 21362 करोड़
नोट : करीब 35-40 फीसदी राशि निर्माण व अन्य शिक्षकों के वेतन व प्रशिक्षण में खर्च हुआ.

राजधानी से करीब 12 किलोमीटर दूर पटना सिटी के नजदीक हाजीगंज स्थित सरकारी मध्य विद्यालय. यहां पढ़नेवाली सुनीता के पिता ने बड़ी हसरत से उसका दाखिला कराया था. दर्जी पिता की हैसियत निजी विद्यालय में बेटी को पढ़ाने की नहीं है. पर्याप्त कमरों के अभाव में इस विद्यालय के बच्चे बरामदे में बैठने को मजबूर हैं. ऐसा नहीं कि पैसे के अभाव में क्लास रूम नहीं बन रहा. दरअसल, सरकार ने तीन साल पहले क्लास रूम निर्माण के लिए राशि भेजी थी. साल भर पहले प्रधानाध्यापक ने राशि वापस कर दी. कहा, इतनी राशि में कमरा नहीं बन सकता. राज्य में ऐसे हजारों उदाहरण हैं, जहां राशि रहते लापरवाही व मनमानी के कारण निर्माण रुका रहा.

इस पिता की हसरत अधूरी
सुनीता के पिता ने बड़ी हसरत से पटना सिटी के हाजीगंज स्थित सरकारी मध्य विद्यालय में उसका दाखिला कराया था. दर्जी पिता की हैसियत निजी विद्यालय में बेटी को पढ़ाने की नहीं है. यहां के बच्चे बरामदे में बैठने को मजबूर हैं. तीन साल पहले क्लास रूम के लिए आयी सरकारी राशि को साल भर पहले प्रधानाध्यापक ने वापस कर दिया. कहा, इतनी राशि में कमरा नहीं बन सकता.

कमीशन का चक्कर!
इंजीनियरों व प्रधानाध्यापकों के बीच टकराव का कारण है कमीशन. इसे लेकर कई प्रधानाध्यापकों ने बीइपी में शिकायत भी की है कि इंजीनियर कमीशन मांगते हैं. वहीं कई जगहों से यह भी शिकायत है कि तीन साल तक पैसा रखने के बाद प्रधानाध्यापक अब राशि बीइपी को वापस कर रहे हैं. इतने दिनों प्रधानाध्यापक ने पैसे का निजी उपयोग भी किया. इस पर बीइपी ने साफ कहा है कि किसी से राशि वापस नहीं ली जायेगी. प्रधानाध्यापक उसी इस्टीमेट में निर्माण कार्य पूरा कराएं.

किन पर निर्माण की जिम्मेदारी
सर्व शिक्षा अभियान के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यालयों के भवन, क्लास रूप, शौचालय, पेयजल की सुविधा आदि का निर्माण कार्य होता है. निर्माण की जिम्मेदारी संबंधित विद्यालय शिक्षा समिति की है. समिति के सचिव व प्रधानाध्यापक के संयुक्त हस्ताक्षर से निर्माण की राशि निकलती है. निर्माण की मुख्य जवाबदेही प्रधानाध्यापक की है. निर्माण कार्य की मॉनीटरिंग व उसकी रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी बीइपी के अभियंताओं की है. राज्य में बीइपी के 211 अभियंता है.

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