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पटना :शिक्षक के लिए दो साल का डीएलएड जरूरी

डिग्री को लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने जारी किया आदेश 18 माह का सेवाकालीन डीएलएड कोर्स मान्य नहीं पटना : राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने बुधवार को एक आधिकारिक पत्र जारी कर साफ किया है कि सरकारी,अनुदानित और प्राइवेट स्कूलों के वे शिक्षक, जिन्होंने एनआइओएस से 18 माह का सेवाकालीन डीएलएड कोर्स किया है,उनके […]

डिग्री को लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने जारी किया आदेश
18 माह का सेवाकालीन डीएलएड कोर्स मान्य नहीं
पटना : राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने बुधवार को एक आधिकारिक पत्र जारी कर साफ किया है कि सरकारी,अनुदानित और प्राइवेट स्कूलों के वे शिक्षक, जिन्होंने एनआइओएस से 18 माह का सेवाकालीन डीएलएड कोर्स किया है,उनके प्रशिक्षण प्रमाण पत्र की मान्यता प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षक नियोजन के लिए मान्य नहीं होगी. जबकि, दो साल की अवधि का डीएलएड पाठ्यक्रम और डिग्री मान्य होगा.
बुधवार 11 सितंबर को प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने अाधिकारिक पत्र के जरिये साफ किया है कि प्रारंभिक विद्यालयों में नियुक्ति के लिए दो वर्षीय डीएलएड की डिग्री अनिवार्य होगी. उल्लेखनीय है कि एनसीटीइ ने भी इस संबंध में 2010 और 2011 की अधिसूचना के आधार पर स्पष्ट किया था कि प्रारंभिक शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा होना जरूरी है. प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने यह आधिकारिक पत्र पदाधिकारियों को जारी किया है.
पटना : बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से पटना उच्च न्यायालय के न्याय निर्णय के आलोक में डीपीएड व बीपीएड योग्यताधारी शारीरिक प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रधानाध्यापक एवं प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त करने का आग्रह किया है.
साथ ही साथ बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से ऐसे शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य में लगाये जाने की मांग की है. संघ के अध्यक्ष सह विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय ने कहा कि शिक्षा विभाग की तरफ से पहले भी राज्य के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में डीपीएड व बीपीएड प्रशिक्षण प्राप्त शारीरिक शिक्षकों को प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापक नियुक्त किये जाते थे. कालांतर में ये प्रावधान निलंबित कर दिया गया.
इससे योग्यता धारी शिक्षकों में आक्रोश था. उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को भी पत्र लिख कर मांग की है कि वर्ष 2020 के मूल्यांकन में डीपीएड व बीपीएड योग्यताधारी शारीरिक शिक्षकों को भी उनके पढ़ाये जाने वाले विषयों में परीक्षक व प्रधान परीक्षक नियुक्त किया जाये. उन्होंने कहा कि शारीरिक प्रशिक्षित शिक्षक अन्य शिक्षकों की तरह ही किसी न किसी विषय में स्नातक प्रतिष्ठा व स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल किये हुए हैं. वे दक्षता के साथ अपने विषय का अध्यापन कार्य भी कर रहे हैं. लिहाजा उनसे मूल्यांकन कार्य कराया जाना न्यायोचित होगा.

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