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आधुनिक कृषि पद्धतियों को कृषकों के लिए सुलभ बना रही है बिहार सरकार
पटना : राज्य सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए हर संभव मदद दे रही है. बीजों की गुणवत्ता, आधुनिक यंत्रों की उपलब्धता, मिट्टी जांच जैसे कई आधुनिक कृषि पद्धतियों को कृषकों के लिए सरकार सुलभ बनाने के लिए लगातार काम कर रही है. राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनुमानित दर पर बीज […]
पटना : राज्य सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए हर संभव मदद दे रही है. बीजों की गुणवत्ता, आधुनिक यंत्रों की उपलब्धता, मिट्टी जांच जैसे कई आधुनिक कृषि पद्धतियों को कृषकों के लिए सरकार सुलभ बनाने के लिए लगातार काम कर रही है. राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनुमानित दर पर बीज वितरण के तहत धान एवं गेहूं के लिए 10 वर्षों के कम अवधि प्रभेद के बीज एवं दलहन एवं तेलहन फसलों के लिए 15 वर्षों से कम अवधि के लिए अनुदान अनुमान्य किया है.
राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र पर खरीफ में धान, बाजरा, मड़ुआ, अरहर, जूट, मूंग, लोबिया, मूंगफली तथा सोयाबीन एवं रबी में गेहूं, जई, चना, मसूर, मटर, राई/ सरसो और तीसी एवं गरमा मौसम में मूंग, उड़द और तिल के बीज उत्पादन हेतु राशि सरकार ने राशि की व्यवस्था की है.
प्रक्षेत्रों के स्थानीय उपयुक्तता एवं परिस्थिति के अनुसार फसलवार आच्छादन लक्ष्य निर्धारित किया गया है. मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के सभी राजस्व गांवों में एक साथ उन्नत प्रभेदों के बीज उपलब्ध कराकर बीज उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है.
आधार बीज का वितरण सभी जिला एवं प्रखंड मुख्यालयों में शिविर आयोजित कर किया जाता है. बीज ग्राम योजना में किसानों को धान एवं गेहूं फसल हेतु 50 प्रतिशत अनुदान पर आधार/प्रमाणित बीज तथा दलहन एवं तेलहन फसल के लिए 60 प्रतिशत अनुदान पर आधार/प्रमाणित बीज उपलब्ध कराया जाता है. किसानों को बीज उत्पादन के लिए तीन स्तरों पर (बोआई से पूर्व, फसल के मध्य अवस्था में एवं कटाई से पूर्व) प्रशिक्षण दिया जाता है. बिहार राज्य बीज प्रमाणन एजेंसी को सहायक अनुदान मद में वर्ष 2016-17 में बीज प्रमाणीकरण कार्य हेतु 448.81 लाख रुपये उपलब्ध कराया गया है.
इस राशि को एजेंसी में कार्यरत मानव बल, बीज जॉच प्रयोगशाला, डी.एन.ए. फिंगरप्रिंटग लैब, ग्रोआउट टेंस्ट फार्म, क्षेत्रीय कार्यालयों का सुदृढ़ीकरण के साथ प्रशिक्षण एवं सॉफ्टवेयर का विकास मदों में व्यय किया जाना है.
कृषि के समग्र विकास एवं कृषकों के हित में कृषि विभाग द्वारा राज्य के सभी 534 प्रखंडों में इ- किसान भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है. इस योजना का उद्देश्य प्रखंड स्तर पर कृषि सम्बंधी उपादानों तथा अन्य सभी तकनीकी सेवाओं को एकल खिड़की से प्रदान करना है. कुल 534 प्रखंडों में से 294 प्रखंडों में इ- किसान भवन का कार्य पूर्ण हो चुका है. शेष 240 प्रखंडों में निर्माण का कार्य प्रगति में है. राज्य योजना अंतर्गत 16 कृषि उत्पादन बाजार समिति (विघटित) के प्रांगण की टूटी हुई दीवार की घेराबंदी हेतु राशि जिलों को कर्णांकित की गयी है.
योजना का ससमय अनुश्रवण एवं योजना की गुणवत्ता पर जिम्मेवारी संबंधित बाजार समिति (विघटित) के अनुमंडल पदाधिकारी-सह-विशेष पदाधिकारी की होगी. कृषि को और ज्यादा विकसित करने के लिए कृषि यांत्रिकरण के तहत44 विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान की व्यवस्था है, इन यंत्रों में से पावर टिलर, रोटावेटर, जिरो टिल/सीड ड्रील, कम्बाईंड हार्वेस्टर, सेल्फ प्रोपेल्डरीपर/बाईंडर, पावर थ्रेसर/मेज सेलर, स्ट्रॉ रीपर यंत्रों को माँग आधारित किया गया है.
किसान मेले के अतिरिक्त मेले के बाहर क्रय किये गये कृषि यंत्रों पर भी अनुदान देने का प्रावधान इसमें शामिल है. धान फसल की कटाई उपरांत गेहूं की बोआई जिरो टिलेज तकनीक से करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य योजना अंतर्गत इस तकनीक से गेहूं के प्रत्यक्षण हेतु 2960 रुपये प्रति एकड़ अनुदान की व्यवस्था की गयी है.
इससे गेहूं की बोआई के समय में 20-25 दिनों की बचत होती है. साथ ही किसानों को जुताई का पैसा भी बच जाता है. राज्य योजनांतर्गत अन्न भंडारण के लिए किसानों को अनुदानित दर पर धातु कोठिला वितरित किया जा रहा है. दियारा क्षेत्रों के विकास हेतु राज्य के 25 जिलों में दियारा विकास योजना कार्यान्वित की जा रही है.
इसके अंतर्गत कद्दु, करैला, नेनुआ, मेलन तथा भिंडी के हाईब्रीड बीज का वितरण 50 प्रतिशत अधिकतम 8 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर, मटर उन्नत हाईब्रीड बीज वितरण 50 प्रतिशत अधिकत 3 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तथा किसानों को पीवीसी पाईप बोरिंग हेतु लागत मूल्य का 50 प्रतिशत (100 फीट तक, 4 इंच व्यास की पाईप) अधिकतम 75 सौ रुपये अनुदान दिया जायेगा.
टाल विकास योजना के अंतर्गत टाल क्षेत्रों में कीट व्याधियों के समेकित प्रबंधन एवं पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए फसल का उत्पादन बढ़ाने एवं फसल समस्याओं के समाधान में कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु कृषक प्रक्षेत्र पाठशाला संचालित किये जा रहे हैं.
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