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रेलवे के डूबे 12 लाख

रख-रखाव नहीं होने से दो दर्जन मशीनें खराब, आरआरआइ सिस्टम में भी खराबी पटना : शहर में झमाझम बारिश ने रेलवे की तकनीकी व्यवस्था की पोल खोल दी है. ढाई साल पहले जिस रूट रिले इंटरलॉकिंग (आरआरआइ) व्यवस्था को बेहद ताम-झाम के साथ शुरू किया गया था, वह सिस्टम बारिश में ऐसा फेल हुआ कि […]

रख-रखाव नहीं होने से दो दर्जन मशीनें खराब, आरआरआइ सिस्टम में भी खराबी

पटना : शहर में झमाझम बारिश ने रेलवे की तकनीकी व्यवस्था की पोल खोल दी है. ढाई साल पहले जिस रूट रिले इंटरलॉकिंग (आरआरआइ) व्यवस्था को बेहद ताम-झाम के साथ शुरू किया गया था, वह सिस्टम बारिश में ऐसा फेल हुआ कि रेल पटरियों पर ट्रेनों की रफ्तार 60 घंटे तक थम गयी.

दिल्ली से लेकर हावड़ा के बीच चलनेवाली तमाम गाड़ियां गुरुवार की सुबह 6.30 बजे से लेकर शनिवार की दोपहर तीन बजे तक अस्त-व्यस्त होकर चली. यही नहीं, आरआरआइ सिस्टम फेल होने से रेलवे को दो दर्जन मशीनों के खराब होने से 12 लाख का नुकसान हुआ है.

वहीं आरआरइ फेल होने से ट्रेनों का एनाउसमेंट व नेट अपडेट भी ठप रहे. जानकारी के लिए दो दिनों तक यात्रा ी एक से दूसरे प्लेटफॉर्म तक भटकते रहे. नेट अपडेट नहीं होने से पूछताछ केंद्र पर भी यात्रा ियों को मदद नहीं मिल रही थी.

नहीं मिल रही थी सही जानकारी : मैनुअल व्यवस्था लागू होने पर निर्णय लेने में भी असमंजस की स्थिति दिख रही थी. अधिकारी यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि कौन-सी ट्रेन को पहले खोली जाये, कौन बाद में. गुरुवार की देर रात खुलनेवाली पटना-हटिया को लेकर सुबह तक तय नहीं था कि वह कितने बजे और कौन-से स्टेशन से खुलेगी. इसी तरह, शुक्रवार की सुबह खुलनेवाली पटना-रांची और पटना-हावड़ा जनशताब्दी के यात्रा ी भी करीब तीन घंटे तक बगैर किसी सूचना के बारिश में परेशान होते रहे.

यह तो उदाहरण मात्र रहे, इसी तरह कई गाड़ियों के यात्रा ियों को परेशान होना पड़ा. विदित हो कि ट्रेनों का परिचालन दुरुस्त हो, इसके लिए जंकशन पर करीब 40 करोड़ रुपये की लागत से आरआइआइ सिस्टम लगाया गया था. इसका काम 12 फरवरी, 2012 को पूरा हुआ था.

मशीनों से सिस्टम होता संचालित : आरआरआइ सिस्टम फेल होने से रेलवे को सिर्फ मशीनों के खराब होने पर 12 लाख का नुकसान हुआ है. ट्रेनों के लेट होने से टिकट कैंसिल कराने पर नुकसान हुआ सो अलग. दरअसल पटना जंकशन पर सिग्‍नल को नियंत्रित करने के लिए कुल 108 मोटर मशीनें लगी हुई हैं.

इनसे सिस्टम संचालित होता है. तेज बारिश में 24 मशीनों के डूब जाने से बारिश का पानी ट्रैक पर जमा हो गयी. इसकी वजह से सिग्नलों ने काम करना बंद कर दिया. एक मशीन की कीमत 50 हजार बतायी जा रही है. इस तरह 24 मशीनों की कीमत 12 लाख रुपये होती है.

ट्रेनें घंटों लेट, यात्री परेशान : बारिश का कहर रेलवे पर शनिवार को भी जारी रहा. पटना से खुलनेवाली संपूर्ण क्रांति समेत दर्जनों ट्रेनें 10 से 12 घंटे तक रिशिडय़ूल रहीं. ट्रेन की लेटलतीफी की वजह से यात्रियों को काफी परेशानी हुई. सूत्रों के मुताबिक ट्रैक में पानी भरने के कारण ट्रेनों की रिशिडय़ूल जारी है. हालांकि रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों का दावा है कि ट्रेन का परिचालन पूरी तरह से सही हो गया है.

लेकिन सच्चाई तो यह है कि व्यवस्था पूरी तरह से सही नहीं हो पायी है. यही वजह है कि शनिवार को संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस 11.50 घंटे, गरीब रथ 10.30 घंटे, कामख्या एक्सप्रेस 13 घंटे लेट खुली. इसी तरह अमृतसर एक्सप्रेस 13 घंटे, मथुरा-पटना 6.10 घंटे की देरी से पटना जंकशन से रवाना हुई.

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