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पटना : कहीं आप पानी के साथ बैक्टीरिया तो नहीं पी रहे, हो सकता है संक्रमण का खतरा

राजदेव पांडेय सावधान : शहर में पाइपलाइन के फटने से कोलीफॉर्म के संक्रमण का खतरा पटना : राजधानी पटना के भूमिगत और खुले नालों में भरे पड़े सीवरेज (गंदा पानी) में टोटल कोलीफॉर्म नाम के बैक्टीरिया की मात्रा औसत से 15-20 गुना अधिक है. शहर के सीवरेज में 920 एमपीएन/ प्रति लीटर(मोस्ट प्रोबेल नंबर) कोलीफॉर्म […]

राजदेव पांडेय
सावधान : शहर में पाइपलाइन के फटने से कोलीफॉर्म के संक्रमण का खतरा
पटना : राजधानी पटना के भूमिगत और खुले नालों में भरे पड़े सीवरेज (गंदा पानी) में टोटल कोलीफॉर्म नाम के बैक्टीरिया की मात्रा औसत से 15-20 गुना अधिक है. शहर के सीवरेज में 920 एमपीएन/ प्रति लीटर(मोस्ट प्रोबेल नंबर) कोलीफॉर्म बैक्टीरिया हैं. बैक्टीरिया की यह मात्रा खतरनाक है आैर यह स्वास्थ्य के लिए घातक होता है. इससे पेट और आंत के रोग तेजी से बढ़ते हैं. यह बैक्टीरिया लंबे समय तक सक्रिय रह सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार यही कारण है कि अांत के रोग मसलन पीलिया, टाइफाइड आदि से पटना के लोग परेशान रहते हैं. शहर में कई दशक पुरानी पाइपलाइन कई जगहों पर दरकी हुई है, जिसके जरिये कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के पेयजल में मिलने की आशंका हमेशा बनी रहती है.
मानक के हिसाब से पेयजल में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया नहीं होना चाहिए. लेकिन शहर के तमाम भूमिगत और खुले नालों में सैकड़ों एमएलडी सीवरेज स्थायी तौर पर जमा है, जिसकी निकासी वर्षों से नहीं हुई है. इसमें यह खतरनाक बैक्टीरिया भरा पड़ा है. शहर में कभी भी जिम्मेदार विभाग ने पेयजल की गुणवत्ता की जांच कराने का कभी प्रयास नहीं किया.
भूजल पर भी असर
जानकारी के मुताबिक शहर के सीवरेज में मौजूद हानिकारक तत्व भूजल को भी दूषित कर रहे हैं. इस संदर्भ में यह सर्वविदित तथ्य है कि शहर के अधिकतर नालों में सीवरेज का बहाव बिल्कुल ठप है. इससे भूजल दूषित होने का खतरा बढ़ जाता है.
शहर के सीवरेज में प्रदूषण का स्तर
बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) : इसकी मात्रा 130-170 मिलीग्राम प्रति लीटर है जो सामान्य से 50 गुना अधिक है. इसकी मात्रा अधिक होने का आशय बैक्टीरिया की अधिकता है.
सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) : इसकी मात्रा 220-250, मिलीग्राम प्रति लीटर है जो सामान्य से 50 गुना अधिक है. इससे साफ है कि सीवरेज में कार्बनिक पदार्थ अधिक हैं.
पाइप के सीवरेज और उसके फटे होने की दशा में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पेयजल को दूषित कर देगा. इससे पेट और आंत के रोग तेजी से बढ़ते हैं. कंकड़बाग और दूसरे पुराने इलाकों के पानी में इस बैक्टीरिया की मौजूदगी कई बार देखी गयी है. यह भूजल को भी प्रभावित करता है.
-डॉ डीके पॉल, एसोसिएट प्रोफेसर, जूलॉजी, को-ऑर्डिनेटर इन्वायरमेंट साइंस एंड मैनेजमेंट, पटना विवि

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